अमेरिकी राजनीति से दुनिया में हलचल
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐसा धमाका किया है, जिसकी गूंज वॉल स्ट्रीट से लेकर हैदराबाद के फार्मा कॉरिडोर तक सुनाई दे रही है। उन्होंने एलान किया कि सभी ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% आयात शुल्क लगाया जाएगा। यह फैसला अमेरिका की अगली चुनावी लड़ाई का हिस्सा भी माना जा रहा है, और इसके आर्थिक नतीजे वैश्विक होंगे।
क्यों यह कदम गेम-चेंजर है
ट्रम्प का तर्क है कि अमेरिकी जनता को “मेड इन यूएसए” दवाएं मिलनी चाहिए और विदेशी निर्भरता खत्म होनी चाहिए। जिन कंपनियों ने अमेरिका में विनिर्माण इकाई शुरू कर दी है उन्हें राहत मिलेगी, मगर बाकी पर सीधे 100% टैक्स। सवाल यही है कि जेनरिक और हाई-एंड बायोसिमिलर दवाएं भी दायरे में आएंगी या नहीं—इस अस्पष्टता ने दुनिया भर के निवेशकों को बेचैन कर दिया है।
भारतीय फार्मा पर सीधा वार
भारत जेनरिक दवाओं का ग्लोबल हब है और अमेरिकी बाज़ार उसकी कमाई का बड़ा हिस्सा है। एक झटके में भारतीय दवा निर्यात की पूरी गणित बदल सकती है।
- निर्यात राजस्व पर दबाव
- उत्पादन लागत में उछाल
- अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में संभावित वृद्धि
घोषणा के बाद भारतीय फार्मा शेयर लाल निशान में बंद हुए। निवेशक मान रहे हैं कि कंपनियों को या तो अमेरिका में संयंत्र लगाने होंगे या मार्जिन कुर्बान करना होगा।
🚨 Trump admin to slap 100% TARIFF on branded/patented pharma imports from Oct 1. India safe, 95% of its $13B exports to US are generics.
Biggest hit on Ireland, Switzerland, Germany. Irony? Move may hurt US patients most with sharp drug price hikes pic.twitter.com/TTWz5SuLhf
— The Analyzer (News Updates🗞️) (@Indian_Analyzer) September 26, 2025
वैश्विक फार्मा बाज़ार में भूचाल
ट्रम्प की इस नीति का असर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहेगा। यूरोप, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे बड़े दवा निर्यातक देशों के लिए भी यह खतरे की घंटी है। कई अंतरराष्ट्रीय फार्मा समूह पहले से ही अमेरिका में बड़े निवेश कर चुके हैं, लेकिन अचानक 100% टैरिफ़ से उनकी लागत और योजनाओं में भारी बदलाव करना पड़ेगा। यह वैश्विक आपूर्ति शृंखला में असंतुलन ला सकता है, जिससे दवाओं की उपलब्धता और दाम दोनों प्रभावित होंगे।
अमेरिकी उपभोक्ताओं पर दबाव
इस फैसले का सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। जब आयातित दवाओं पर इतना भारी शुल्क लगेगा तो या तो कंपनियां कीमतें बढ़ाएँगी या उत्पाद कम उपलब्ध कराएँगी। दोनों ही स्थितियों में स्वास्थ्य सेवाओं की लागत बढ़ने की आशंका है। स्वास्थ्य बीमा कंपनियां भी प्रीमियम दरों में बढ़ोतरी कर सकती हैं, जिससे आम अमेरिकी नागरिक की जेब पर सीधा बोझ पड़ेगा और यह घरेलू राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
सरकार और उद्योग का पलटवार प्लान
भारत सरकार ने संकेत दिया है कि वह द्विपक्षीय बातचीत तेज करेगी और विकल्पी बाजारों पर फोकस बढ़ाएगी। दूसरी ओर फार्मा कंपनियां अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया में नए सौदे तलाश रही हैं। कुछ दिग्गज अमेरिका में उत्पादन इकाई स्थापित करने पर भी विचार कर रहे हैं ताकि टैरिफ से छूट मिल सके।
निवेशकों और स्टार्टअप्स पर असर
इस टैरिफ़ नीति का झटका उन भारतीय स्टार्टअप्स और मिड-साइज़ फार्मा कंपनियों पर भी पड़ेगा, जो अभी-अभी अमेरिकी बाज़ार में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे थे। वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी निवेशक भी अब सतर्क हो गए हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि अमेरिका में नियामक माहौल और कठिन हो सकता है। इससे नई दवा शोध परियोजनाओं की फंडिंग धीमी पड़ सकती है, जो आने वाले वर्षों में भारत के नवाचार और निर्यात क्षमता को सीमित कर सकती है।
आने वाले जोखिम
- कानूनी चुनौतियां: यह नीति वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन तक जा सकती है।
- निवेश बाधाएं: अमेरिकी संयंत्र लगाने में समय और भारी पूंजी।
- वैश्विक सप्लाई चेन पर असर: दवा की कीमतें दुनिया भर में बढ़ सकती हैं।
Trump announces 100% tariff on ALL branded & patented pharma imports starting Oct 1, 2025.
India exports ~$25B pharma yearly — ~35% goes to the US.
Direct hit on margins for exporters.
Exemption: Firms building US plants (local manufacturing push).
This move could reshape… pic.twitter.com/F3uNDq7TSu
— Chandra Shekhar Gaikwad (@Scroll2aiskill) September 26, 2025
आगे का रास्ता
यह फैसला भारत के लिए चेतावनी है कि दवा निर्यात का विविधीकरण और R&D निवेश अब विलासिता नहीं, बल्कि ज़रूरत है।
सरकार को API (Active Pharmaceutical Ingredients) में आत्मनिर्भरता बढ़ानी होगी और कंपनियों को नवाचार तथा गुणवत्ता पर दुगुना ध्यान देना होगा।
पाठकों के लिए प्रश्न
आपको क्या लगता है—भारतीय दवा कंपनियां अमेरिका में प्लांट लगाएंगी या नए बाजारों की ओर रुख करेंगी? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर लिखें।
इसके साथ ही यदि आप अमेरिका में पढ़ाई या नौकरी से जुड़े इमीग्रेशन मुद्दों के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारी विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें:
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