सिंगापुर ध्वज वाला कंटेनर शिप ‘Wan Hai 503’, रविवार देर रात केरल के बेपोर तट से लगभग 60 किलोमीटर दूर था, जब उसमें अचानक एक विस्फोट हुआ। बताया गया कि विस्फोट एक कंटेनर में हुआ, जिसके बाद जहाज में तेजी से आग फैल गई।
जहाज पर तैनात क्रू ने तत्काल संकट संकेत (distress signal) भेजा। भारतीय तटरक्षक बल (ICG) और अन्य संबंधित एजेंसियों को अलर्ट किया गया। जलते हुए जहाज से उठता काला धुआं और विस्फोट की आवाज़ें समुद्र में काफी दूर तक सुनाई दीं।
कैसे चलाया गया रेस्क्यू ऑपरेशन?
भारतीय तटरक्षक बल की ओर से ‘ICGS Vikram’ और ‘ICGS Aryaman’ जैसे पोतों के साथ-साथ डोर्नियर एयरक्राफ्ट को भी रेस्क्यू अभियान में लगाया गया। रात भर चलाए गए इस ऑपरेशन में 18 क्रू मेंबर को सफलतापूर्वक बचा लिया गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद जोखिमपूर्ण था क्योंकि आग लगातार फैल रही थी और कंटेनर विस्फोट का खतरा बना हुआ था। फिर भी कोस्ट गार्ड की टीमों ने बहादुरी से सभी जीवित लोगों को समुद्र से बाहर निकाला।
चार क्रू सदस्य अभी भी लापता
जहाज पर कुल 22 लोग सवार थे, जिनमें से चार क्रू सदस्यों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। लापता लोगों की तलाश के लिए समुद्र में सघन तलाशी अभियान जारी है। कोस्ट गार्ड और नौसेना की टीमें संभावित इलाकों में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं।
सिंगापुर की शिपिंग अथॉरिटी और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की मदद से एक संयुक्त खोज अभियान की योजना बनाई गई है।
#IndianNavy in a closely coordinated #SearchAndRescue operation with @IndiaCoastGuard, DG Shipping and other stakeholders, has safely rescued 18 out of 22 crew members Singaporean Flagged MV Wan Hai 503. The MV had reported internal container explosion and resultant major fire… pic.twitter.com/y0hYqP6ZIc
— SpokespersonNavy (@indiannavy) June 9, 2025
क्या था जहाज में लोड – विस्फोट का कारण क्या हो सकता है?
जहाज में आम कंटेनर कार्गो के अलावा कुछ विशेष रसायन (hazardous chemicals) होने की आशंका जताई गई है। अधिकारियों ने अभी तक विस्फोट के कारण की पुष्टि नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि किसी कंटेनर में हुआ रासायनिक रिएक्शन ही हादसे की वजह बना।
कुछ कंटेनर विस्फोट के बाद सीधे समुद्र में गिर गए। इससे यह चिंता भी सामने आई कि अगर इनमें कोई खतरनाक पदार्थ था, तो वह समुद्र में फैल सकता है।
समुद्री पर्यावरण पर खतरा
इस हादसे से समुद्री जीवन पर भी संकट गहराया है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि जहाज से तेल या केमिकल लीक होता है, तो इससे समुद्री जीवों और मछली पालन पर बुरा असर पड़ सकता है।
स्थानीय मछुआरे संगठनों ने भी प्रशासन को चेताया है कि जहाज के मलबे और रिसाव की वजह से मछलियों के रहवास प्रभावित हो सकते हैं। एक पर्यावरण टीम मौके पर भेजी गई है, जो स्थिति की निगरानी कर रही है।
क्या सुरक्षा में हुई चूक?
इस हादसे ने जहाज की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई विशेषज्ञों ने माना है कि यदि जहाज पर सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन हुआ होता, तो इतना बड़ा विस्फोट नहीं होता।
भारत की डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ शिपिंग ने घटना की जांच शुरू कर दी है। साथ ही, सिंगापुर की सरकार ने भी स्वतंत्र जांच का आश्वासन दिया है।
जहाज के पिछले मेंटेनेंस रिकॉर्ड और कंटेनर लोडिंग प्रक्रिया की भी बारीकी से जांच की जाएगी।
हाल ही में IAS अधिकारी धिमन चकमा से जुड़ा घूसकांड भी यही दर्शाता है कि सिस्टम की चूक कैसे सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। ऐसे मामलों में जवाबदेही और पारदर्शिता बेहद ज़रूरी हो जाती है।
वैश्विक समुद्री व्यापार पर असर
यह जहाज महत्वपूर्ण शिपिंग रूट पर था, जो एशिया-यूरोप व्यापार मार्ग का हिस्सा है। इस रूट से रोजाना सैकड़ों कंटेनर जहाज गुजरते हैं। हादसे के चलते कुछ समय के लिए इस मार्ग पर जहाजों की आवाजाही पर असर पड़ा।
बीमा कंपनियां और शिपिंग लॉजिस्टिक्स प्रोवाइडर इस घटना को गंभीर मान रहे हैं और इससे आने वाले समय में इंश्योरेंस प्रीमियम और सुरक्षा गाइडलाइंस में बदलाव हो सकता है।
भारत की समुद्री निगरानी व्यवस्था का परीक्षण
यह हादसा भारतीय समुद्री निगरानी व्यवस्था के लिए भी एक बड़ा लिटमस टेस्ट साबित हुआ है। हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय एजेंसियों की तेजी और कुशलता की तारीफ हो रही है, लेकिन यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या इस तरह की घटनाओं को पहले से टाला जा सकता था?
ICG और नौसेना की संयुक्त प्रतिक्रिया प्रणाली की सराहना की जा रही है, परंतु हादसे से सीख लेते हुए निगरानी को और मजबूत करने की जरूरत जताई गई है।
क्या सबक मिला इस हादसे से?
इस घटना ने एक बार फिर से यह दिखा दिया कि समुद्री संचालन में हर छोटी चूक बड़ा संकट बन सकती है। कंटेनर शिपिंग जैसे सेक्टर में जहां रसायन, ईंधन और अन्य खतरनाक सामान नियमित रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजे जाते हैं, वहां उच्चतम स्तर की सुरक्षा और निगरानी बेहद आवश्यक है।
सरकार और शिपिंग कंपनियों को अब तकनीकी सुधारों, AI-आधारित निगरानी और इमरजेंसी रेस्पॉन्स में निवेश बढ़ाने की ज़रूरत है।