पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बयान दिया जिसने न केवल Apple जैसी बड़ी कंपनी, बल्कि भारत जैसे उभरते विनिर्माण केंद्र को लेकर भी चर्चा तेज कर दी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने Apple के CEO टिम कुक से स्पष्ट रूप से अनुरोध किया था कि वे भारत में iPhone निर्माण का विस्तार न करें।
🔸 यह बयान ऐसे समय आया है जब Apple भारत में अपने उत्पादन आधार को तेजी से बढ़ा रहा है।
🔸 ट्रंप का यह बयान चुनावी राजनीति, व्यापारिक संरक्षणवाद और वैश्विक उत्पादन चेन को लेकर कई सवाल उठाता है।
⭕️ I don’t want Apple to build in India, because they have got highest tarrifs
⭕️ Indians can take care of themselves, I want you to build in America
— Donald Trump tells Tim Cook not to build Apple manufacturing units in India pic.twitter.com/QqyyXlGHM6
— Jawaharlal Nehru (Satire) (@The_Nehru) May 15, 2025
🔷 ट्रंप और एप्पल: पुराना संबंध, नई विवाद
ट्रंप का Apple से जुड़ा यह कोई पहला बयान नहीं है। उनके कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने बार-बार अमेरिकी टेक कंपनियों से आग्रह किया था कि वे चीन और भारत जैसे देशों की बजाय अमेरिका में निर्माण पर जोर दें।
🔹 ट्रंप और टिम कुक की मुलाकातें उनके राष्ट्रपति कार्यकाल में कई बार हुई थीं।
🔹 ट्रंप ने पहले भी कहा था, “अगर Apple अमेरिका में iPhone बनाएगा, तो हम उन्हें टैक्स में राहत देंगे।“
यह बयान इस पृष्ठभूमि में और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि Apple भारत में Foxconn, Pegatron और Wistron के जरिए निर्माण कार्य कर रहा है।
🔷 भारत के लिए Apple का क्या महत्व है?
Apple भारत को iPhone निर्माण का अगला केंद्र मानता है। कंपनी पहले ही भारत में iPhone 12 से लेकर iPhone 15 तक के कई मॉडलों का निर्माण शुरू कर चुकी है।
🔸 भारत सरकार की PLI (Production Linked Incentive) योजना के तहत Apple को भारी सब्सिडी और टैक्स छूट मिल रही है।
🔸 Apple की सप्लाई चेन अब भारत, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों में फैल रही है ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके।
🔹 Foxconn ने भारत में 1 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है और हजारों नौकरियों का सृजन हुआ है।
ट्रंप के बयान ऐसे समय आए हैं जब भारत धीरे-धीरे ग्लोबल टेक विनिर्माण हब बनने की दिशा में बढ़ रहा है।
🔷 क्या ट्रंप का बयान भारत को झटका दे सकता है?
ट्रंप का यह कथन कि उन्होंने टिम कुक से भारत में निवेश न बढ़ाने को कहा, राजनीतिक और व्यापारिक दोनों नजरिए से गंभीर है।
🔹 ट्रंप ने कहा:
“मैंने उनसे साफ कहा—भारत या चीन में विस्तार मत करो। हमें अमेरिका में निर्माण चाहिए।”
🔸 यह बयान अमेरिका के चुनावी माहौल में “Make in America” एजेंडे को हवा देने वाला है, लेकिन इससे भारत जैसे साझेदार देशों की चिंताएं भी बढ़ सकती हैं।
हालांकि, Apple या टिम कुक की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
🔷 क्या भारत को चिंता करनी चाहिए?
