लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को वायनाड सीट से विजेता घोषित किया गया। लेकिन चुनाव जीतने के कुछ ही दिनों बाद, बीजेपी नेता के. सुरेन्द्रन ने एक याचिका दायर की जिसमें आरोप लगाया गया कि प्रियंका गांधी ने अपने नामांकन पत्र में कुछ संपत्तियों की जानकारी छुपाई है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि चुनावी हलफनामे में न केवल कुछ अचल संपत्तियों को उजागर नहीं किया गया, बल्कि आवश्यक दस्तावेज़ भी अधूरे या गायब थे। उन्होंने इसे चुनाव प्रक्रिया के नियमों का उल्लंघन बताया।
मुख्य आरोपों में शामिल हैं:
- घोषित संपत्तियों में अपूर्ण विवरण
- हलफनामे में जानकारी छिपाने का आरोप
- निर्वाचन आयोग को गलत सूचना देने की बात
🟢हाईकोर्ट की कार्रवाई और नोटिस का विवरण
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति एन नागरेश की पीठ ने प्रियंका गांधी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इसके साथ ही चुनाव आयोग को भी नोटिस भेजा गया है और सभी पक्षों से 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
कोर्ट ने प्रारंभिक तौर पर याचिका को गंभीर मानते हुए उसे विचारणीय माना और सुनवाई की प्रक्रिया शुरू की।
कोर्ट की टिप्पणी के मुख्य बिंदु:
- पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया का उल्लंघन
- नामांकन पत्र में विवरण की वैधता
- चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
Kerala High Court issues notice to Priyanka Gandhi in an election petition filed by BJP candidate Navya Haridas, challenging the victory of Congress leader Priyanka Gandhi Vadra from the Wayanad Parliamentary Constituency. pic.twitter.com/KwiY74YaWZ
— Bar and Bench (@barandbench) June 10, 2025
🟢वायनाड सीट और राजनीतिक पृष्ठभूमि
वायनाड सीट इस चुनाव में इसलिए खास रही क्योंकि राहुल गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ने के बाद इस सीट को खाली छोड़ दिया, और यहां से प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बनाया गया। यह उनका पहला लोकसभा चुनाव था।
प्रियंका गांधी की जीत को कांग्रेस की रणनीतिक सफलता के रूप में देखा गया, लेकिन इस याचिका ने उस जीत की वैधता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजनीतिक महत्व:
- वायनाड में कांग्रेस की परंपरागत पकड़
- राहुल गांधी की लोकप्रियता का लाभ
- दक्षिण भारत में कांग्रेस का विस्तार
🟢याचिका के कानूनी आधार
याचिका में बताया गया है कि प्रियंका गांधी ने Representation of the People Act, 1951 की धाराओं का उल्लंघन किया है। खासकर धारा 33 और 36 के तहत यह आवश्यक है कि प्रत्याशी द्वारा दी गई जानकारी पूरी और सही हो।
कानूनी पक्ष:
- अधूरी जानकारी देना दंडनीय अपराध
- चुनाव आयोग की मंज़ूरी के बावजूद अदालत में चुनौती संभव
- पूर्व में इसी प्रकार के मामलों में चुनाव रद्द हुए हैं
🟢कांग्रेस और प्रियंका गांधी की प्रतिक्रिया
अब तक कांग्रेस पार्टी या प्रियंका गांधी की ओर से इस मामले पर कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह याचिका राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हो सकती है।
संभावित कांग्रेस पक्ष:
- सभी दस्तावेज़ तय प्रक्रिया के अनुसार जमा किए गए
- चुनाव आयोग ने नामांकन वैध घोषित किया
- याचिका का उद्देश्य राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचाना
🟢 जन-प्रतिक्रिया और राजनीतिक प्रतिक्रिया
यह खबर सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है। कई लोग चुनावों में पारदर्शिता की मांग करते हुए कोर्ट की निगरानी को सही ठहरा रहे हैं, जबकि कुछ इसे एक राजनीतिक साज़िश बता रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि जनता सिर्फ राजनीति से ही नहीं, बल्कि व्यवस्था की मानवीय पहलुओं से भी जुड़ाव महसूस करती है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहाँ यूपी पुलिस ने एक युवक की हत्या के बाद उसकी बहन की शादी का जिम्मा खुद उठाया और लगभग 1.5 लाख रुपये खर्च कर शादी संपन्न कराई। इस घटना ने यह दिखा दिया कि सरकारी तंत्र संवेदनशीलता के साथ भी काम कर सकता है।
प्रतिक्रियाओं की झलक:
- समर्थकों ने प्रियंका के पक्ष में लिखा
- कुछ ने निष्पक्ष जांच की मांग की
- विपक्ष ने मौन साध रखा है, लेकिन भाजपा नेता इस याचिका के पीछे मजबूती से खड़े हैं
🟢आगे क्या हो सकता है?
हाईकोर्ट की कार्यवाही का असर न केवल वायनाड सीट बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ सकता है। यदि अदालत इस याचिका को सही पाती है तो यह चुनाव परिणाम पर प्रत्यक्ष प्रभाव डाल सकती है।
संभावनाएं:
- प्रियंका गांधी को कोर्ट में जवाब देना होगा
- चुनाव आयोग को अपने रिकॉर्ड पेश करने पड़ सकते हैं
- यदि आरोप साबित हुए, तो चुनाव परिणाम रद्द हो सकते हैं
🗣️ आपकी राय क्या है?
क्या आपको लगता है कि यह याचिका वाजिब है और चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है?
या फिर यह केवल एक राजनीतिक हथकंडा है?
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