सिमरनजीत कौर बाथ का प्रोफेशनल बॉक्सिंग में उतरना सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारतीय महिला मुक्केबाज़ी के इतिहास में एक बड़ा कदम है। अब तक भारत की कई महिला बॉक्सर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एमेच्योर मुकाबलों में भाग लेती रही हैं, लेकिन प्रो सर्किट की राह चुनना अब भी कम ही देखा गया है – खासकर पंजाब से।
पेशेवर मुक्केबाज़ी और शौकिया मुक्केबाज़ी में कई मूलभूत अंतर होते हैं – जैसे मुकाबलों की प्रकृति, समयावधि, नियम, और कमर्शियल एंगल। ऐसे में यह फैसला बेहद साहसिक माना जा रहा है। पंजाब के खेल इतिहास में भी यह एक नई शुरुआत का संकेत है।
🥇 सिमरनजीत का सफर: गाँव से ग्लोरी तक
संगरूर ज़िले के छोटे से गाँव चक्क मिशरी खान की सिमरनजीत कौर ने जब पहली बार दस्ताने पहने थे, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वह एक दिन प्रोफेशनल बॉक्सर बनेंगी। एक किसान परिवार में जन्मी सिमरनजीत को शुरुआत से ही सीमित संसाधनों में अभ्यास करना पड़ा।
उन्होंने अपनी पढ़ाई और ट्रेनिंग को एक साथ संतुलित करते हुए खेल को अपना जीवन बना लिया। उनकी मेहनत का नतीजा यह रहा कि वह राष्ट्रीय चैंपियन बनीं, फिर एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनकी रफ्तार थमने वाली नहीं थी – हर मुकाबले में जीत का जज़्बा लिए उन्होंने आगे बढ़ना जारी रखा।
🏅 टोक्यो ओलंपिक: पहचान का मुकाम
2021 के टोक्यो ओलंपिक में सिमरनजीत ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि वह मेडल जीतने से चूक गईं, लेकिन उनका प्रदर्शन सराहनीय रहा। ओलंपिक जैसे मंच पर उतरना ही अपने आप में एक ऐतिहासिक अवसर था।
इस बड़े अनुभव ने उन्हें आत्मविश्वास, अंतरराष्ट्रीय रणनीतियों और प्रोफेशनल दृष्टिकोण से सशक्त किया। टोक्यो से लौटने के बाद सिमरनजीत ने खुद को न सिर्फ मानसिक रूप से मज़बूत किया, बल्कि तकनीकी रूप से भी खुद को अपग्रेड किया।
🧭 प्रोफेशनल बॉक्सिंग का फैसला क्यों?
सिमरनजीत का यह फैसला एक सोच-समझ कर लिया गया कदम है। इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि प्रो सर्किट में जाने का निर्णय उन्होंने लंबे समय से सोचा हुआ था, लेकिन सही समय का इंतज़ार कर रही थीं।
उनकी ट्रेनिंग टीम, कोच, और मेंटर्स ने उन्हें पूरा समर्थन दिया। उनके कोच गुरबख्श सिंह संधू ने भी इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि ‘यह भारतीय महिला मुक्केबाज़ी के लिए एक क्रांतिकारी कदम है।’
सिमरनजीत का कहना है, “अब मैं सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि हर उस लड़की के लिए लड़ रही हूं जो दस्तानों में अपना सपना देखती है।” उनकी यह सोच आने वाली पीढ़ी को न केवल प्रेरित करेगी, बल्कि प्रो लेवल पर भारत की महिला भागीदारी को और भी मजबूत करेगी।
👩🎓 महिला मुक्केबाज़ों के लिए क्या मायने रखता है यह कदम
इस कदम से देश की तमाम उभरती महिला बॉक्सरों को एक मजबूत संदेश मिलेगा कि प्रोफेशनल मुक्केबाज़ी अब महिलाओं के लिए भी एक सुलभ विकल्प बन चुका है। पंजाब जैसे राज्य में, जहाँ खेलों में महिलाओं की भागीदारी अभी भी चुनौतियों से भरी है, वहाँ यह बदलाव ऐतिहासिक है।
…यह फैसला युवा लड़कियों को यह विश्वास देगा कि यदि सिमरनजीत कर सकती हैं, तो वे भी कर सकती हैं। इससे न सिर्फ प्रेरणा मिलेगी, बल्कि समाज में महिला सशक्तिकरण का एक और मजबूत उदाहरण स्थापित होगा।
👉 ठीक उसी तरह जैसे हाल ही में कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली, सिमरनजीत का यह कदम भी भारतीय महिलाओं की प्रतिभा को वैश्विक मंच पर सामने लाने का माध्यम बन रहा है। पूरा लेख पढ़ें – बानू मुश्ताक को अंतरराष्ट्रीय पहचान
Heartiest congratulations to two time Asian championship and Olympian boxer Simranjeet Kaur Bath on turning professional. I wish her all success as a professional boxer. pic.twitter.com/vr5fRDACPP
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) May 22, 2025
🥊 प्रो सर्किट में पहला मुकाबला और आगे की राह
सूत्रों के अनुसार, सिमरनजीत का पहला प्रो मुकाबला इसी वर्ष के अंत तक आयोजित हो सकता है। इसके लिए वह एक खास इंटरनेशनल प्रमोटर के संपर्क में हैं और फेडरेशन से बात चल रही है।
वह फिलहाल पूरी तरह से फिटनेस, फॉर्म और तकनीक पर ध्यान दे रही हैं। उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम में अब प्रोफेशनल बॉक्सिंग के हिसाब से बदलाव किए जा रहे हैं। उनके कोचिंग स्टाफ का कहना है कि वे हर स्तर पर उन्हें मुकाबले के लिए तैयार कर रहे हैं।
🗣️ विशेषज्ञों और कोच का नजरिया
कोच संधू, जो कि भारत के पूर्व ओलंपिक कोच रह चुके हैं, मानते हैं कि यह बदलाव भारतीय मुक्केबाज़ी के परिदृश्य में बड़ा बदलाव लाएगा। उनका कहना है, “सिमरनजीत ने जो साहस दिखाया है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए रास्ता बनाएगा।”
अन्य बॉक्सिंग विश्लेषकों का मानना है कि भारत की महिला मुक्केबाज़ी को अंतरराष्ट्रीय प्रो मंच पर अब एक नया चेहरा मिल गया है। वे सिमरनजीत को भारत की ‘फेस ऑफ प्रो वूमेन बॉक्सिंग’ मानने लगे हैं।
🚀 निष्कर्ष
सिमरनजीत कौर बाथ ने अपनी मेहनत और संकल्प से मुक्केबाज़ी में एक नई लकीर खींच दी है। उनका यह फैसला न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि एक पूरी पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन चुका है।
बानू मुश्ताक की तरह, जो साहित्यिक क्षेत्र में मिसाल बनीं, सिमरनजीत खेल जगत में महिलाओं के लिए एक नया रास्ता खोल रही हैं। ये दोनों महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में क्रांति की प्रतीक बनकर उभरी हैं।
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