पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच 2021 में जो सीज़फायर हुआ था, उसके पीछे उनका हाथ था। इस दावे के बाद से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। ट्रंप ने कहा कि उनके दबाव और कूटनीति के चलते दोनों देशों के बीच युद्ध का खतरा टल सका।
हालांकि इस बयान को लेकर अमेरिका के ही पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ट्रंप को हर चीज़ का श्रेय लेने की आदत है, भले ही उसका कोई आधार न हो।
🔹 ट्रंप बोले – “मैंने भारत-पाक को युद्ध से रोका”
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया भाषण में कहा कि 2019 में भारत-पाक के बीच जो तनाव था, वो उनके कारण ही युद्ध में नहीं बदला। उन्होंने यह भी जोड़ा कि 2021 में जब दोनों देशों ने सीज़फायर पर सहमति जताई, तो वह उनकी मेहनत और दबाव का नतीजा था।
इससे पहले भी ट्रंप इसी प्रकार के दावे कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने Apple को भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने से रोकने का दावा किया, जिसे लेकर दुनियाभर में उनकी सोच और अमेरिका की नीति पर सवाल उठे थे।
ट्रंप का यह नया दावा एक बार फिर वैश्विक राजनीति में बहस का कारण बन गया, क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच 2021 में हुआ संघर्षविराम दोनों देशों की द्विपक्षीय बातचीत का परिणाम माना गया था।
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 19, 2025
🔹 जॉन बोल्टन का तीखा जवाब – “ट्रंप को सबका क्रेडिट चाहिए”
पूर्व NSA जॉन बोल्टन, जो ट्रंप प्रशासन में एक समय उच्च पद पर थे, ने कहा कि यह ट्रंप का पुराना स्वभाव है कि वो किसी भी सकारात्मक घटना का क्रेडिट खुद लेने की कोशिश करते हैं।
बोल्टन के मुताबिक, “ट्रंप इस तरह के बयान अक्सर अपने प्रचार या राजनीतिक फायदे के लिए देते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीज़फायर में अमेरिकी सरकार की कोई सीधी भूमिका नहीं थी।”
“Donald Trump takes credit for everything.” Former NSA John Bolton called out US President for claiming credit for India-Pakistan ceasefire. pic.twitter.com/dx0QZbELrA
— Briefly (@Brieflybynewj) May 22, 2025
🔹भारत-पाक सीज़फायर: क्या था मामला?
भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर एलओसी पर संघर्षविराम लागू करने की बात कही थी। इस बयान में किसी तीसरे देश या अंतरराष्ट्रीय दबाव की बात नहीं की गई थी।
यह समझौता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और सैन्य अधिकारियों के स्तर पर बातचीत के बाद हुआ था। दोनों देशों ने यह स्पष्ट किया था कि वे शांति चाहते हैं और आगे किसी भी तरह की गोलीबारी से बचना चाहते हैं।
🔹 क्या अमेरिका की भूमिका थी? विशेषज्ञों की नजर में
हालांकि अमेरिका का उस समय दक्षिण एशिया में प्रभाव था, लेकिन किसी भी आधिकारिक दस्तावेज़ या बयान में अमेरिका की सीधी भूमिका का जिक्र नहीं किया गया। कूटनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप की ओर से दिया गया बयान फैक्चुअली कमजोर और राजनीतिक फायदे से प्रेरित लगता है।
विपक्षी दलों ने भी ट्रंप के इस बयान को तंज में लिया है। कांग्रेस की ओर से आई प्रतिक्रिया में कहा गया कि ट्रंप को खुद को ‘American Daddy’ साबित करने की आदत है, जैसा कि उन्होंने भारत-पाक संघर्ष को लेकर अपने एक और बयान में कहा था।
🔹 जॉन बोल्टन कौन हैं? और ट्रंप से क्यों उलझते रहे हैं?
जॉन बोल्टन अमेरिकी कूटनीति और सुरक्षा मामलों के एक प्रमुख विशेषज्ञ माने जाते हैं। वह 2018-2019 के बीच ट्रंप प्रशासन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे। उस समय उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मामलों में ट्रंप की रणनीति का समर्थन किया, लेकिन बाद में दोनों के बीच मतभेद गहराते गए।
बोल्टन ने एक किताब भी लिखी है जिसमें ट्रंप की विदेश नीति को ‘अव्यवस्थित और निजी स्वार्थ से प्रेरित’ बताया गया है। यही वजह है कि ट्रंप के हर बयान पर बोल्टन खुलकर प्रतिक्रिया देते हैं।
🔹 सोशल मीडिया पर भी छिड़ी बहस
ट्रंप के इस दावे के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स के बीच बहस तेज हो गई है।
कई लोगों ने ट्रंप की आदत पर सवाल उठाए, वहीं कुछ समर्थकों ने इसे ‘अमेरिका की ताकत’ बताकर समर्थन दिया।
एक यूजर ने लिखा –
“ट्रंप हमेशा से यही करते आए हैं, अब कोई हैरानी नहीं होती।”
वहीं एक अन्य ने कहा –
“अगर अमेरिका ने शांति में कोई भूमिका निभाई है तो उसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करना चाहिए।”
🔹 सियासत या सच्चाई?
डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि चुनावी या राजनीतिक फायदे के लिए अंतरराष्ट्रीय घटनाओं को भी घुमाकर पेश किया जा सकता है। भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम का इतिहास और प्रकृति यह संकेत देती है कि यह द्विपक्षीय प्रयासों का नतीजा था।
पूर्व NSA जॉन बोल्टन की टिप्पणी इस बात को पुष्ट करती है कि ट्रंप का बयान कहीं न कहीं प्रचार की रणनीति के तहत दिया गया है।
🟡 पाठकों के लिए सवाल:
क्या आप मानते हैं कि ट्रंप का दावा सही है? क्या अमेरिका की छाया दक्षिण एशिया की राजनीति पर अब भी असर डालती है?
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