पंजाब की शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए राज्य सरकार ने 115 सरकारी स्कूलों के नाम बदलने की घोषणा की है। इन स्कूलों को अब उन प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों के नामों से जाना जाएगा, जिन्होंने समाज, देश और मानवता के लिए प्रेरणादायक योगदान दिया है। इन नामों में स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर आधुनिक युग के अनुकरणीय व्यक्तित्व शामिल हैं।
शिक्षा मंत्री द्वारा की गई इस घोषणा को प्रदेश में नए शैक्षिक युग की शुरुआत माना जा रहा है। नाम बदलने की यह पहल बच्चों को न केवल अपनी जड़ों से जोड़ेगी, बल्कि उनके भीतर सम्मान, प्रेरणा और जिम्मेदारी की भावना भी उत्पन्न करेगी।
किन महान हस्तियों के नाम से होंगे स्कूल नामित?
इन 115 स्कूलों के नाम जिन व्यक्तित्वों के नाम पर रखे जा रहे हैं, वे केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं, बल्कि आज भी समाज को दिशा देने वाले आदर्श हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में अमिट भूमिका निभाने वाले शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे नाम इन स्कूलों को नई पहचान देंगे।
इसके साथ ही आधुनिक प्रेरणास्त्रोत जैसे विश्व प्रसिद्ध बुजुर्ग धावक फौजा सिंह जैसे व्यक्तित्वों के नाम भी सूची में शामिल हैं। यह चयन केवल ऐतिहासिक सम्मान नहीं, बल्कि एक सोच है — बच्चों के जीवन में उस मूल्यों की स्थापना जो समय की कसौटी पर खरे उतरें।
शिक्षा विभाग की सुनियोजित रणनीति
शिक्षा विभाग ने इस निर्णय को लागू करने के लिए विस्तृत योजना बनाई है। प्रत्येक जिले से ऐसे स्कूलों को चुना गया, जो क्षेत्रीय दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। स्कूलों के चयन में यह देखा गया कि संबंधित महान व्यक्तित्व का उस क्षेत्र से कोई न कोई संबंध हो — जिससे स्थानीय बच्चों को अधिक जुड़ाव महसूस हो।
नई पहचान के साथ स्कूलों के साइनबोर्ड, दस्तावेज़, पोर्टल्स और सभी आधिकारिक अभिलेखों में बदलाव लाया जाएगा। विभाग की मंशा है कि ये नाम महज दिखावा न होकर बच्चों के आचरण और सोच में उतरें।
ਦੇਸ਼ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਜਾਂ ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਸਾਡੇ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋਏ ਹਨ, ਭਾਵੇਂ ਉਹ ਸਾਡੇ ਗਦਰੀ ਬਾਬੇ ਹੋਣ ਜਾਂ ਹੋਰ ਦੇਸ਼ ਭਗਤ, ਅਸੀਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਮ ‘ਤੇ ਸਰਕਾਰੀ ਸਕੂਲਾਂ ਦਾ ਨਾਮ ਰੱਖ ਰਹੇ ਹਾਂ ਨਾਲ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਤਸਵੀਰ ਵੀ ਸਕੂਲ ‘ਚ ਲਗਾਈ ਜਾਵੇਗੀ ਤੇ ਇਤਿਹਾਸ ਬਾਰੇ ਵੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇਗੀ ਤਾਂ ਜੋ ਬੱਚਿਆਂ ਸਮੇਤ… pic.twitter.com/yvguxgyPDL
— AAP Punjab (@AAPPunjab) July 21, 2025
छात्रों और समाज पर संभावित असर
जब कोई स्कूल किसी महापुरुष के नाम से जाना जाता है, तो वहां के छात्रों के व्यवहार और सोच में फर्क दिखने लगता है। अध्यापक भी उस भावना के साथ शिक्षा देते हैं जो उस नाम की गरिमा के अनुरूप हो। इस तरह यह पहल केवल एक बदलाव नहीं, बल्कि समाज के चरित्र निर्माण की दिशा में एक मजबूत प्रयास है।
समाज के विभिन्न वर्गों — अभिभावकों, ग्राम पंचायतों और छात्रों — ने इस पहल का स्वागत किया है। कहीं-कहीं तो स्थानीय लोगों ने स्वयं सुझाव देकर स्कूलों के नाम अपने क्षेत्रीय नायकों के नाम पर रखने की मांग भी की।
मुख्यमंत्री की सोच से मेल खाती दिशा
इस पहल की गहराई मुख्यमंत्री की व्यापक सोच से भी जुड़ती है। हाल ही में उन्होंने हर विधानसभा क्षेत्र में आधुनिक पुस्तकालयों की स्थापना की घोषणा की थी। शिक्षा के प्रति उनका दृष्टिकोण केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं है, बल्कि वे ज्ञान, विचार और प्रेरणा को मूलभूत हिस्सा मानते हैं।
पढ़ें: हर विधानसभा क्षेत्र में बनेंगे आधुनिक पुस्तकालय – मुख्यमंत्री की घोषणा
इसी क्रम में स्कूलों को प्रेरणादायक नामों से जोड़ना, शिक्षा को संस्कृति और आदर्शों से समृद्ध करने का प्रयास है।
बदलाव की प्रक्रिया और विस्तार की संभावना
नाम बदलने की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। संबंधित स्कूलों को निर्देशित किया जा चुका है और नए नामों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके साथ ही यह भी संभावना जताई गई है कि आने वाले महीनों में और भी स्कूलों को इस योजना में शामिल किया जा सकता है।
यह बदलाव केवल 115 स्कूलों तक सीमित न रहकर राज्यभर में एक आदर्श मॉडल के रूप में उभर सकता है।
एक पहचान, एक प्रेरणा: बच्चों की सोच में होगा बदलाव
नाम बदलना एक साधारण प्रक्रिया नहीं है — यह बच्चों के मन-मस्तिष्क में उन विचारों को बीज की तरह रोपना है, जो उन्हें न केवल एक अच्छा विद्यार्थी बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक बना सकें। जब कोई छात्र ‘शहीद भगत सिंह सरकारी स्कूल’ में पढ़ता है, तो अनायास ही उसमें जिम्मेदारी, साहस और सेवा भावना का अंकुर फूटता है।
इसी तरह ‘फौजा सिंह वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय’ जैसे नाम केवल जानकारी नहीं देते, बल्कि यह संकेत करते हैं कि उम्र, सीमाएं और परिस्थिति कुछ भी हो — इच्छाशक्ति से कुछ भी संभव है।
शिक्षा में आदर्शों का समावेश
यह पहल शिक्षा व्यवस्था में केवल नाम बदलने की नहीं, बल्कि सोच बदलने की शुरुआत है। बच्चों को किताबों से अधिक ज़रूरत होती है प्रेरणा की, और यह प्रेरणा तभी आएगी जब उनके चारों ओर आदर्शों का वातावरण हो।
115 स्कूलों के नाम बदलना इस दिशा में पहला कदम है — एक ऐसा कदम जो भविष्य की पीढ़ी को अपनी जड़ों, इतिहास और मूल्यों से जोड़ेगा।