रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने 29 जून 2025 को एक नया क्रूर मोड़ ले लिया जब रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे व्यापक हवाई हमला किया। इस हमले में कुल 537 हथियारों का इस्तेमाल हुआ, जिनमें 477 ड्रोन और 60 मिसाइलें शामिल थीं।
यूक्रेन की सेना और सरकार ने इस हमले को “अब तक का सबसे खतरनाक और जानलेवा हमला” बताया है। हमले का दायरा इतना बड़ा था कि लगभग हर बड़ा शहर इसकी चपेट में आया।
प्रभावित शहरों की स्थिति: कीव से खारकीव तक दहशत
रूसी हमले का मुख्य केंद्र कीव, लवीव, डनिप्रो, ओडेसा और खारकीव रहे। राजधानी कीव में कई ऊंची इमारतें, ऊर्जा केंद्र और रेलवे हब को निशाना बनाया गया।
लवीव में तेल डिपो में आग लग गई जबकि डनिप्रो और खारकीव में एयरबेस और रिहायशी इलाकों को गंभीर नुकसान पहुंचा।
यूक्रेन के इंटीरियर मिनिस्ट्री के अनुसार, कम से कम छह लोग घायल हुए हैं, हालांकि यह संख्या बढ़ने की संभावना है।
बिजली की आपूर्ति ठप हो गई है और कई अस्पतालों और पब्लिक सर्विस सेक्टर्स को जनरेटर के भरोसे चलाना पड़ रहा है।
एफ-16 पायलट की शहादत: अंतिम उड़ान बना बलिदान की मिसाल
इस बड़े हमले को रोकने के लिए यूक्रेन की वायुसेना ने जबरदस्त जवाबी कार्रवाई की। इसी दौरान, एक एफ-16 लड़ाकू विमान के पायलट की मौत हो गई, जिन्हें देश की सुरक्षा के लिए बहादुरी से लड़ते हुए देखा गया।
मृत पायलट की पहचान यूक्रेनी वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी और प्रशिक्षक के रूप में हुई है। वे हाल ही में अमेरिका से एफ-16 की विशेष ट्रेनिंग लेकर लौटे थे।
उनकी अंतिम उड़ान को यूक्रेन में ‘हीरो की उड़ान’ कहा जा रहा है और उन्हें मरणोपरांत राष्ट्रीय सम्मान देने की तैयारी है।
राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की की अपील: “हमें अब और इंतजार नहीं करना चाहिए”
हमले के तुरंत बाद, राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेन्स्की ने एक आपात प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका और NATO से “तत्काल हवाई सुरक्षा सहायता” की मांग की।
उनका स्पष्ट कहना था — “हम ‘पैट्रियट सिस्टम’ खरीदने के लिए तैयार हैं, हमें सिर्फ समय पर डिलीवरी चाहिए।”
ज़ेलेन्स्की ने अमेरिका की कांग्रेस को एक बार फिर प्रस्ताव भेजा है, जिसमें उन्होंने लिखा:
“यदि हम समय पर रक्षा प्रणाली नहीं पाएंगे, तो यूक्रेन में हर नागरिक खतरे में रहेगा।”
इस समय अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की बड़ी प्रगति पर भी चर्चा हो रही है — जैसे कि शुभांशु शुक्ला के पहले दिन की अंतरिक्ष यात्रा को लेकर मिल रही वैश्विक प्रतिक्रियाएं, जो दर्शाती हैं कि कैसे वैश्विक फोकस तकनीक और सुरक्षा पर केंद्रित हो चुका है।
Russia’s largest aerial assault on Ukraine: Russia shoots down US-made F-16, Ukrainian pilot killed. pic.twitter.com/2Kchlm71FG
— Team SCB⚔️ #Citizen_Media🏹भारतपुत्र👣 (@1SanatanSatya) June 29, 2025
अमेरिका और पश्चिमी दुनिया की प्रतिक्रिया
अमेरिका के विदेश विभाग ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि “रूस की यह आक्रामकता अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।”
हालांकि अभी तक नई सैन्य सहायता की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
NATO ने भी एक आपात बैठक बुलाई है जिसमें यूक्रेन की हवाई सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने पर चर्चा की जा रही है।
यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि वे रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों पर विचार कर रहे हैं।
रूस की रणनीति: सर्दियों से पहले बढ़ती आक्रामकता
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हमला केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि साइकोलॉजिकल वारफेयर का हिस्सा है।
रूस ने सर्दियों से पहले यूक्रेन की ऊर्जा आपूर्ति और कम्युनिकेशन नेटवर्क को कमजोर करने की योजना बनाई है।
इतनी बड़ी मात्रा में ड्रोन और मिसाइलों का एकसाथ इस्तेमाल करना दिखाता है कि रूस अब इस युद्ध में असाधारण दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहा है।
इससे पहले भी रूस ने ठंड के मौसम में ऐसे हमलों की रणनीति अपनाई थी जिससे आम जनता की दैनिक जिंदगी और मनोबल पर असर हो।
वैश्विक प्रतिक्रिया और भारत की स्थिति
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस हमले पर “गंभीर चिंता” जताई है। उन्होंने रूस से तुरंत हमले रोकने और वार्ता बहाल करने की अपील की है।
भारत ने एक बार फिर संतुलित और तटस्थ रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि “भारत शांति और बातचीत के माध्यम से समाधान का पक्षधर है।”
हालांकि, भारत में रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला आने वाले समय में वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और कूटनीति पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण लेकिन निर्णायक
537 हथियारों के इस भयावह हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन-रूस युद्ध अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है।
यूक्रेन की ओर से यह संकेत दिया गया है कि अगर समय पर सैन्य सहायता मिली, तो वह अपने देश को बचाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की की यह अपील — “हम मदद मांग नहीं रहे, हम खरीदने को तैयार हैं” — एक मजबूत संकेत है कि यूक्रेन अब स्वावलंबी रक्षा नीति की ओर बढ़ रहा है।