देश की सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनके सेना को लेकर दिए गए एक विवादित बयान पर सख्त लहजे में फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि “एक सच्चा भारतीय इस तरह की टिप्पणी नहीं कर सकता।” हालांकि, कोर्ट ने साथ ही उनके खिलाफ चल रही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर अंतरिम रोक भी लगा दी है।
यह पूरा मामला राहुल गांधी के उस बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “भारतीय सैनिकों को चीन की सेना ने पीटा था।” इस टिप्पणी को लेकर देश में काफी विवाद खड़ा हो गया था और इसे अपमानजनक माना गया।
सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी: ‘सच्चा भारतीय ऐसी टिप्पणी नहीं करेगा’
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के बयान को अस्वीकार्य बताया और कहा कि “इस प्रकार की बयानबाजी न केवल सेना का मनोबल गिराती है, बल्कि यह एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि के स्तर से भी नीचे है।”
पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने पूछा कि,
“आप संसद में सवाल क्यों नहीं पूछते? सोशल मीडिया पर इस तरह के बयान देना क्या जिम्मेदारी का परिचायक है?”
इस सख्त टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया कि अदालत किसी भी रूप में सेना की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली बातों को सहन नहीं करेगी।
सेना पर बयान: आखिर राहुल गांधी ने क्या कहा था?
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब राहुल गांधी ने 2023 में अरुणाचल प्रदेश के दौरे के दौरान दावा किया था कि “भारतीय सेना को चीन की सेना ने पीटा था।” उनका यह बयान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस और सोशल मीडिया वीडियो के जरिए सामने आया था।
इसके बाद वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और कई सैन्य संगठनों, पूर्व सैनिकों और नागरिकों ने इसे लेकर आपत्ति दर्ज की।
इस बयान को न केवल सेना का अपमान बताया गया, बल्कि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशीलता के साथ खेलने की कोशिश के रूप में देखा गया।
Once again Rahul Gandhi is reprimanded by Supreme Court for his remarks against Indian Army
RG & Congress leaders are repeated offenders who dont blink an eye before insulting our brave soldiers😡🥵😡 pic.twitter.com/yG94lz3zKM
— Truth Unplugged (@Truth_Unplugged) August 4, 2025
कोर्ट ने क्यों लगाई मानहानि केस पर रोक?
हालांकि कोर्ट ने राहुल गांधी के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी, लेकिन साथ ही उन्होंने उनके खिलाफ चल रही आपराधिक मानहानि कार्यवाही पर स्थगन (stay) भी जारी किया।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की दलीलों में गंभीर कानूनी मुद्दे शामिल हैं, जिनकी जांच जरूरी है।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि –
“क्या राजनीतिक विमर्श का मंच सोशल मीडिया होना चाहिए, जब संसद जैसे संवैधानिक मंच मौजूद हैं?”
हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह स्थगन अंतिम निर्णय नहीं है, और मामले की आगे गहराई से जांच होगी।
राहुल गांधी की प्रतिक्रिया और कांग्रेस का रुख
अब तक राहुल गांधी की ओर से इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने उन्हें समर्थन देते हुए कहा कि “राहुल गांधी ने हमेशा सेना के शौर्य और बलिदान का सम्मान किया है।”
कांग्रेस प्रवक्ताओं ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” का मामला बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से निष्पक्षता की उम्मीद जताई।
पार्टी के कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि विपक्षी नेताओं को चुप कराने के लिए इस प्रकार के मामले उठाए जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी और संविधानिक संकेत
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि “लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है, लेकिन उसकी सीमाएं भी तय हैं।”
न्यायालय ने जनप्रतिनिधियों को याद दिलाया कि उन्हें “जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए जिम्मेदार और संतुलित भाषा का प्रयोग करना चाहिए।”
यह टिप्पणी उस समय महत्वपूर्ण मानी जा रही है जब देश में चुनावी गतिविधियां तेज हो रही हैं और राजनेता एक-दूसरे पर हमलावर हो रहे हैं।
विवाद के बाद की स्थिति और आगे की राह
यह मामला भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, न्यायिक संतुलन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनकर उभरा है।
जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी को स्पष्ट किया, वहीं दूसरी ओर उसने कानूनी प्रक्रिया की निष्पक्षता भी बनाए रखी।
अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में इस मामले में अगली सुनवाई में कोर्ट क्या निष्कर्ष निकालता है और इसका राजनीतिक प्रभाव कितना गहरा होता है।