भारतीय तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह को लेकर एक गंभीर संकेत सामने आया है। खबरों की मानें तो वे जल्द ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले सकते हैं। वजह है—थका हुआ शरीर, बढ़ती उम्र और क्रिकेट के प्रति घटता रुझान। बताया जा रहा है कि बुमराह अब खुद इस फॉर्मेट को लेकर उत्साहित नहीं हैं और उनका शरीर भी लगातार जवाब दे रहा है।
लंबे समय से परेशान कर रही है फिटनेस
बुमराह का करियर हाल के वर्षों में लगातार चोटों से प्रभावित रहा है। पीठ की गंभीर चोट, स्ट्रेस फ्रैक्चर और बार-बार फिजियोथेरेपी के दौर ने उनके शरीर को झकझोर कर रख दिया है। यही वजह है कि टेस्ट जैसे फिजिकली डिमांडिंग फॉर्मेट में वह खुद को अब सहज महसूस नहीं कर रहे।
उनका टेस्ट रिकॉर्ड शानदार रहा है, लेकिन अब उन्हें खुद को संभालने और भविष्य के लिए फिट रखने की जरूरत है। सीमित ओवर फॉर्मेट में उनका योगदान अब भी टीम के लिए अहम बना हुआ है।
अब क्रिकेट में ‘मज़ा नहीं’ रहा?
बुमराह से जुड़े करीबी सूत्रों के हवाले से जो बात सामने आ रही है, वह यह कि वह अब क्रिकेट से पहले जैसा आनंद नहीं ले पा रहे। लंबे समय तक इंजरी से जूझने के बाद वापसी करने वाले खिलाड़ी मानसिक रूप से भी थक जाते हैं। एक समय ऐसा आता है जब मैदान पर उतरना ज़िम्मेदारी तो बनता है, लेकिन उत्साह कहीं खो जाता है।
Bumrah the fittest and greatest bowler of this genration is on the way to go back to his home NCA . that too wicketless #INDvsENDpic.twitter.com/i2sEHZMkuB
— Maximus (@maximusvk18) July 25, 2025
क्या सीमित ओवर क्रिकेट ही अब प्राथमिकता?
बुमराह ने पिछले कुछ वर्षों में सीमित ओवर क्रिकेट, खासकर T20 और IPL में शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन जब बात टेस्ट की आती है, तो वह कई बार बाहर ही रहे। इस तरह अब ये साफ होता जा रहा है कि बुमराह खुद भी शायद अब केवल छोटे फॉर्मेट्स पर फोकस करना चाहते हैं।
टेस्ट क्रिकेट में निरंतर गेंदबाजी करना, 5 दिन तक एक जैसा प्रयास करना, और चोट से उबरना—ये सभी बातें किसी भी खिलाड़ी के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर चुनौतीपूर्ण होती हैं। बुमराह के लिए भी अब ये मुश्किल होता जा रहा है।
टीम इंडिया पर पड़ेगा क्या असर?
अगर जसप्रीत बुमराह टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेते हैं, तो भारतीय टीम को तेज़ गेंदबाज़ी विभाग में बड़ा बदलाव करना पड़ेगा। मोहम्मद सिराज, मुकेश कुमार और अर्शदीप सिंह जैसे गेंदबाज़ों को अब ज़्यादा ज़िम्मेदारी निभानी होगी। हालांकि, बुमराह जैसा अनुभव और विविधता किसी भी नए खिलाड़ी के लिए भरपाना आसान नहीं होगा।
टीम मैनेजमेंट पहले से ही उनकी फिटनेस को लेकर सतर्क रहा है, यही कारण है कि उन्हें कई बार आराम दिया गया।
हाल ही में एक टेस्ट मैच में बुमराह ने अपनी घातक गेंदबाज़ी से टीम को जीत दिलाने की कोशिश की, लेकिन जब बल्लेबाज़ों ने साथ नहीं दिया, तो उनके प्रयास पर पानी फिर गया। पूरी खबर पढ़ें: बुमराह ने किया कमाल, अब बल्लेबाज़ों को दिखाना होगा दम
फैंस में मायूसी, लेकिन समझदारी भी
सोशल मीडिया पर बुमराह को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ फैंस को ये झटका जरूर लगा है, लेकिन बहुत से लोग ये भी मानते हैं कि एक खिलाड़ी के शरीर की सीमा होती है। टेस्ट क्रिकेट से बाहर होने का फैसला अगर बुमराह खुद लेना चाहते हैं, तो यह उनके करियर को लंबा बना सकता है।
कई क्रिकेट विशेषज्ञ भी यही मानते हैं कि सीमित ओवर फॉर्मेट में खुद को बनाए रखने के लिए लंबे फॉर्मेट को छोड़ना कई बार जरूरी हो जाता है।
इंग्लैंड सीरीज़ हो सकती है आखिरी?
अब जो सबसे बड़ा सवाल है वो ये – क्या इंग्लैंड के खिलाफ चल रही टेस्ट सीरीज़ बुमराह की आखिरी टेस्ट सीरीज़ है? अगर वो जल्द ही इसका औपचारिक ऐलान करते हैं, तो यह उनके प्रशंसकों के लिए एक भावनात्मक पल होगा। अभी तक उन्होंने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन संकेत जरूर मिल रहे हैं।
क्या यह फैसला सही होगा?
बुमराह का करियर एक प्रेरणा रहा है। घरेलू क्रिकेट से इंटरनेशनल स्टार बनने तक का सफर उन्होंने कड़ी मेहनत से तय किया। लेकिन हर खिलाड़ी के करियर में एक मोड़ आता है, जब उसे अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होती हैं। टेस्ट क्रिकेट से अलग होना शायद बुमराह के लिए अब अनिवार्य हो चुका है।
उनका शरीर, मानसिक स्थिति और खेल के प्रति ऊर्जा – ये सभी अब सीमित ओवर क्रिकेट में उपयोग करने का समय आ चुका है। उनके फैंस को अब भी उम्मीद है कि वे T20 और ODI में भारत के लिए बड़ी भूमिका निभाते रहेंगे।
बुमराह का फैसला – समझदारी या मजबूरी?
यह कहना मुश्किल है कि बुमराह टेस्ट से अलग होने का निर्णय खुद की इच्छा से ले रहे हैं या ये उनकी शारीरिक मजबूरी है। लेकिन एक बात तय है – यह फैसला भारतीय क्रिकेट के एक युग के अंत जैसा होगा।
फिलहाल, बुमराह की उपलब्धता और फिटनेस पर नजर बनी रहेगी। अगर वे टेस्ट से रिटायर होते हैं तो यह खबर निश्चित ही क्रिकेट जगत के लिए बड़ी होगी, और यह एक बार फिर खिलाड़ियों की सीमाओं और करियर संतुलन पर चर्चा को जन्म देगी।