पश्चिम एशिया में ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने वहां रह रहे विदेशी नागरिकों, खासकर छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा कर दी थी।
भारत ने हालात बिगड़ने से पहले ही ऐक्शन लेते हुए ईरान में मौजूद 110 छात्रों को सुरक्षित निकालने की योजना बना ली।
विदेश मंत्रालय, पीएमओ और तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने मिलकर राहत कार्य की रूपरेखा तय की और उसे तेजी से अंजाम दिया।
कैसे हुआ एयरलिफ्ट ऑपरेशन
इन छात्रों को पहले बसों के ज़रिए ईरान से आर्मेनिया की सीमा तक पहुंचाया गया, जहां से अब उन्हें भारत लाया जाएगा।
पूरी यात्रा को सुरक्षा और गोपनीयता के साथ अंजाम दिया गया।
भारतीय अधिकारियों ने सभी छात्रों को एक स्थान पर इकट्ठा कर सुरक्षित रूट से बाहर निकाला।
यह अभियान न सिर्फ प्रशासनिक सफलता थी, बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद अहम साबित हुआ।
आर्मेनिया में छात्रों की मौजूदा स्थिति
सभी 110 छात्र अब आर्मेनिया में सुरक्षित हैं और उन्हें एक राहत कैंप में रखा गया है, जहां खाने, रहने और प्राथमिक चिकित्सा की सुविधाएं दी जा रही हैं।
इसके साथ ही, एक हेल्पलाइन भी सक्रिय है जिससे परिजन अपने बच्चों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
विदेश मंत्रालय की टीम मौके पर मौजूद है और लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए है।
दिल्ली वापसी का प्लान तैयार
इन छात्रों को 18 जून को विशेष फ्लाइट से दिल्ली लाया जाएगा।
दिल्ली एयरपोर्ट पर MEA और राज्य सरकार के अधिकारी मौजूद रहेंगे, जो छात्रों को उनके गृहनगर तक पहुंचाने में मदद करेंगे।
यात्रा के दौरान सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाएगा और मेडिकल टीम भी साथ होगी।
After rescue operations like Kaveri, Ganga, Raahat and many more. #Bharat 🇮🇳 is now rescuing its student from #Iran , first batch of 110 Indian students reached Armenia, from Iran. In total 10k students will be rescued and move back to 🇮🇳!
Kudos 🙏 @MEAIndia @India_in_Iran… pic.twitter.com/U7aoUjVIOD
— REACH 🇮🇳 (UK) Chapter (@reachind_uk) June 17, 2025
छात्रों की प्रतिक्रिया और राहत का अनुभव
छात्रों ने राहत की सांस ली है।
कई छात्रों ने बताया कि संघर्ष के दौरान उन्हें इंटरनेट नहीं मिल रहा था, जिससे वे परिवारों से बात नहीं कर पा रहे थे।
एक छात्र ने भावुक होकर कहा, “हमें भरोसा था कि भारत सरकार हमें इस संकट से निकाल लेगी, और वह सच साबित हुआ।”
ऐसे कई अनुभव सामने आए जो डर, घबराहट और फिर राहत की मिली-जुली भावना दर्शाते हैं।
सरकार की भूमिका और समन्वय
इस ऑपरेशन में विदेश मंत्रालय, पीएमओ और भारतीय दूतावास के बीच बेहतरीन समन्वय देखने को मिला।
भारत सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह किसी भी देश में मौजूद अपने नागरिकों को संकट में अकेला नहीं छोड़ती।
सरकार ने आर्मेनिया की सरकार से भी संपर्क साधा और सहयोग प्राप्त किया, जिससे पूरा अभियान सरल हो गया।
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ और भारत की छवि
भारत के इस कदम की सराहना सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी हो रही है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने ऐसा रेस्क्यू ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया हो।
ऑपरेशन गंगा (यूक्रेन), ऑपरेशन कावेरी (सूडान) जैसे मिशनों के बाद अब यह एक और उदाहरण बन गया है।
भारत की ‘नो इंडियन लेफ्ट बिहाइंड’ नीति एक बार फिर लागू होती दिखी।
तनाव अभी बाकी है – सतर्कता ज़रूरी
हालांकि छात्र सुरक्षित हैं, लेकिन क्षेत्र में तनाव अभी समाप्त नहीं हुआ है।
भारत सरकार ने बाकी भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है और कहा है कि ज़रूरत पड़ने पर आगे भी कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले भी, जब तेहरान में धमाकों की खबरों से हड़कंप मचा था और ट्रंप ने राजधानी खाली करने की सलाह दी थी, तब भी भारत ने गंभीरता दिखाई थी और स्थिति पर कड़ी नजर रखी थी।
निष्कर्ष
भारत सरकार की तत्परता, कूटनीतिक समझ और संवेदनशीलता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देश अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर हमेशा गंभीर है।
ईरान से छात्रों को सुरक्षित बाहर निकालना केवल एक राहत भरा कदम नहीं, बल्कि भारत की नीति और प्रशासनिक क्षमता का उदाहरण भी है।
ऐसे ही सतर्क और मानव केंद्रित प्रयास देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाते हैं।