पुरी रथ यात्रा 2025 की शुरुआत, आस्था का विशाल सैलाब
पुरी की पवित्र भूमि पर एक बार फिर से आस्था का महासागर उमड़ा है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की वार्षिक रथ यात्रा की शुरुआत आज विधिपूर्वक हुई। हर साल की तरह इस वर्ष भी यह आयोजन पूरी भव्यता और श्रद्धा के साथ संपन्न हो रहा है।
पुरी रथ यात्रा का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में है। श्रद्धालु मानते हैं कि इस यात्रा में एक बार रथ खींचने से जीवन के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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गौतम अडानी की उपस्थिति बनी चर्चा का विषय
देश के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडानी शनिवार सुबह पुरी पहुंचे, जहां उन्होंने भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए और रथ यात्रा में भाग लिया।
“भगवान जगन्नाथ के दर्शन मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है,” अडानी ने मंदिर प्रांगण में कहा।
गौतम अडानी की पुरी यात्रा ने न सिर्फ श्रद्धालुओं का ध्यान खींचा, बल्कि सोशल मीडिया पर भी व्यापक चर्चा को जन्म दिया। उनके साथ कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे और उन्होंने पूरी यात्रा का अनुशासित तरीके से पालन किया।
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भक्तों का सैलाब, 7 लाख से अधिक श्रद्धालु पुरी पहुंचे
पुरी की गलियां, मुख्य मार्ग और मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से पूरी तरह भर चुके हैं। पुलिस प्रशासन के अनुसार, पहले ही दिन 7 लाख से ज्यादा लोग पुरी पहुंचे।
1200 से अधिक सुरक्षाकर्मी, 60 से ज्यादा एंबुलेंस, 24×7 हेल्प डेस्क और मेडिकल कैंप लगाए गए हैं।
“यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था और अनुशासन का अद्भुत संगम है,” एक पुलिस अधिकारी ने कहा।
भव्य रथ, सजावट और धार्मिक उल्लास
तीनों रथ— नंदीघोष (जगन्नाथ), तालध्वज (बलभद्र) और दर्पदलन (सुभद्रा)— पारंपरिक लकड़ी से बनाए गए हैं।
- नंदीघोष में 16 पहिए हैं
- तालध्वज में 14 पहिए
- दर्पदलन में 12 पहिए
सुबह 10 बजे रथ यात्रा की शुरुआत हुई, और शहर की सभी सड़कों पर भक्तों की कतारें दिखीं।
“हर वर्ष रथ बनाने में करीब एक महीना लगता है, और इसे कारीगरों की पीढ़ियां तैयार करती हैं।”
गर्मी और भीड़ ने बिगाड़ी स्थिति, 600 से अधिक लोग बीमार
धूप और भीड़ ने स्वास्थ्य संकट खड़ा कर दिया। 600 से अधिक लोग चक्कर, घबराहट और डीहाइड्रेशन के कारण बीमार पड़े।
“मौसम 40°C के पार, एम्बुलेंस की संख्या बढ़ानी पड़ी,” एक मेडिकल ऑफिसर ने NDTV को बताया।
रथ पहले दिन 750 मीटर चलने के बाद रुक गया, फिर दोपहर 10 बजे के बाद यात्रा दोबारा शुरू की गई।
मेडिकल टीम, पुलिस और स्वयंसेवकों की मदद से स्थिति को संभाला गया।
एकता, श्रद्धा और संस्कृति का संगम
पुरी रथ यात्रा किसी एक धर्म या वर्ग का नहीं, बल्कि एक समग्र सामाजिक और आध्यात्मिक अनुभव है।
“यहां VIP और आम श्रद्धालु, दोनों ही समान नियमों के अधीन होते हैं,” मंदिर प्रबंधन ने बताया।
गौतम अडानी भी बिना किसी VIP सुविधा के आम भक्तों की तरह लाइन में खड़े नजर आए।
यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि देश की एकता और परंपरा का भी प्रतीक बन गया है।
आस्था, आर्थिकी और आध्यात्मिक चेतना— समापन में गूंजती पुरी
रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह पुरी की अर्थव्यवस्था, पर्यटन, कारीगरी और सांस्कृतिक पहचान से भी जुड़ी है।
“पुरी की धरती हर साल गवाह बनती है आस्था के महासागर की,” एक वरिष्ठ पुजारी ने कहा।
पुरी आने वाले श्रद्धालु केवल भगवान के दर्शन ही नहीं करते, वे यहां की परंपराएं, भोजन, संस्कृति और सहिष्णुता को भी आत्मसात करते हैं।
✅ निष्कर्ष
रथ यात्रा 2025 में इस बार जहां भगवान जगन्नाथ के दर्शन की छवि हर किसी की आंखों में बस गई, वहीं गौतम अडानी की मौजूदगी ने आयोजन को राष्ट्रीय और वैश्विक चर्चा का विषय बना दिया।
पुरी की रथ यात्रा एक बार फिर से यह सिद्ध करती है कि धर्म, संस्कृति और भावनाएं जब एक साथ आती हैं, तो केवल रास्ते नहीं चलते, दिल भी जुड़ते हैं।