भारत में स्ट्रीट फूड का अपना अलग ही महत्व है। गली-नुक्कड़ों से लेकर बड़े शहरों तक लोग चाट, पकौड़ी, पानीपुरी और कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन पसंद करते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ एक बड़ी चुनौती हमेशा सामने रही है—स्वच्छता और फूड सेफ्टी मानकों का पालन। अब इसी कमी को दूर करने के लिए देशभर में सड़क विक्रेताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि ग्राहकों को सुरक्षित और साफ-सुथरा भोजन मिल सके।
प्रशिक्षण अभियान की शुरुआत
फूड सेफ्टी विभाग और स्थानीय प्रशासन ने कई शहरों में अभियान की शुरुआत की है। इसके तहत सड़क किनारे खाने-पीने की दुकान लगाने वाले विक्रेताओं को ट्रेनिंग दी जा रही है।
इस ट्रेनिंग में खाना पकाने से पहले हाथ धोना, साफ बर्तनों का इस्तेमाल, खाने को ढककर रखना और पीने के पानी की शुद्धता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर फोकस किया गया है।
Food Safety and Standards Authority of India (@fssaiindia) has taken a big step towards ensuring clean and safe food in our country. So far, more than 3 lakh street food vendors have been trained to maintain hygiene and serve better quality food to people.
Under the Food Safety… pic.twitter.com/RXFAsGB7Gl
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) August 16, 2025
स्वच्छता मानकों पर विशेष जोर
- खाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की क्वालिटी पर ध्यान देना
- बासी या खराब सामग्री का उपयोग न करना
- खाना बनाते समय साफ एप्रन और टोपी पहनना
- ग्राहकों को भोजन हमेशा ढककर देना
ये सभी बिंदु विक्रेताओं को समझाए जा रहे हैं ताकि ग्राहकों के स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।
FSSAI और “ईट राइट इंडिया” अभियान
यह पूरा प्रशिक्षण कार्यक्रम फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के “Eat Right India” अभियान से जुड़ा हुआ है।
इस अभियान का उद्देश्य है कि भारत में हर व्यक्ति को सुरक्षित, पौष्टिक और साफ भोजन मिले। ट्रेनिंग के बाद विक्रेताओं को प्रमाण पत्र और हेल्थ कार्ड भी दिए जाएंगे, ताकि ग्राहक भी भरोसे के साथ वहां खाना खा सकें।
Street food with safety — Modi Govt’s FoSTaC has trained 3 lakh+ heroes, serving every bite cleaner, safer, tastier. 😋 pic.twitter.com/8hk8PbeCpj
— BJP (@BJP4India) August 16, 2025
विक्रेताओं की प्रतिक्रिया
कई विक्रेताओं ने माना कि उन्हें यह ट्रेनिंग काफी फायदेमंद लग रही है।
पहले वे स्वच्छता को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर नहीं थे, लेकिन अब उन्हें समझ आया है कि साफ-सफाई से न सिर्फ ग्राहक संतुष्ट होंगे बल्कि उनका कारोबार भी बढ़ेगा।
कुछ विक्रेताओं ने बताया कि अब ग्राहक उनसे बार-बार यही कहते हैं कि “भाई, साफ और ढककर खाना दो”।
आम जनता को बड़ा लाभ
इस अभियान का सबसे बड़ा फायदा आम जनता को मिलेगा।
- खाने से फैलने वाली बीमारियों में कमी आएगी
- ग्राहक और विक्रेताओं के बीच भरोसा बढ़ेगा
- लोकल फूड टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि विदेशी पर्यटक भी अब स्ट्रीट फूड का आनंद निश्चिंत होकर ले पाएंगे।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि यह पहल सराहनीय है, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं।
- हर शहर और कस्बे तक ट्रेनिंग पहुँचाना आसान नहीं होगा
- लगातार निगरानी और निरीक्षण ज़रूरी है
- लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा कि वे केवल उन्हीं स्टॉल्स से खाना खाएँ जहाँ स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है
इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रशासन ने योजना बनाई है कि समय-समय पर surprise inspections होंगे और जिन विक्रेताओं ने नियमों का पालन नहीं किया, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
भविष्य की संभावनाएँ
सरकार और फूड सेफ्टी टीम का इरादा है कि आने वाले समय में यह अभियान पूरे भारत में फैले।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स और डिजिटल हेल्थ मॉनिटरिंग से जुड़कर स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को और भी बेहतर प्रशिक्षण और सहायता दी जाएगी।
पाठकों से सवाल
स्ट्रीट फूड भारत की पहचान है और अगर इसे सुरक्षित व स्वच्छ बनाया जाए तो यह हमारी संस्कृति और स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहतरीन होगा।
यह ट्रेनिंग पहल निश्चित रूप से देश के फूड सेक्टर में बदलाव लाने वाली साबित हो सकती है।
आपकी राय क्या है?
क्या आपको लगता है कि ट्रेनिंग से वाकई स्ट्रीट फूड भरोसेमंद और सुरक्षित होगा?
अपने विचार हमें कमेंट में ज़रूर बताएं।