पटियाला स्थित राजिंद्रा अस्पताल में एक ऐसा भयावह दृश्य सामने आया जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। मंगलवार शाम अस्पताल परिसर में अचानक एक स्ट्रे डॉग को नवजात शिशु का कटा हुआ सिर मुंह में दबाए देखा गया। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद मरीजों, परिजनों और स्टाफ के बीच अफरा-तफरी मच गई। लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे और कुछ ने तुरंत अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी दी।
अस्पताल स्टाफ ने मौके पर पहुँचकर कुत्ते को खदेड़ा और उस अवशेष को सुरक्षित किया। इसके बाद पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया और पुलिस को सूचना दी गई। यह घटना इतनी विचलित करने वाली थी कि कुछ देर तक अस्पताल परिसर में सन्नाटा पसरा रहा।
प्रारंभिक जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि अवशेष अस्पताल परिसर के भीतर से आया या कहीं बाहर से लाया गया। इसको लेकर प्रशासन ने कई सवाल उठाए हैं और फॉरेंसिक टीम को नमूने सौंप दिए गए हैं।
अस्पताल परिसर की सुरक्षा और सफाई व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने सबसे बड़ा सवाल अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर खड़ा किया है। आखिर कैसे एक स्ट्रे डॉग अस्पताल परिसर में इस तरह घूम रहा था और किसी को भनक तक नहीं लगी? अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थान पर ऐसी घटनाएँ सुरक्षा प्रणाली और निगरानी व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करती हैं।
लोगों का कहना है कि अस्पताल में हर समय गार्ड्स और सफाईकर्मी तैनात रहते हैं, बावजूद इसके इस तरह की भयावह घटना हो जाना अस्पताल प्रशासन की लापरवाही दर्शाता है। परिसर में जगह-जगह कूड़े के ढेर और आवारा कुत्तों की मौजूदगी पहले से ही चिंता का विषय रही है।
अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या अस्पताल के गार्ड और सुरक्षा कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियाँ सही ढंग से निभा रहे हैं या नहीं।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
घटना के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तुरंत हरकत में आया। अधिकारियों ने अस्पताल पहुंचकर पूरी स्थिति का जायजा लिया। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और कहा गया है कि जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस भी इस मामले को गंभीरता से देख रही है। अस्पताल परिसर से CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि घटना किस तरह हुई और स्ट्रे डॉग परिसर में कैसे पहुंचा।
अधिकारियों ने साफ किया है कि जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि यह अवशेष कहां से आया।
#WATCH | Patiala, Punjab | Patiala SSP Varun Sharma says, “The head of a newborn baby has been recovered from Ward No. 4 area of Rajindra Hospital. As soon as the information was received, the police team arrived at the scene… We will check all the CCTV cameras… We will… pic.twitter.com/y8UAgCToFM
— ANI (@ANI) August 26, 2025
अस्पताल प्रबंधन का बयान
अस्पताल प्रशासन की ओर से कहा गया है कि फिलहाल किसी भी वार्ड से कोई बच्चा लापता नहीं है। हाल के दिनों में जिन नवजातों की मृत्यु हुई थी, उनके शव परिवारों को पूरे नियमों के साथ सौंपे गए हैं।
प्रबंधन का मानना है कि संभव है कि अवशेष अस्पताल परिसर के बाहर से आया हो। लेकिन जब तक जांच पूरी नहीं होती, किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी।
फिर भी अस्पताल प्रशासन ने यह माना कि परिसर में स्ट्रे डॉग्स की मौजूदगी चिंता का विषय है और सुरक्षा व सफाई को लेकर और सख्ती बरती जाएगी।
मरीजों और परिजनों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों के बीच दहशत का माहौल है। कई लोगों ने कहा कि अस्पताल इलाज और सुरक्षा का स्थान होना चाहिए, लेकिन यहाँ इस तरह की घटना देखकर उनका विश्वास डगमगा गया है।
परिजनों ने मांग की है कि प्रशासन न केवल इस मामले की गहन जांच करे बल्कि अस्पताल परिसर को कुत्तों और अन्य आवारा जानवरों से मुक्त कराए।
कुछ लोगों का कहना था कि यह केवल अस्पताल की नहीं, बल्कि पूरे शहर की समस्या है, क्योंकि पटियाला के कई इलाकों में स्ट्रे डॉग्स की संख्या लगातार बढ़ रही है।
स्ट्रे डॉग्स की समस्या का व्यापक पहलू
पटियाला ही नहीं, बल्कि पूरे पंजाब में स्ट्रे डॉग्स की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। जगह-जगह कुत्तों के झुंड देखे जा सकते हैं, जो न केवल आम लोगों बल्कि छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा बन चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट और कई प्रशासनिक इकाइयों ने समय-समय पर निर्देश दिए हैं कि स्ट्रे डॉग्स को नियंत्रित करने और उनका वैक्सीनेशन करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। इसी विषय पर हाल ही में यह मुद्दा भी उठा था कि शहरी क्षेत्रों में स्ट्रे डॉग्स की संख्या को नियंत्रित करने के लिए नगर निगमों को ज्यादा सख्ती से काम करना चाहिए।
👉 इसी संदर्भ में पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले MCD का स्ट्रे डॉग्स पर आदेश। यह दर्शाता है कि देशभर में इस समस्या को लेकर चिंता कितनी व्यापक है।
कानूनी और विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पताल परिसर में इस तरह की घटनाएँ नेग्लिजेंस को दर्शाती हैं। कानूनी तौर पर अस्पताल प्रबंधन पर यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने क्षेत्र को सुरक्षित और स्वच्छ रखे।
बाल सुरक्षा से जुड़े कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र किसी भी हालत में बच्चों की सुरक्षा में कमी न आने दें। इस तरह की घटनाओं से लोगों का विश्वास कमजोर होता है और यह अस्पताल की प्रतिष्ठा पर भी असर डालती हैं।
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस घटना की व्यापक चर्चा हो रही है। कई लोग गुस्सा व्यक्त कर रहे हैं और अस्पताल प्रशासन की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग इसे शहर की व्यापक समस्या मानते हुए सरकार और नगर निगम पर सवाल उठा रहे हैं।
लोगों ने यह भी कहा है कि जब तक स्ट्रे डॉग्स की समस्या पर ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक इस तरह की घटनाओं की संभावना बनी रहेगी।
आगे की राह
राजिंद्रा अस्पताल की यह घटना केवल एक अस्पताल की सुरक्षा में कमी नहीं दर्शाती, बल्कि यह समाज और प्रशासन दोनों के लिए एक चेतावनी है। अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा और सफाई व्यवस्था में कोई भी ढिलाई अस्वीकार्य है।
अब जरूरी है कि प्रशासन स्ट्रे डॉग्स के मुद्दे पर ठोस कदम उठाए, अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करे और निगरानी प्रणाली को मजबूत बनाए।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि हम अपने अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों को कितना सुरक्षित बना पा रहे हैं।
इस मामले पर आपकी क्या राय है? क्या प्रशासन को अस्पतालों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें।