भारत त्योहारों की भूमि है। यहाँ हर पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा होता है बल्कि समाज को जोड़ने, सकारात्मक ऊर्जा लाने और संस्कृति को जीवित रखने का माध्यम भी बनता है। इन्हीं में से एक है शारदीय नवरात्रि, जो माता दुर्गा और शक्ति उपासना का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है।
साल 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर (सोमवार) से शुरू होकर 30 सितंबर (मंगलवार) को विजयादशमी के साथ समाप्त होगी। नौ रातों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है और देशभर में श्रद्धालु व्रत रखकर माता की कृपा प्राप्त करते हैं।
नवरात्रि क्या है?
“नवरात्रि” का अर्थ है – नौ रातें। हिंदू धर्म में साल में चार बार नवरात्रि आती है – चैत्र, आषाढ़, शारदीय और माघ। इनमें सबसे खास मानी जाती है शारदीय नवरात्रि, क्योंकि यह शरद ऋतु में होती है और इसके साथ कई सांस्कृतिक उत्सव भी जुड़े रहते हैं।
नवरात्रि आत्मिक शुद्धि, तपस्या और भक्ति का पर्व है। इस दौरान श्रद्धालु उपवास करते हैं, कलश स्थापना करते हैं और देवी की पूजा करके अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
नवरात्रि का महत्व क्यों है? (पौराणिक दृष्टि से)
महिषासुर वध की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, महिषासुर नामक असुर ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि कोई भी देवता उसका वध न कर सके। वरदान पाकर वह अहंकारी हो गया और त्रिलोक में आतंक मचाने लगा।
देवताओं ने मिलकर अपनी शक्तियाँ एकत्र कीं और माता दुर्गा का रूप प्रकट हुआ। देवी ने नौ रातों तक महिषासुर से भीषण युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर संसार को आतंक से मुक्त कराया।
इसी विजय को याद करते हुए नवरात्रि मनाई जाती है।
श्रीराम और नवरात्रि
रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष पूजा की थी। इसे “आकाल बोधन” कहा जाता है क्योंकि यह पूजा पारंपरिक समय से अलग थी। देवी की कृपा से ही राम ने दशमी के दिन रावण का वध किया।
इसलिए नवरात्रि और दशहरा, दोनों ही अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माने जाते हैं।
दुर्गा सप्तशती का महत्व
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष माना जाता है। इसमें देवी के स्वरूप, उनकी महिमा और दैत्यों के वध की कथाएँ वर्णित हैं। श्रद्धालु इसे पढ़कर साहस, शक्ति और शांति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
शारदीय नवरात्रि 2025 की तिथियाँ और पूजा विधि
- आरंभ: 22 सितंबर 2025 (सोमवार)
- समापन: 30 सितंबर 2025 (मंगलवार – विजयादशमी)
घटस्थापना (कलश स्थापना)
नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है। शुभ मुहूर्त में मिट्टी के पात्र में जौ बोकर, जल से भरे कलश पर नारियल और आम्रपल्लव रखकर देवी का आह्वान किया जाता है।
पूजा विधि
- सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें
- कलश और देवी की मूर्ति के सामने दीपक और धूप जलाएँ
- दुर्गा सप्तशती, देवी कवच और स्तोत्र का पाठ करें
- प्रतिदिन सुबह-शाम आरती करें
- सात्विक आहार लें और मन को संयमित रखें
👉 धार्मिक अनुष्ठानों में समय और वातावरण का विशेष महत्व होता है। जैसा कि हमने Sarva Pitra Amavasya 2025: तारीख और पूजा विधि में बताया है, शुद्ध वातावरण से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
Shardiya Navratri 2025 Schedule pic.twitter.com/XSy1Otx5hg
— Beauty Of India🇮🇳 (@BeautyofIndia9) September 5, 2025
देवी दुर्गा के नौ रूप और उनकी आराधना
नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है:
- शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री, स्थिरता और धैर्य की प्रतीक।
- ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम की देवी।
- चंद्रघंटा – वीरता और शांति प्रदान करने वाली।
- कुष्मांडा – ब्रह्मांड की रचयिता।
- स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा की प्रतिमूर्ति।
- कात्यायनी – दुष्टों का नाश करने वाली योद्धा देवी।
- कालरात्रि – भय और अज्ञान का नाश करने वाली।
- महागौरी – पवित्रता और शांति की प्रतीक।
- सिद्धिदात्री – सिद्धियाँ और आशीर्वाद देने वाली।
प्रत्येक दिन की पूजा विशेष फल प्रदान करती है और भक्त अपनी मनोकामना अनुसार माता की आराधना करते हैं।
नवरात्रि और सांस्कृतिक उत्सव
नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है।
- गुजरात – गरबा और डांडिया का उल्लास।
- पश्चिम बंगाल – दुर्गा पूजा पंडालों की भव्यता।
- उत्तर भारत – रामलीला और दशहरा का उत्सव।
- दक्षिण भारत – गोलू सजाने की परंपरा।
इन उत्सवों से नवरात्रि समाज में एकता, आनंद और सामूहिकता का संदेश देती है।
आधुनिक दौर में नवरात्रि
आजकल नवरात्रि के उत्सव में आधुनिकता भी शामिल हो गई है।
- ऑनलाइन पूजा और वर्चुअल प्रसाद
- ईको-फ्रेंडली मूर्तियों का प्रयोग
- सोशल मीडिया पर गरबा-डांडिया की धूम
- युवा पीढ़ी की सक्रिय भागीदारी
नवरात्रि से मिलने वाले जीवन संदेश
- बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश
- नारी शक्ति का सम्मान
- संयम और आत्मविश्वास की महत्ता
- समाज में एकजुटता और भाईचारे की भावना
निष्कर्ष
शारदीय नवरात्रि 2025 केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि जीवन जीने की एक प्रेरणा है। यह पर्व हमें बताता है कि आस्था और साहस से हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है।
जब आप इस वर्ष नवरात्रि का व्रत और पूजा करें, तो केवल परंपरा निभाने के लिए न करें, बल्कि इसे आत्मशक्ति और समाज में सकारात्मकता फैलाने का अवसर बनाइए।
🙏 एक सवाल आपसे – आपके लिए नवरात्रि का सबसे खास पहलू क्या है? कौन-सा देवी स्वरूप आपको सबसे ज्यादा प्रेरित करता है?
अपनी राय हमें कमेंट में ज़रूर बताइए।