पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से एक महत्वपूर्ण मुलाकात की, जिसमें उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए चंडीगढ़ में एक स्थायी कार्यालय की मांग रखी।
मान का कहना है कि AAP को, जो अब पंजाब में सरकार चला रही है, अभी तक चंडीगढ़ में कोई आधिकारिक दफ्तर नहीं मिला है, जबकि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास पहले से ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
🟨 संविधानिक अधिकार का हवाला – अनुच्छेद 19(1)(c)
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र और बातचीत में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(c) का ज़िक्र किया, जिसमें किसी भी नागरिक को संघ बनाने और संगठित रूप से काम करने का मौलिक अधिकार दिया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों को निष्पक्ष और समान अवसर मिलने चाहिए ताकि लोकतंत्र मजबूत हो सके।
“सिर्फ इसलिए कि हम नए हैं, हमें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता,” उन्होंने कहा।
🟨 AAP की मौजूदा स्थिति और अन्य पार्टियों की तुलना
- AAP ने 2022 के विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत से जीत हासिल की और राज्य में सरकार बनाई।
- इसके बावजूद पार्टी के पास अब तक कोई स्थायी कार्यालय नहीं है।
- दूसरी ओर, कांग्रेस और बीजेपी को चंडीगढ़ में सरकारी जमीन या भवन दफ्तर के रूप में पहले ही मिल चुके हैं।
- मान ने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक असंतुलन नहीं बल्कि न्याय और समानता का मुद्दा भी है।
Bhagwant Mann का बड़ा फैसला! 🎯
AAP को Chandigarh में ऑफिस चाहिए, इसलिए CM मान ने Governor से मांगी जगह।https://t.co/cAtmVIwIFb#BhagwantMann #AAPOfficeChandigarh #PunjabPolitics #SanjeevArora #AAPNationalParty #ZeeHulchul #BreakingNews #HindiNews pic.twitter.com/GcsdcciVv7— Zeehulchul (@Zeehulchulnews) June 25, 2025
🟨 राज्यपाल से की गई अपील का मुख्य बिंदु
मान ने राज्यपाल से कहा कि वो इस विषय पर कोई भी निर्णय निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से लें।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारों को राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए, खासकर जब वो राज्य की सत्ता में हों।
“यह मामला किसी पार्टी विशेष का नहीं बल्कि लोकतंत्र की आत्मा से जुड़ा है,” मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को लिखा।
🟨 राज्यपाल की प्रतिक्रिया – क्या कोई संकेत मिला?
राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने इस मुद्दे पर अब तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है।
हालांकि सूत्रों के अनुसार, इस मांग को गंभीरता से लिया गया है, और संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे उपलब्ध स्थान की समीक्षा करें।
🟨 चंडीगढ़ में पार्टी दफ्तरों का लेखा-जोखा
चंडीगढ़ एक ऐसा केंद्रशासित प्रदेश है जो पंजाब और हरियाणा दोनों की संयुक्त राजधानी है।
यहां पर राजनीतिक कार्यालयों को आवंटित करने की प्रक्रिया एक जटिल प्रशासनिक प्रणाली से गुजरती है।
- कांग्रेस और बीजेपी को क्रमशः 1980 और 1990 के दशक में कार्यालय की जगह दी गई थी।
- AAP को कार्यालय न मिलना केवल राजनीतिक वजहों से नहीं बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं की अनदेखी भी हो सकती है।
यह मामला वैसे ही प्रशासनिक पारदर्शिता के सवाल खड़े करता है जैसा कि DGCA की हालिया रिपोर्ट ने भारत के शीर्ष हवाई अड्डों पर सुरक्षा चूकों को उजागर किया था। ऐसे मामलों में जवाबदेही और निष्पक्षता बेहद अहम हो जाती है।
🟨 राजनीतिक हलकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं:
- कांग्रेस ने कहा कि AAP को मिलनी चाहिए बराबरी की सुविधा, लेकिन साथ ही प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं की बात भी उठाई।
- बीजेपी की तरफ से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वे इस मुद्दे को राजनीतिक रणनीति के तौर पर देख रहे हैं।
🟨 लोकतंत्र में समान अवसर का महत्व
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर सत्ताधारी पार्टी को भी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलतीं, तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की गुणवत्ता पर सवाल उठाता है।
- न्यायपूर्ण संसाधन आवंटन,
- राजनीतिक स्वतंत्रता, और
- प्रशासनिक जवाबदेही
जैसे पहलू इस तरह के मामलों में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
🟨 AAP की ओर से उठाए गए तर्क – क्या होगा अगला कदम?
मुख्यमंत्री मान की मांग के बाद AAP की राज्य इकाई ने संकेत दिया है कि अगर जल्दी समाधान नहीं निकला, तो वो कानूनी विकल्पों पर भी विचार कर सकती है।
संभावना जताई जा रही है कि पार्टी जल्द ही इस मामले में RTI या अदालत का सहारा ले सकती है।
🟨पाठकों की राय क्या कहती है?
मुख्यमंत्री मान की यह पहल निश्चित तौर पर लोकतंत्र और समानता के सिद्धांतों की ओर इशारा करती है।
यदि चंडीगढ़ प्रशासन और राज्यपाल निष्पक्षता से काम करते हैं, तो AAP को वह स्थान जरूर मिलना चाहिए जिसकी वह हकदार है।
🗣️ आप क्या सोचते हैं? क्या हर राजनीतिक दल को बराबरी का हक मिलना चाहिए? नीचे कमेंट करके बताएं।