पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कई आतंकी घटनाएं झेली हैं। लेकिन अब रुख बदल गया है। प्रधानमंत्री ने जो बात कही, वो सिर्फ एक बयान नहीं था — वो भविष्य के भारत की सोच का आईना है। एक ऐसा भारत, जो अब आतंकवाद को सिर्फ चेतावनी या बयान से नहीं, कठोर जवाब से निपटेगा।
ट्रम्प से बातचीत: हमदर्दी नहीं, समझदारी का समय
हालिया आतंकी घटना के बाद प्रधानमंत्री की अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प से बातचीत में भावनाओं से ज्यादा साफ नीति की झलक थी। जहां एक तरफ हमले पर संवेदना व्यक्त की गई, वहीं दूसरी तरफ यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत अब इसे एक ‘घटना’ नहीं मानता, बल्कि इसे एक तरह की युद्ध जैसी स्थिति के रूप में देखता है।
“अब यह युद्ध है” – शब्दों से आगे का संदेश
प्रधानमंत्री का यह कहना कि आतंकवाद अब “proxy war” नहीं रहा, दरअसल बहुत कुछ कह जाता है। अब भारत की सोच ये नहीं कि हम कूटनीतिक बयान दें और इंतजार करें, बल्कि अब हर हमले का जवाब सोच-समझकर और उसी तीव्रता से दिया जाएगा। ये शब्द अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी एक कड़ा संदेश हैं।
Here are the key takeaways from the telephonic conversation between Prime Minister Shri @narendramodi and US President Donald Trump:
A thread 🧵
— BJP (@BJP4India) June 18, 2025
ऑपरेशन सिंदूर: नीति नहीं, तैयारी का संकेत
कई बार सरकारें बड़े ऑपरेशन की बात करती हैं, लेकिन इस बार ऑपरेशन सिंदूर के नाम से चलाया गया अभियान केवल नाम भर का नहीं है। इसके पीछे एक व्यवस्थित, सोची-समझी रणनीति है। सीमाओं के उस पार बैठे लोगों को ये महसूस हो रहा है कि अब भारत सिर्फ रक्षा नहीं करता, जरूरत पड़े तो पहलकदमी भी कर सकता है।
मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं – भारत खुद फैसले लेगा
कई बार भारत-पाकिस्तान मुद्दे पर तीसरे पक्ष की बात उठती है। लेकिन अब तस्वीर अलग है। प्रधानमंत्री ने ये बात बिलकुल साफ कर दी है कि अब भारत को किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं। हमने अपनी नीति खुद तय की है और उसी के अनुसार हर कदम बढ़ाया जाएगा।
पुराना भारत नहीं रहा – अब की सोच है ठोस और स्पष्ट
अगर हम कुछ साल पीछे जाएं, तो कई आतंकी हमलों के बाद भी भारत केवल कूटनीतिक विरोध तक सीमित था। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। पुलवामा के बाद जैसी प्रतिक्रिया मिली, वो इस बदलाव की शुरुआत थी — और अब तो भारत पूरी तरह से एक नया रुख अपना चुका है।
जनता की भावना – समर्थन नहीं, उम्मीद भी
भारत की जनता अब केवल नेता के भाषण सुनकर ताली नहीं बजाती। उसे काम दिखता है तो वह समर्थन देती है। प्रधानमंत्री के इस बयान पर जिस तरह लोगों की प्रतिक्रिया सामने आई है, उससे स्पष्ट है कि अब देश चाहता है – ‘जो कहा जाए, वो किया भी जाए।’ और अभी तक की नीति देखकर लगता है कि इस बार सिर्फ शब्दों तक बात नहीं रुकेगी।
नीतियों में बदलाव नहीं, सोच में क्रांति
यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत अब सिर्फ ‘बोलने’ वाला देश नहीं रहा। प्रधानमंत्री के हालिया बयान और रणनीतिक रुख से यह साफ है कि अब हर हमला एक सीधे प्रतिकार का कारण बनेगा। और यही भारत को दुनिया के सामने एक नए रूप में पेश करेगा — सजग, सक्रिय और सख्त।
भारत सरकार की ओर से जारी की गई सुरक्षा नीति में अब यह बात पूरी स्पष्टता के साथ सामने आई है कि कोई भी आतंकी हमला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक युद्ध समझा जाएगा। यही कारण है कि विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को भी तेजी से निकाला जा रहा है। हाल ही में ईरान से 110 भारतीय छात्रों को एयरलिफ्ट कर अर्मेनिया होते हुए सुरक्षित दिल्ली लाया गया, जो भारत की बदलती विदेश और सुरक्षा नीति का ही हिस्सा है।