भारतीय क्रिकेट टीम के प्रमुख गेंदबाजों में से एक, एक बार फिर चर्चा में हैं – इस बार पिच पर नहीं बल्कि अदालत के फैसले को लेकर। अदालत ने मोहम्मद शमी को आदेश दिया है कि वे अपनी पत्नी और बेटी को हर महीने ₹4 लाख गुज़ारा भत्ता दें। इस फैसले ने खेल जगत के साथ-साथ आम लोगों के बीच भी बहस छेड़ दी है।
फैसले के अनुसार, ₹1.30 लाख शमी की बेटी के लिए और ₹2.70 लाख उनकी पत्नी के लिए निर्धारित किया गया है।
🟢 फैसला किस आधार पर लिया गया?
इस मामले में अदालत ने शमी की मौजूदा आर्थिक स्थिति, उनके पेशे और पत्नी-बेटी की आर्थिक जरूरतों को ध्यान में रखकर यह निर्णय दिया। अदालत ने माना कि शमी एक स्थापित खिलाड़ी हैं और आर्थिक रूप से सक्षम हैं, ऐसे में उनकी पत्नी और बेटी को स्वतंत्र और सम्मानजनक जीवन जीने का हक है।
जज ने कहा कि पत्नी और बेटी को उनके स्तर के अनुसार जीवन जीने का अधिकार है, जिसमें उनका स्वतंत्र निर्वाह शामिल हो।
🟢 जज का स्पष्ट संदेश
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा:
“पत्नी और बच्ची लंबे समय से अकेले जीवन यापन कर रही हैं। ऐसे में उन्हें आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना पति की जिम्मेदारी बनती है।“
यह निर्णय सिर्फ एक घरेलू विवाद नहीं बल्कि नारी सशक्तिकरण और कानूनी जिम्मेदारियों की मिसाल भी बन गया है।
MOHAMMAD SHAMI
Married her tho she lied about previous marriage & kids
Faced false allegations of match fixing by her which almost killed his career
Seen his daughter only once in 7 years
NOW HE HAS TO PAY HER 1.5 LPM, DAUGHTER 2.5 LPM & ARREARS OF 3.4 CRORE IN MAINTENANCE pic.twitter.com/vgUP6dxsli
— Deepika Narayan Bhardwaj (@DeepikaBhardwaj) July 1, 2025
🟢 शादी और विवाद का इतिहास
मोहम्मद शमी की शादी 2014 में हुई थी, लेकिन 2018 से यह रिश्ता लगातार विवादों में रहा। पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों में घरेलू हिंसा, धोखा, और मानसिक प्रताड़ना शामिल रहे। मामला पुलिस और अदालत तक पहुंचा, और तब से यह कानूनी लड़ाई जारी रही है।
पत्नी की ओर से कहा गया कि उन्हें और बेटी को लंबे समय से किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं दी जा रही थी।
🟢 शमी का पक्ष क्या था?
शमी की ओर से कोर्ट में कहा गया कि उनकी वर्तमान आय सीमित है और वह लंबे समय से क्रिकेट से बाहर हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि पत्नी के पास भी कमाई के कुछ साधन हैं और वह पूरी तरह उन पर निर्भर नहीं हैं।
हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया और आदेश दिया कि उनकी पत्नी और बेटी को उनके जीवन स्तर के अनुसार सहायता मिलनी चाहिए।
यह बात गौर करने लायक है कि कई खिलाड़ी निजी ज़िंदगी की परेशानियों के बावजूद अपने प्रदर्शन को बनाए रखते हैं। हाल ही में एबी डीविलियर्स ने बुमराह को इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के हर मैच में खेलने की सलाह दी, जो दर्शाता है कि खिलाड़ी निजी और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश में रहते हैं।
🟢 लोगों की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया पर दो राय
सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
- कुछ लोगों का मानना है कि अदालत का फैसला न्यायोचित है, क्योंकि एक महिला को अलग होने के बाद भी सम्मान से जीने का हक है।
- वहीं कुछ फैन्स ने इसे शमी के खिलाफ बताया, और कहा कि उन्हें एकतरफा टारगेट किया गया है।
“जब एक पुरुष नाम और पैसा कमा लेता है, तब निजी ज़िंदगी उसके करियर पर भारी पड़ती है,” — ऐसी प्रतिक्रियाएं भी देखी गईं।
🟢 गुज़ारा भत्ते का कानूनी आधार
भारतीय कानून में Section 125 CrPC के तहत महिला और बच्चों को गुज़ारा भत्ता मिल सकता है, अगर वे अपने दम पर आर्थिक रूप से जीवन यापन करने में असमर्थ हों। यह नियम धार्मिक या सामाजिक पृष्ठभूमि से ऊपर उठकर सभी नागरिकों पर लागू होता है।
यह कानून महिला अधिकारों की रक्षा और परिवारिक न्याय को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
🟢 क्या यह फैसला भविष्य के लिए मिसाल बनेगा?
यह मामला सिर्फ एक क्रिकेटर से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की सोच, न्याय और महिला सम्मान को दर्शाता है। यह फैसला दिखाता है कि नाम या पेशा न्याय के सामने मायने नहीं रखता।
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि तलाक के बाद भी एक पुरुष की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती।
🟢 न्याय, संतुलन और सामाजिक संदेश
मोहम्मद शमी को अदालत द्वारा दिए गए इस आदेश ने न सिर्फ कानूनी रूप से एक महिला को अधिकार दिलाया, बल्कि समाज को भी यह सिखाया कि न्याय सबके लिए बराबर है।
भविष्य में ऐसे केस महिलाओं को हक के लिए खड़ा होने का साहस देंगे और पुरुषों को उनके कर्तव्यों की याद दिलाएंगे।