भारत में Apple का विस्तार सिर्फ ट्रंप की सोच पर निर्भर नहीं करता। वर्तमान अमेरिकी प्रशासन (बाइडेन सरकार) भारत के साथ व्यापार और तकनीकी साझेदारी को बढ़ाने के पक्ष में है।
🔹 भारत में iPhone निर्माण अब केवल व्यावसायिक नहीं, रणनीतिक विकल्प बन चुका है।
🔹 भारत की स्थिर सरकार, युवा जनसंख्या और तकनीकी कुशलता Apple के लिए लंबे समय तक आकर्षण का केंद्र रहेगी।
इसलिए ट्रंप के बयान से भारत की स्थिति कमजोर नहीं होती, लेकिन अमेरिकी राजनीति के बदलते स्वर जरूर समझने योग्य हैं।
🔷 अमेरिका में निर्माण को प्राथमिकता देने की ट्रंप की रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान महज व्यक्तिगत राय नहीं, बल्कि उनके पुराने एजेंडे की पुनरावृत्ति है:
🔸 “हम चाहते हैं अमेरिकी कंपनियां अमेरिका में काम करें, न कि चीन, भारत या मेक्सिको में।”
🔹 अमेरिका में बेरोजगारी और मैन्युफैक्चरिंग गिरावट जैसे मुद्दों को ट्रंप बार-बार चुनावी हथियार बनाते आए हैं।
ऐसे में Apple जैसी ग्लोबल कंपनियों को घरेलू निर्माण की ओर प्रेरित करना उनके अभियान का हिस्सा हो सकता है।
🚨Told Apple CEO TimCook,we are not interested in you building in India, they can take care of themselves, Reportedly Trump said in Doha pic.twitter.com/e5ScHXbCsM
— Indian Infra Report (@Indianinfoguide) May 15, 2025
🔷 टेक इंडस्ट्री और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
ट्रंप के बयान पर टेक जगत में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
🔹 कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान निवेशकों के लिए अस्थायी चिंता का कारण बन सकता है।
🔹 वहीं, अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि Apple का निर्माण निर्णय पूरी तरह से बिज़नेस लॉजिक पर आधारित है, न कि राजनेताओं की सलाह पर।
टेक कम्युनिटी में यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या भारत की स्थिति चीन के विकल्प के रूप में अस्थिर हो रही है या नहीं।
🔷 चुनावी वर्ष और बयानबाज़ी की राजनीति
2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए ट्रंप का यह बयान सीधा उनके वोट बैंक को साधने वाला है।
अमेरिकी मजदूर वर्ग, टेक्सास और मिडवेस्ट राज्यों में रहने वाले लोग ट्रंप के “लोकल फर्स्ट” एजेंडे से जुड़ते हैं।
🔸 “अगर मैं दोबारा राष्ट्रपति बना, तो कंपनियों को विदेशों में निर्माण की अनुमति नहीं दूंगा।” – ट्रंप का यह दावा Apple के भविष्य के फैसलों को चुनौती दे सकता है।
यह पहली बार नहीं है जब किसी राजनीतिक बयान ने दो देशों के व्यापारिक और रणनीतिक रिश्तों को प्रभावित किया हो। इससे पहले भी ऐसे हालात देखे गए हैं जब 72 घंटे के भीतर उपमहाद्वीप में सुबह धमाके और शाम तक संघर्षविराम की स्थिति बन चुकी है। यही कारण है कि इस प्रकार की बयानबाज़ी को केवल चुनावी नहीं, बल्कि संभावित कूटनीतिक चुनौती के रूप में भी देखा जाना चाहिए।
🔷 निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान निश्चित ही एक बड़ी बहस को जन्म देता है।
भारत के लिए यह समय है नीतियों को और मज़बूत करने का, ताकि कोई भी बाहरी दबाव निवेश के प्रवाह को प्रभावित न कर सके।
🔹 Apple जैसी कंपनियां दीर्घकालिक सोच से निर्णय लेती हैं – एक राजनेता की सलाह इस पर कितना असर डालेगी, यह आने वाला वक्त बताएगा।
💬 आप क्या सोचते हैं?
🔸 क्या भारत को ट्रंप के बयान से घबराना चाहिए?
🔸 क्या Apple जैसी कंपनियों को अपने वैश्विक विस्तार को राजनीतिक बयानबाज़ी से बचाना चाहिए?
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