भारत और अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ अपने कड़े रुख को एक बार फिर स्पष्ट किया है। हाल ही में एक संगठन को आतंकी करार दिए जाने की घोषणा ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाई है। यह फैसला एक बड़े हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद सामने आया है, जिसमें निर्दोष लोगों की जान गई थी।
भारत के विदेश मंत्री ने इसे “आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति की दिशा में मजबूत कदम बताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले न केवल दोषियों को बेनकाब करते हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत के रुख को मजबूती भी देते हैं।
🟢 TRF: एक नकाबपोश आतंकी संगठन
The Resistance Front (TRF) का नाम अब आतंक से जुड़ी चर्चाओं में आम हो चला है। यह संगठन कई ऐसे हमलों से जुड़ा रहा है जिनमें सुरक्षा बलों और नागरिकों को निशाना बनाया गया। TRF को लंबे समय से एक बड़े आतंकवादी संगठन का मोर्चा माना जाता रहा है, जो अपनी असली पहचान छिपाकर नए नाम से काम करता रहा है।
इस संगठन का उद्देश्य रहा है जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में अशांति फैलाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ्रम की स्थिति पैदा करना। अब इस पर की गई कार्रवाई से यह साफ है कि छद्म नामों से भी अब बच पाना संभव नहीं है।
A strong affirmation of India-US counter-terrorism cooperation.
Appreciate @SecRubio and @StateDept for designating TRF—a Lashkar-e-Tayyiba (LeT) proxy—as a Foreign Terrorist Organization (FTO) and Specially Designated Global Terrorist (SDGT). It claimed responsibility for the…
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 18, 2025
🟢 भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया
भारत के विदेश मंत्री ने इस फैसले को “साहसिक और समयानुकूल” बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा सहयोग का स्पष्ट प्रमाण है। साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत किसी भी रूप में आतंकवाद को स्वीकार नहीं करेगा।
उन्होंने सोशल मीडिया पर इस मसले पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि यह फैसला वैश्विक सुरक्षा के लिए एक “स्पष्ट और निर्णायक संदेश” है।
🟢 अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई धारा
इस फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह बहस भी तेज हो गई है कि आतंक के खिलाफ वैश्विक एकता कितनी कारगर हो सकती है। अमेरिका के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इस फैसले का खुलकर समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब आतंकवाद को समर्थन देने वालों पर भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
कुछ राजनेताओं ने इसे न्याय की दिशा में एक आवश्यक कदम बताया है और यह भी कहा है कि लोकतांत्रिक देशों को इस तरह की एकजुटता और भी आगे बढ़ानी चाहिए।
👉 इसी तरह, सीरिया में हालिया युद्धविराम को लेकर वैश्विक प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि जब क्षेत्रीय शक्तियां आम सहमति पर पहुँचती हैं, तो शांति की संभावना मजबूत होती है — चाहे वह मध्य पूर्व हो या दक्षिण एशिया।
🟢 भारत-अमेरिका सुरक्षा सहयोग में मजबूती
इस निर्णय ने भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा दी है। दोनों देश पहले भी आतंकी गतिविधियों के खिलाफ मिलकर कार्रवाई करते रहे हैं, लेकिन इस कदम से यह साझेदारी और गहरी होती दिख रही है।
इंटेलिजेंस साझाकरण से लेकर सैन्य सहयोग तक, भारत और अमेरिका का रुख अब पहले से कहीं ज्यादा एकमत और आक्रामक नजर आ रहा है। यह भविष्य में होने वाले संयुक्त अभियानों का संकेत भी माना जा रहा है।
Another demonstration of strong India-USA counter-terrorism cooperation. Appreciate the Department of State for listing The Resistance Front (TRF) as a designated Foreign Terrorist Organization and Specially Designated Global Terrorist. TRF is a proxy of Lashkar-e-Tayyiba and…
— India in USA (@IndianEmbassyUS) July 17, 2025
🟢 आतंकवाद को पनाह देने वालों पर दबाव
इस घटनाक्रम के बाद एक बड़ा सवाल यह भी है कि जो देश या समूह आतंकवाद को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देते हैं, उन पर क्या असर पड़ेगा? अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहले से ही कुछ देशों को उनके दोहरे रवैये के लिए सवालों का सामना करना पड़ रहा है।
अब जब वैश्विक शक्तियां खुद आतंक के खिलाफ स्पष्ट और निर्णायक कदम उठा रही हैं, तो ऐसे देशों पर दबाव और बढ़ेगा।
🟢 विशेषज्ञों की राय: आगे क्या?
सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के कदमों से आतंकी नेटवर्क को तोड़ने में मदद मिलती है। साथ ही, इससे उन युवाओं को भी संदेश जाता है जो किसी भ्रम या प्रचार का शिकार होकर गलत रास्ते पर जाते हैं।
उनके अनुसार, भारत को चाहिए कि वह अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और व्यापक बनाए और ऐसे संगठनों की जड़ों तक जाकर उन्हें समाप्त करे।
🟢आतंक के विरुद्ध वैश्विक एकता
यह फैसला केवल एक संगठन पर प्रतिबंध भर नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि अब दुनिया आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने लगी है। भारत की विदेश नीति अब पहले से ज्यादा सशक्त, प्रभावशाली और सुरक्षित नजर आ रही है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सक्रियता से अब आतंक को मिलने वाला परोक्ष समर्थन भी धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। आने वाले समय में ऐसे और कदमों की उम्मीद की जा सकती है।




















