अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयान को लेकर भारत में सुर्खियों में आ गए हैं। इस बार उन्होंने दावा किया है कि उनके कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति थी, जिसे उन्होंने रोकवाया। ट्रंप के इस बयान पर कांग्रेस ने तीखा तंज कसते हुए केंद्र सरकार की विदेश नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस ने ट्रंप के इस बयान को लेकर X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा – “अमेरिकी पापा ने वॉर रुकवा दी क्या?“ इस एक लाइन में ही कई राजनीतिक तीर छुपे हुए हैं, जिससे भारत की विदेश नीति, संप्रभुता और कूटनीतिक गंभीरता पर बहस छिड़ गई है।
“प्रधानमंत्री के संबोधन के पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा कर दी की उन्होंने वाशिंगटन में रहकर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवा दिया” – कांग्रेस नेता जयराम रमेश @Jairam_Ramesh | #Congress | #LatestNews | pic.twitter.com/xP8mayRzzA
— News Capsule (@newscapsule_) May 13, 2025
ट्रंप का दावा: मैंने भारत-पाक के बीच युद्ध रोका
फ्लोरिडा की एक चुनावी सभा में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकवाया था। उनके मुताबिक, जब भारत और पाकिस्तान युद्ध के कगार पर थे, तो उन्होंने हस्तक्षेप कर स्थिति को संभाला। ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं उन्हें इस विवाद में मध्यस्थ बनने के लिए कहा था।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने ऐसा बयान दिया है। 2019 में भी उन्होंने Oval Office में इमरान खान के साथ प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यही दावा किया था, जिसे भारत सरकार ने तुरंत खारिज कर दिया था।
कांग्रेस का व्यंग्य: मोदी सरकार दे जवाब
कांग्रेस ने ट्रंप के बयान को केंद्र में रखते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी ने सोशल मीडिया पर सवाल पूछा कि अगर ट्रंप सच बोल रहे हैं, तो फिर भारत की विदेश नीति किस दिशा में जा रही है? क्या अब भारत जैसे संप्रभु राष्ट्र को युद्ध और शांति के लिए विदेशी नेताओं की मदद लेनी पड़ती है?
कांग्रेस प्रवक्ताओं ने पूछा – “क्या प्रधानमंत्री मोदी ने सचमुच ट्रंप से युद्ध रोकने के लिए कहा था?” अगर नहीं, तो सरकार अब तक चुप क्यों है? और अगर हां, तो यह भारत की रणनीतिक छवि के लिए कितनी बड़ी बात है?
सरकार की चुप्पी: सोच-समझ कर या अनदेखी?
ट्रंप के इस ताजे बयान पर अब तक भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न ही विदेश मंत्रालय ने कुछ कहा है और न ही सत्तारूढ़ दल के किसी वरिष्ठ नेता ने कोई टिप्पणी की है।
यह चुप्पी कई सवालों को जन्म देती है। क्या यह एक रणनीति है या सरकार इस बयान को महत्वहीन मान रही है? हाल ही में जब प्रधानमंत्री मोदी ने आदमपुर में एस-400 मिसाइल सिस्टम की प्रदर्शनी के माध्यम से भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया, तब भी सरकार की विदेश नीति को लेकर एक विशेष संदेश दिया गया था — लेकिन ट्रंप जैसे बयान पर चुप्पी हैरान करती है।
‘Ameriki papa ne war rukwa di kya’: #Congress keeps up ‘US pressure’ heat on #NarendraModi government @Jairam_Ramesh #donaldtrump #indiapakistantensions #operationsindoor https://t.co/wPHvAkV3mO pic.twitter.com/BtNvbogeoo
— The Telegraph (@ttindia) May 14, 2025
ट्रंप के पुराने बयान: पैटर्न समझना जरूरी
