अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में रहने वाले तेलंगाना के युवक मोहम्मद निज़ामुद्दीन (30 वर्ष) की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई। बताया जा रहा है कि यह घटना सांता क्लारा (Santa Clara) में उस समय हुई, जब उनके रूममेट के साथ झगड़े की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुँची। पुलिस का दावा है कि युवक हाथ में चाकू लेकर हमलावर हो गया था, जबकि परिवार का कहना है कि मोहम्मद ने ही पुलिस को मदद के लिए फोन किया था। अब परिवार ने भारत सरकार और विदेश मंत्रालय (MEA) से अपील की है कि मृतक का शव भारत लाया जाए और मामले की निष्पक्ष जाँच हो।
घटना का विवरण: कब और कैसे हुई गोलीबारी
यह घटना 15 सितंबर 2025 को दर्ज हुई। सांता क्लारा पुलिस के अनुसार, देर रात 911 इमरजेंसी कॉल पर सूचना दी गई थी कि दो लोगों के बीच झगड़ा हो रहा है। जब पुलिस पहुँची तो मोहम्मद निज़ामुद्दीन और उनके रूममेट के बीच विवाद चल रहा था। रिपोर्ट्स के अनुसार, निज़ामुद्दीन ने चाकू से अपने रूममेट पर हमला किया और पुलिस को देखते ही उनके ऊपर भी झपट पड़ा। इसी दौरान एक अधिकारी ने चेतावनी देते हुए गोली चलाई।
गोली लगने के बाद निज़ामुद्दीन को पास के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस का कहना है कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा और दूसरे की सुरक्षा के लिए ज़रूरी थी।
#WATCH | Mahabubnagar, Telangana: A family from Mahabubnagar city is seeking assistance from the Indian and Telangana state governments to bring back the body of their son, Mohammad Nizamuddin, who was allegedly killed in a police shootout in California, USA, where he had gone… pic.twitter.com/Zl8Y6BGOaa
— ANI (@ANI) September 19, 2025
पुलिस का बयान
सांता क्लारा पुलिस विभाग का कहना है कि अधिकारी मौके पर स्थिति को काबू करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने निज़ामुद्दीन को कई बार हथियार फेंकने के लिए कहा, लेकिन जब उन्होंने आदेश मानने से इंकार किया और पुलिस पर झपट पड़े, तब गोली चलाई गई।
पुलिस ने यह भी कहा कि पूरे ऑपरेशन की बॉडीकैम फुटेज उपलब्ध है, जिसे जाँच एजेंसियों के सामने रखा जाएगा। इस बीच, पुलिस ने मृतक के रूममेट की जान बचाने को लेकर अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया है।
परिवार का पक्ष
भारत में निज़ामुद्दीन का परिवार इस घटना को पुलिस की लापरवाही बता रहा है। उनका कहना है कि मोहम्मद ने ही पुलिस को फोन करके मदद माँगी थी, लेकिन उसी के साथ यह दुखद घटना घट गई।
परिवार का आरोप है कि मामले की पूरी तरह निष्पक्ष जाँच नहीं की जा रही। उनका कहना है कि उनके बेटे को मानसिक तनाव की समस्या थी, लेकिन पुलिस ने स्थिति संभालने के बजाय गोली चलाने का रास्ता चुना।
परिवार ने अब सीधे भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से गुहार लगाई है कि उनके बेटे का शव भारत लाने की प्रक्रिया में मदद की जाए ताकि अंतिम संस्कार अपने वतन में किया जा सके।
विदेश मंत्रालय और भारत सरकार की भूमिका
परिवार की अपील के बाद अब नजरें भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) पर टिकी हुई हैं। भारतीय दूतावास (Embassy of India, Washington DC) भी इस मामले पर अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क बनाए हुए है।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि वे परिवार के संपर्क में हैं और हर संभव मदद की जाएगी। शव को भारत लाने के लिए कानूनी औपचारिकताएँ पूरी की जा रही हैं। इसके अलावा, MEA ने अमेरिकी प्रशासन से भी विस्तृत रिपोर्ट माँगी है।
One Mohammed Nizamuddin-29 years resident of Mahbubnagar District in Telangana State, who went to persue Masters in the USA and was living in Santa Clara in California was shot dead by police during a commotion with his roommates, His mortal remains are lying in a hospital in… pic.twitter.com/7S8zQFFjJU
— Amjed Ullah Khan MBT (@amjedmbt) September 18, 2025
जाँच और कानूनी प्रक्रिया
अमेरिकी कानून के मुताबिक, ऐसे मामलों में डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ऑफिस और आंतरिक जाँच इकाई (Internal Affairs) की टीम जांच करती है। इस घटना की भी पूरी जाँच की जा रही है।
सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या पुलिस ने नॉन-लेथल ऑप्शन (जैसे टेज़र गन, पेपर स्प्रे) इस्तेमाल किए बिना सीधे गोली चलाकर ज़रूरी से ज्यादा बल का प्रयोग किया।
भारतीय समुदाय और लोगों की प्रतिक्रिया
अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय और खासकर तेलुगु एसोसिएशन ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है। उनका कहना है कि लगातार भारतीयों के साथ ऐसी घटनाएँ हो रही हैं, जिनसे प्रवासी भारतीय असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
भारत में भी सोशल मीडिया पर लोग इस मामले पर अपनी राय दे रहे हैं। कई लोग पूछ रहे हैं कि जब कोई व्यक्ति मदद के लिए पुलिस को कॉल करता है, तो वही पुलिस उसके खिलाफ घातक कार्रवाई क्यों करती है।
यही जनभावना कई बार भारत की राजनीति और समाज में भी देखने को मिलती है। उदाहरण के लिए, हाल ही में हमारे लेख Rahul Gandhi blocked ECI vote chori reaction में भी यह देखा गया था कि जनता संस्थाओं पर भरोसे और सवालों को लेकर कितनी संवेदनशील रहती है।
अंतरराष्ट्रीय कानून और शव वापसी की प्रक्रिया
शव को भारत लाने के लिए परिवार को कई कानूनी औपचारिकताओं से गुजरना पड़ता है। इसमें अमेरिका के स्थानीय अस्पताल और पुलिस से डेथ सर्टिफिकेट, फिर भारतीय दूतावास की अनुमति और एयरलाइन क्लीयरेंस जरूरी होती है। इस प्रक्रिया में 7 से 10 दिन का समय लग सकता है।
MEA आमतौर पर इस तरह के मामलों में परिवार को आर्थिक सहायता, दस्तावेज़ और एंबेसी से समन्वय करने में मदद करता है।
निष्कर्ष
तेलंगाना के युवक मोहम्मद निज़ामुद्दीन की मौत ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि विदेशों में भारतीयों की सुरक्षा कितनी सुनिश्चित है। परिवार की पीड़ा यह है कि उनका बेटा मदद के लिए पुलिस को बुलाता है और उसी पुलिस से उसकी जान चली जाती है।
अब ज़िम्मेदारी भारतीय विदेश मंत्रालय की है कि वह न केवल शव को सुरक्षित भारत लाने की प्रक्रिया तेज़ करे, बल्कि अमेरिकी प्रशासन से न्याय सुनिश्चित करने की मांग भी करे।
यह घटना भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए चेतावनी है कि विदेश में रहकर कानून और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को कितना गंभीरता से लेना जरूरी है।