स्वामी चैतन्यनंदा का नाम इन दिनों सुर्खियों में है। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स ने एक बार फिर समाज को झकझोर दिया है। आरोप है कि दशकों तक उन्होंने कई पहचान अपनाई और यहां तक कि दो पासपोर्ट भी हासिल किए। एक तरफ उन्हें लोग धार्मिक गुरु मानते रहे, तो दूसरी तरफ उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक आरोपों की परतें खुलती चली गईं।
स्वामी चैतन्यनंदा कौन हैं?
स्वामी चैतन्यनंदा ने खुद को हमेशा एक साधु, संत और अध्यात्मिक गुरु के रूप में प्रस्तुत किया। बताया जाता है कि उनकी छवि लोगों को आकर्षित करती थी और धीरे-धीरे उनके अनुयायी बढ़ते गए। लेकिन पुलिस की जांच में सामने आया कि उनकी असलियत कहीं और थी।
दशकों तक अलग-अलग पहचान का इस्तेमाल कर उन्होंने लोगों का विश्वास जीता और इस दौरान खुद को कई नामों से पेश किया। धार्मिक आस्था का सहारा लेकर उन्होंने समाज के एक बड़े तबके तक पहुंच बनाई।
‘Godman’ Chaitanyananda Arrested | Here’s what Delhi Police found after arresting Delhi’s ‘Baba’ Chaitanyananda:
Fake UN diplomatic ID cards
Rs 8 crore in frozen bank accounts
2 passports under different names
Car with fake UN license plate
Sleazy chats with students
Hidden… pic.twitter.com/3cBRIaDNks— Republic (@republic) September 28, 2025
कई पहचान और दो पासपोर्ट का खुलासा
सबसे बड़ा खुलासा यह है कि स्वामी चैतन्यनंदा के पास दो अलग-अलग पासपोर्ट थे। जांच में पता चला कि दोनों पासपोर्ट अलग-अलग नामों से जारी किए गए थे। सवाल यह है कि ऐसा कैसे संभव हुआ और इतनी बड़ी चूक अधिकारियों से कैसे हुई?
कई पहचान रखने से उन्हें देश और समाज में आसानी से इधर-उधर जाने, पहचान छिपाने और कानूनी शिकंजे से बचने में मदद मिली। दो पासपोर्ट की कहानी ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है।
आश्रम और विवादों की पृष्ठभूमि
दिल्ली स्थित उनके आश्रम से जुड़े कई विवाद समय-समय पर सामने आते रहे हैं। महिलाओं ने उन पर आरोप लगाए कि आश्रम में रहते हुए उन्हें परेशान किया गया।
इसके अलावा, कई बार शिकायतें हुईं कि आश्रम के भीतर गतिविधियाँ अध्यात्म से ज़्यादा व्यक्तिगत लाभ और प्रभाव बढ़ाने पर केंद्रित थीं। इन सब घटनाओं ने उनकी छवि पर गहरे सवाल खड़े कर दिए।
हालिया पुलिस कार्रवाई और जांच
पुलिस ने हाल ही में स्वामी चैतन्यनंदा को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। क्राइम सीन रीक्रिएशन तक कराया गया, ताकि यह समझा जा सके कि घटनाएं कैसे हुईं।
इसके अलावा, उनके करीबियों और सहयोगियों की भी गिरफ्तारी हुई है। जांच में पता चला कि सहयोगियों ने न सिर्फ उनकी मदद की बल्कि पीड़ितों को डराने-धमकाने तक का काम किया। अब पुलिस अगली कार्रवाई के लिए सबूत जुटा रही है।
पीड़ितों के आरोप और अनुभव
कई महिलाओं ने खुलकर सामने आकर आरोप लगाया कि आश्रम में उनके साथ गलत व्यवहार किया गया। कुछ ने यह भी बताया कि जब उन्होंने शिकायत की, तो परिवार पर धमकियों का दबाव डाला गया।
ऐसे मामलों में पीड़ितों को सुरक्षा देना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। फिलहाल पीड़ितों को सुरक्षा मुहैया कराई गई है ताकि वे बिना डर के अपनी बात रख सकें।
समाज और अनुयायियों की प्रतिक्रिया
स्वामी चैतन्यनंदा को जो लोग श्रद्धा की नजर से देखते थे, उनके लिए यह खबर किसी बड़े सदमे से कम नहीं है। कई अनुयायियों ने निराशा जताई तो कई ने कहा कि वे अब किसी भी बाबा या गुरु पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करेंगे।
सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर लगातार चर्चा हो रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतने लंबे समय तक उन्हें कई पहचान रखने की अनुमति कैसे मिली।
पहले भी उठे थे सवाल
यह पहली बार नहीं है जब किसी बाबा या स्वयंभू गुरु पर गंभीर आरोप लगे हैं। इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां धार्मिक आस्था की आड़ में अनुयायियों को गुमराह किया गया।
समाज में धार्मिक संस्थाओं पर बढ़ते अविश्वास का यह एक और उदाहरण है।
आगे की राह: जांच और कानून की चुनौती
पुलिस अब सबूतों को मजबूत कर अदालत में पेश करने की तैयारी में है। हालांकि, कानूनी प्रक्रिया लंबी होती है और आरोपी के पास बचाव के लिए कई रास्ते रहते हैं।
इस पूरे मामले ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है – क्या आस्था के नाम पर अपराध छिपाए जा सकते हैं? आने वाले दिनों में अदालत का रुख तय करेगा कि समाज को न्याय मिलता है या फिर मामला वर्षों तक खिंचता है।
निष्कर्ष
स्वामी चैतन्यनंदा का मामला सिर्फ एक व्यक्ति या आश्रम तक सीमित नहीं है। यह समाज के लिए एक सीख है कि आंख मूंदकर किसी पर भरोसा करना नुकसानदेह साबित हो सकता है।
आपका क्या मानना है, क्या ऐसे मामलों में सख्त कानून बनाने की ज़रूरत है? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं।




















