भारत सरकार द्वारा हाल ही में ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों को सुरक्षित वापस लाने के लिए एक अहम रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। इस अभियान के तहत सैकड़ों छात्रों को हवाई मार्ग से दिल्ली लाया गया, जिनमें बड़ी संख्या जम्मू और कश्मीर से थी।
सरकार ने जल्द से जल्द छात्रों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की, जिसके तहत उन्हें बसों द्वारा जम्मू भेजा जाना था। लेकिन छात्रों की यात्रा आरामदायक होने के बजाय असुविधाओं से भरी रही।
🟢 छात्रों की शिकायत: “बसों की हालत बेहद खराब थी”
ईरान से लौटे छात्रों ने जब दिल्ली से जम्मू जाने के लिए बस में सफर शुरू किया, तो उन्हें उम्मीद थी कि सरकार की तरफ से एक सुरक्षित और सुविधाजनक व्यवस्था की गई होगी।
लेकिन छात्रों ने जो अनुभव किया, वो बेहद निराशाजनक था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बसों की हालत बेहद जर्जर थी—सीटें टूटी हुई थीं, एसी काम नहीं कर रहा था, और सफाई का नामोनिशान नहीं था।
एक छात्र ने बताया, “हम मुश्किल हालात से बचकर आए हैं, लेकिन यहां भी हमें परेशानी झेलनी पड़ी।” छात्रों ने न केवल प्रशासन को कोसा बल्कि मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए भी अपनी बात रखी।
How can you expect students who’ve been travelling for 4 days to continue their journey by bus—especially when the buses provided were in such poor condition? This is unacceptable. pic.twitter.com/sJXaUyMtAO
— Dr Mohammad Momin Khan (@DrMomin05) June 19, 2025
🟢 मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया
छात्रों की शिकायतों को सुनते ही तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी मिली है और वे व्यक्तिगत रूप से इसका संज्ञान ले रहे हैं।
उन्होंने ट्वीट किया,
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्रों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा। हम तुरंत परिवहन विभाग से बात करेंगे और डीलक्स बसों की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।”
इस प्रतिक्रिया ने ना सिर्फ छात्रों बल्कि उनके परिजनों को भी राहत दी, जो लगातार अपने बच्चों की चिंता में थे।
🟢 सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुई प्रतिक्रिया
जैसे ही छात्रों के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आईं, लोगों की नाराजगी और समर्थन दोनों देखने को मिले। ट्विटर और फेसबुक पर कई यूज़र्स ने सरकार से सवाल पूछे, वहीं कुछ ने कहा कि सरकार ने फंसे हुए नागरिकों को वापिस लाकर पहले ही बहुत बड़ा काम किया है।
विरोध और समर्थन के बीच, एक बात साफ थी—लोग चाहते हैं कि ऐसे संकट की घड़ी में सरकार हर स्तर पर जिम्मेदारी से काम करे।
Send them back to Iran — India doesn’t need them..
These are the same students who were safely evacuated by the GOI from the warzone in Iran, & now they’re complaining about not being provided a luxurious bus at Delhi Airport.#OperationSindhu #Iran #Israel #IranIsraelConflict pic.twitter.com/jvCtuywBGF
— Ashwini Shrivastava (@AshwiniSahaya) June 19, 2025
🟢 प्रशासन की सफाई और तात्कालिक कदम
छात्रों की शिकायतों के बाद प्रशासन भी सक्रिय हुआ। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि यह स्थिति “संचालन में हुई एक गलती” के कारण हुई और आगे से ऐसी चूक नहीं होगी।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निर्देश पर कुछ ही घंटों में डीलक्स बसों की व्यवस्था की गई और छात्रों को सुरक्षित एवं आरामदायक यात्रा प्रदान की गई।
एक अधिकारी ने बताया, “हमें छात्रों की चिंता समझ में आई। हमने तुरंत उच्च स्तरीय बसें भेजीं और सबको समय से गंतव्य तक पहुँचाया।”
गौरतलब है कि ईरान से जुड़े मुद्दे हाल के दिनों में वैश्विक राजनीति में लगातार चर्चा का विषय बने हुए हैं। इसी संदर्भ में हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट “ट्रंप की चेतावनी के बाद रूस ने ईरान का समर्थन किया” भी अवश्य पढ़ें, जिसमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भारत की भूमिका और प्रतिक्रिया को विस्तार से समझाया गया है।
🟢 छात्रों के अनुभव: मिली राहत लेकिन शिकायत बनी रही
कुछ छात्रों ने कहा कि शुरुआती परेशानी के बाद उन्हें डीलक्स बसें मिलने पर राहत महसूस हुई, लेकिन वे अभी भी पहले हुई असुविधा को भूल नहीं पा रहे हैं।
एक छात्रा ने बताया, “हमारे लिए ये यात्रा यादगार होनी चाहिए थी लेकिन शुरुआत बेहद तनावपूर्ण रही।”
वहीं कुछ छात्रों ने सरकार की तेजी से प्रतिक्रिया की सराहना की और कहा कि यह दिखाता है कि जिम्मेदार अधिकारी छात्रों की बात सुनते हैं।
🟢 इस घटना से क्या सबक मिलता है?
इस पूरे घटनाक्रम से ये स्पष्ट होता है कि आपातकालीन स्थितियों में रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी ज़मीनी व्यवस्था पर ध्यान देना ज़रूरी है।
छात्रों की सुरक्षा और सुविधा केवल एयरलिफ्ट तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि अंतिम गंतव्य तक उनकी सुरक्षित और सम्मानजनक यात्रा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
इसके लिए स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार को और अधिक सजग और संवेदनशील बनने की आवश्यकता है।
🟢सरकार की तत्परता बनी चर्चा का विषय
ईरान से लौटे छात्रों के लिए जिस तरह मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तुरंत जवाब दिया और त्वरित कार्रवाई कर डीलक्स बसों की व्यवस्था की, वह शासन की सकारात्मक झलक देता है।
भविष्य में ऐसी स्थितियों से बेहतर निपटने के लिए प्रशासनिक तैयारी और संवेदनशीलता दोनों आवश्यक हैं।
छात्रों को राहत तो मिली, लेकिन यह घटना हमें याद दिलाती है कि ‘सुरक्षित वापसी’ केवल फ्लाइट तक सीमित नहीं होनी चाहिए।