यह पहली बार नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाक विवाद में अपनी भूमिका का दावा किया हो। 2019 में व्हाइट हाउस में प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें कश्मीर मसले पर मध्यस्थ बनने को कहा था। भारत सरकार ने तुरंत स्पष्ट किया था कि ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया गया है।
ट्रंप अकसर अपने चुनावी प्रचार में अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को उठाते हैं, जिनमें तथ्यों की पुष्टि कठिन होती है। यह ट्रेंड दर्शाता है कि ऐसे बयान सिर्फ भीड़ को आकर्षित करने के उद्देश्य से दिए जाते हैं।
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 10, 2025
भारत-पाक संबंधों में तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं
भारत की विदेश नीति स्पष्ट रूप से यह कहती है कि कोई भी विवाद – विशेषकर पाकिस्तान के साथ – केवल द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझाया जाएगा। भारत हर बार यह दोहराता आया है कि तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है।
वहीं पाकिस्तान लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मध्यस्थता की मांग करता रहा है। लेकिन भारत ने हमेशा इसे खारिज कर अपने स्वाभिमान और संप्रभुता को प्राथमिकता दी है। हाल ही में जब आप पार्टी ने PoK पर नारा लगाते हुए मोदी सरकार की आलोचना की, तब भी सरकार के रुख को लेकर विरोध हुआ था।
विदेश नीति विशेषज्ञों की राय: “बयान से ज्यादा प्रचार”
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि ट्रंप के बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं। वे अक्सर भारत जैसे देशों के नाम लेकर अमेरिकी-भारतीय समुदाय को लुभाने की कोशिश करते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है – “भारत की प्रतिक्रिया न देना ही समझदारी है।” ऐसे प्रचारात्मक बयानों से विवाद खड़ा करना भारत की गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है। एक विश्लेषक ने कहा, “भारत को ऐसे मामलों में स्थिरता और संयम दिखाना चाहिए, यही उसकी असली ताकत है।“
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
ट्रंप के बयान के बाद सोशल मीडिया पर ‘अमेरिकी पापा’ ट्रेंड करने लगा। कई यूज़र्स ने मीम्स और चुटीली टिप्पणियों के ज़रिए इस बयान को व्यंग्य का विषय बना दिया।
एक यूज़र ने लिखा – “क्या अब हमारे युद्ध और शांति का फैसला भी ट्रंप करेंगे?” वहीं दूसरे ने कहा – “कम से कम ट्रंप को तो पता है कि भारत में चुनाव चल रहे हैं!“
लेकिन कुछ लोगों ने इसे भारत की रणनीतिक संप्रभुता के लिए खतरनाक बताया। उनका कहना था कि भारत को इन बयानों का कड़ा खंडन करना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी विदेशी नेता इस तरह के दावे न करे।
निष्कर्ष: सियासत और सच्चाई के बीच झूलता ट्रंप का बयान
डोनाल्ड ट्रंप का यह ताजा बयान प्रचार से प्रेरित है या कोई कूटनीतिक संकेत – यह कहना मुश्किल है। लेकिन कांग्रेस ने जिस अंदाज़ में इस पर तीखा सवाल खड़ा किया है, उसने सरकार को असहज ज़रूर किया है।
सरकार की चुप्पी एक रणनीतिक चुप्पी हो सकती है, लेकिन जनता को यह जानने का हक है कि उनकी विदेश नीति कितनी स्वतंत्र और स्पष्ट है। जिस तरह से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय वायुसेना के जांबाज़ों ने साहस दिखाया, वह इस बात का प्रमाण है कि भारत किसी भी बाहरी हस्तक्षेप के बिना अपने निर्णय खुद लेने में सक्षम है।
अंत में, यह जरूरी है कि भारत अपनी विदेश नीति की संप्रभुता को किसी प्रचारवादी दावे की चपेट में न आने दे। लोकतंत्र में आलोचना और तंज स्वाभाविक हैं, लेकिन विदेश नीति जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संतुलन जरूरी है।