G7 यानी Group of Seven, विश्व के सात सबसे विकसित देशों का एक समूह है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा और जापान शामिल हैं। यह समूह हर साल एक मंच पर इकट्ठा होकर वैश्विक अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, पर्यावरण और अन्य बड़े मुद्दों पर चर्चा करता है।
भारत, G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में उसकी वैश्विक भूमिका और साख को देखते हुए उसे नियमित रूप से आमंत्रित किया जा रहा है। इस बार भी भारत को विशेष अतिथि के तौर पर बुलाया गया है। यह इस बात का संकेत है कि भारत को अब वैश्विक निर्णयों में अहम साझेदार माना जा रहा है।
इस वर्ष का G7 सम्मेलन कनाडा के खूबसूरत शहर Kananaskis में हो रहा है, जहां वैश्विक नेता कई जटिल विषयों पर मंथन करेंगे। भारत के शामिल होने से सम्मेलन को और व्यापक दृष्टिकोण मिलेगा।
पीएम मोदी का कनाडा आगमन और स्वागत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 जून को विशेष विमान से कनाडा पहुंचे। Kananaskis एयरपोर्ट पर स्थानीय अधिकारियों और भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने उनका औपचारिक स्वागत किया। प्रधानमंत्री के आगमन पर भारतीय प्रवासी समुदाय का जोश देखने लायक था। बड़ी संख्या में लोग भारतीय ध्वज लेकर एयरपोर्ट के बाहर एकत्रित हुए और “भारत माता की जय” जैसे नारों से माहौल को जीवंत बना दिया।
Landed in Calgary, Canada, to take part in the G7 Summit. Will be meeting various leaders at the Summit and sharing my thoughts on important global issues. Will also be emphasising the priorities of the Global South. pic.twitter.com/GJegQPilXe
— Narendra Modi (@narendramodi) June 17, 2025
इससे पहले प्रधानमंत्री का साइप्रस दौरा भी चर्चा में रहा था, जहां उन्होंने यूरोपीय संघ के आगामी अध्यक्ष देश से द्विपक्षीय रिश्तों को नई दिशा देने का प्रयास किया। उस यात्रा की विस्तृत रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं।
द्विपक्षीय मुलाकातें और रणनीतिक एजेंडा
इस समिट के दौरान पीएम मोदी कई देशों के प्रमुख नेताओं से मुलाकात करेंगे। इनमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और जापान के प्रधानमंत्री शामिल हैं।
इन मुलाकातों का उद्देश्य केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करना है। भारत अपनी विदेश नीति को बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से संतुलित और सक्रिय रखता है।
भारत और कनाडा के बीच हालिया राजनयिक तनाव के बाद यह दौरा दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नई दिशा दे सकता है। वहीं अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से तकनीकी, रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग की उम्मीद है।
वैश्विक मुद्दे: जिन पर केंद्रित रहेगा सम्मेलन
इस वर्ष G7 सम्मेलन में कुछ प्रमुख विषयों पर विशेष चर्चा की जाएगी, जिनमें शामिल हैं:
- जलवायु परिवर्तन और हरित ऊर्जा समाधान: भारत इस मंच पर विकसित देशों से तकनीकी और वित्तीय सहयोग की मांग करेगा ताकि विकासशील देश भी हरित ऊर्जा की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकें।
- वैश्विक आर्थिक मंदी: दुनिया भर में छाई आर्थिक अनिश्चितता और व्यापार व्यवस्था में असंतुलन पर गहन विचार किया जाएगा।
- ईरान-इज़राइल तनाव: हालिया घटनाओं ने पश्चिम एशिया की स्थिरता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। भारत यहां भी शांति और संवाद की नीति का पक्षधर रहेगा।
- AI और डिजिटल टेक्नोलॉजी: भारत इस बात पर जोर देगा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के लिए एक साझा वैश्विक नीति बननी चाहिए जो मानवता के हित में हो।
इन मुद्दों पर भारत की स्पष्ट सोच और सुझाव, सम्मेलन को संतुलित दृष्टिकोण प्रदान करेंगे।
भारत की भूमिका और उम्मीदें
भारत इस सम्मेलन में खुद को “Global South” की आवाज़ के रूप में पेश कर रहा है। विकासशील देशों की चिंताओं, ज़रूरतों और आकांक्षाओं को सामने लाना भारत की प्रमुख प्राथमिकता है।
पीएम मोदी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके तहत तकनीकी सहयोग, वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल समावेशन जैसे विषयों को उठाया जाएगा।
इसके साथ ही भारत अपने ‘Make in India’ और ‘Digital India’ जैसे अभियानों को वैश्विक साझेदारी में बदलने के प्रयास करेगा। इससे विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और भारत की अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है।
प्रवासी भारतीयों की प्रतिक्रियाएं और जुड़ाव
कनाडा में बसे भारतीयों के लिए यह दौरा विशेष महत्व रखता है। भारतीय समुदाय ने अपने उत्साह, स्वागत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से प्रधानमंत्री को एक पारिवारिक माहौल प्रदान किया।
प्रवासियों की उम्मीदें हैं कि भारत-कनाडा संबंधों में नई ऊर्जा आए और शिक्षा, रोजगार और वीज़ा नीतियों पर सहयोग बढ़े।
कई लोगों ने कहा कि पीएम मोदी की विदेश नीति ने भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है।
समिट की लाइव स्थिति और मीडिया रिपोर्ट्स
सम्मेलन के पहले दिन ही जलवायु और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा शुरू हो गई। पीएम मोदी ने अपने प्रारंभिक भाषण में वैश्विक न्याय, सहयोग और समावेशिता की बात की।
प्रेस ब्रीफिंग्स के मुताबिक, भारत की बातों को अन्य नेताओं ने गंभीरता से सुना और सराहा।
सुरक्षा के व्यापक प्रबंध और मीडिया के लिए अलग से व्यवस्था की गई है ताकि हर बिंदु को सही ढंग से प्रस्तुत किया जा सके।
भारत के लिए क्या हैं संभावनाएं?
इस सम्मेलन में भारत की भागीदारी सिर्फ प्रतिनिधित्व भर नहीं है, बल्कि एक सक्रिय वैश्विक भागीदार के रूप में पहचान बनाने की प्रक्रिया है।
भारत अपने अनुभव, संसाधन और मानव क्षमता के बल पर वैश्विक नेतृत्व में हिस्सेदारी चाहता है।
यदि सम्मेलन में उठाए गए मुद्दों पर भारत की दृष्टि को समर्थन मिला, तो आने वाले वर्षों में भारत को G7 का स्थायी सदस्य बनाने की चर्चा भी तेज़ हो सकती है।
अब सवाल आपके लिए – क्या आपको लगता है कि भारत को G7 का स्थायी सदस्य बनना चाहिए?
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