भारतीय विज्ञापन उद्योग का दिग्गज, पियूष पांडे का 24 अक्टूबर 2025 को 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मुंबई के शिवाजी पार्क श्मशान घाट पर आयोजित उनके अंतिम संस्कार में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन और उनके पुत्र अभिषेक बच्चन ने शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर उद्योग, कला और मीडिया जगत की कई प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं, जिन्होंने पियूष पांडे के योगदान को याद किया और उनके व्यक्तित्व को सलाम किया।
पियूष पांडे का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
पियूष पांडे का जन्म जयपुर में हुआ था। परिवार में वे नौ भाई-बहनों में से एक थे, जिनमें फिल्म निर्देशक प्रसून पांडे और अभिनेता-गायक ईला अरुण भी शामिल हैं। उन्होंने जयपुर के स्टेक्जेवियर्स स्कूल से पढ़ाई की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। पियूष बचपन में राजस्थान की रणजी ट्रॉफी क्रिकेट टीम के सदस्य भी रहे। उनके पिता राजस्थान के सहकारी बैंक में कार्यरत थे। युवा पीयूष ने एक समय चाय टेस्टर का काम भी किया था, जहां से उनकी जिंदगी का रुख विज्ञापन की ओर मोड़ा गया।
Mumbai, Maharashtra: Bollywood celebrities participated in the funeral of advertising legend Piyush Pandey pic.twitter.com/scvW3b2DtI
— IANS (@ians_india) October 25, 2025
विज्ञापन जगत की शुरुआत और उत्कर्ष
1982 में, पियूष पांडे ने ओगिल्वी इंडिया में क्लाइंट सर्विसिंग की भूमिका से अपने विज्ञापन करियर की शुरुआत की। छह साल बाद वह क्रिएटिव डिपार्टमेंट में गए, जहाँ उनकी रचनात्मक प्रतिभा ने विज्ञापन की दुनिया में क्रांति ला दी। उन्होंने कैडबरी के “कुछ खास है”, फेविकोल के मशहूर “मज्बूत जोड़”, और एशियन पेंट्स के “हर घर कुछ कहता है” जैसे अविस्मरणीय विज्ञापन बनाए, जो आज भी जन-जन के दिलों में बसे हैं।
उनके नेतृत्व में, ओगिल्वी इंडिया को लगातार 12 वर्षों तक भारत की नंबर एक एजेंसी का खिताब मिला। 1994 में उन्हें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किया गया और बाद में वह ओगिल्वी वर्ल्डवाइड की वैश्विक टीम का हिस्सा बने। पियूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन में स्थानीय भाषा, सांस्कृतिक भावनाओं और सरलता को प्राथमिकता दी, जिसने देशभर में विज्ञापन की दिशा बदल दी।
पियूष पांडे के प्रमुख अभियान और सांस्कृतिक योगदान
पियूष पांडे केवल एक विज्ञापनकार नहीं थे, बल्कि एक मास्टर स्टोरीटेलर थे। उन्होंने विज्ञापन को कला के साथ सामाजिक जागरूकता का माध्यम भी बनाया। उन्होंने पोलियो उन्मूलन अभियान में अमिताभ बच्चन के साथ मिलकर ‘दो बूंद जिंदगी के’ जैसे नारे बनाए, जिसने पूरे देश में टीकाकरण के प्रति जागरूकता फैलाने में मदद की। उनके विज्ञापन में हास्य, संवेदना और पारंपरिक मूल्यों का अनूठा मिश्रण था, जिसने भारतीय जनता के दिलों को छू लिया।
उन्होंने लोकल कल्चर को वैश्विक मंच पर पहुंचाते हुए भारतीय विज्ञापन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। पियूष पांडे को वर्ष 2016 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और 2024 में उन्हें LIA लीजेंड अवार्ड भी मिला।
#WATCH | Amitabh Bachchan and Abhishek Bachchan at the last rites of ad-man Piyush Pandey in Mumbai pic.twitter.com/LwemgFyrFq
— ANI (@ANI) October 25, 2025
अंतिम संस्कार – एक भावुक विदाई
24 अक्टूबर को मुंबई के शिवाजी पार्क श्मशान घाट में आयोजित अंत्येष्टि समारोह में अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन के साथ कई फिल्म और विज्ञापन जगत के दिग्गजों ने शोक व्यक्त किया। अंतिम संस्कार के दौरान पियूष की बहन ईला अरुण और परिवार के सदस्य गहरे शोक में डूबे नजर आए। अमिताभ बच्चन ने सोशल मीडिया पर पियूष को एक “विज्ञापन का जादूगर” बताया और अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की। पूरे समारोह में शोकाकुल परिवार और मित्रों ने पियूष को अंतिम विदाई दी, जो कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत थे।
पियूष पांडे के अंतिम संस्कार में अमिताभ और अभिषेक बच्चन की उपस्थिति ने इस अवसर की गंभीरता को बढ़ा दिया। जहां सभी ने उनके योगदान को सराहा, वहीं यह खबर पंकज ढीमर का निधन जैसी अन्य दुखद खबरों के बीच आई, जिसने भारतीय मनोरंजन जगत को दोहरा बड़ा धक्का दिया।
अमिताभ- अभिषेक बच्चन की श्रद्धांजलि और भावुक संदेश
अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग पर लिखा कि पियूष पांडे एक ऐसा इंसान थे जो न केवल क्रिएटिव थे बल्कि बहुत बड़े दोस्त भी थे। अभिषेक बच्चन ने भी सोशल मीडिया के जरिए अपने दुःख का इज़हार करते हुए कहा कि पियूष जी के साथ काम करना सौभाग्य की बात थी। दोनों ने कहा कि पियूष पांडे की यादें और उनकी कृतियां सदैव जीवित रहेंगी।
पियूष पांडे की विरासत और उनके प्रेरणादायक शब्द
उनकी विज्ञापन शैली भारतीय संस्कृति और जीवनशैली की आत्मा को प्रतिबिंबित करती थी। वे कहते थे कि “विज्ञापन केवल उत्पाद बेचने का साधन नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने का माध्यम है।” उनके द्वारा बनाए विज्ञापन आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए मजबूत मार्गदर्शन हैं।
सामाजिक और राष्ट्रीय अभियानों में योगदान
पियूष पांडे ने देश के कई राष्ट्रीय अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई। उनमें से पोलियो उन्मूलन अभियान का यह प्रभावी हिस्सा था, जिसके तहत पूरे देश में टीकाकरण को प्रोत्साहित किया गया। इस अभियान की सफलता में उनकी विज्ञापन रणनीतियों का बड़ा योगदान था, जिसने भारत को पोलियो मुक्त देश बनाने में मदद की।
अंतिम शब्द
भारत का विज्ञापन जगत आज एक महान कलाकार को खो चुका है। पियूष पांडे की रचनात्मकता, उनकी सामाजिक सोच और उनकी मेहनत सभी के लिए प्रेरणा रहेगी। अमिताभ और अभिषेक बच्चन जैसे बड़े कलाकारों द्वारा उनकी अंतिम संस्कार में श्रद्धांजलि उनके योगदान की याद दिलाती है। पियूष पांडे ने जीवनभर जो छाप छोड़ी है, वह सदैव जीवित रहेगी।



















