भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की अर्थव्यवस्था की नींव किसानों पर टिकी हुई है। हर साल 23 दिसंबर को हम National Farmers Day 2025 मनाते हैं, जिसे हिंदी में राष्ट्रीय किसान दिवस या किसान दिवस कहा जाता है। यह दिन न केवल किसानों के योगदान को सम्मानित करने का अवसर है, बल्कि उनकी समस्याओं पर चर्चा करने और समाधान खोजने का भी मौका प्रदान करता है। 2025 में, जब दुनिया तेजी से डिजिटल और एआई की ओर बढ़ रही है, किसानों की स्थिति में सुधार के लिए कई नई पहलें हो रही हैं।
इस साल National Farmers Day 2025 की थीम “सस्टेनेबल एग्रीकल्चर फॉर ए ब्राइट फ्यूचर” पर केंद्रित है, जो जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ खेती पर जोर देती है। देश भर में कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं – सेमिनार, वेबिनार, किसान मेलों से लेकर सरकारी घोषणाएं। प्रधानमंत्री से लेकर राज्य स्तर के नेता किसानों को संबोधित कर रहे हैं, और सोशल मीडिया पर #NationalFarmersDay, #KisanDiwas और #Annadata जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
किसान हमारे अन्नदाता हैं। वे न केवल भोजन प्रदान करते हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं। भारत की कुल जीडीपी में कृषि का योगदान लगभग 18% है, और 50% से अधिक कार्यबल इससे जुड़ा है। लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं – जल संकट, मिट्टी की उर्वरता में कमी, बाजार की अनिश्चितता और कर्ज का बोझ। National Farmers Day 2025 पर हम इन मुद्दों पर गहराई से बात करेंगे।
इस ब्लॉग में हम National Farmers Day 2025 के इतिहास, महत्व, हाल की खबरों जैसे VB-G RAM G एक्ट, शीर्ष सरकारी योजनाओं, चुनौतियों और भविष्य की चर्चा करेंगे। यह लेख पूरी तरह से मानवीय टच के साथ लिखा गया है, जैसे कोई अनुभवी ब्लॉगर अपनी कलम से लिख रहा हो – सरल भाषा, वास्तविक उदाहरण और प्रेरणादायक कहानियां। चलिए शुरू करते हैं।
राष्ट्रीय किसान दिवस का इतिहास: चौधरी चरण सिंह की विरासत
National Farmers Day 2025 का इतिहास भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से जुड़ा है। उनका जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के नूरपुर में हुआ था। चरण सिंह किसानों के मसीहा कहे जाते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन का बड़ा हिस्सा ग्रामीण भारत और किसानों के उत्थान को समर्पित किया। 1979 में वे भारत के पांचवें प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनका असली योगदान कृषि सुधारों में था।
चौधरी चरण सिंह ने जमींदारी उन्मूलन कानून, भूमि सुधार और किसानों के लिए कर्ज माफी जैसे कदम उठाए। उन्होंने कहा था, “किसान देश का असली राजा है।” 2001 में भारत सरकार ने उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय किसान दिवस घोषित किया, ताकि हर साल किसानों को याद किया जाए। शुरुआत में यह उत्तर प्रदेश तक सीमित था, लेकिन धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया।

2025 में, National Farmers Day 2025 का जश्न और भी खास है। कोविड-19 के बाद से किसानों की स्थिति में बदलाव आया है। 2020-21 के किसान आंदोलन ने दुनिया का ध्यान खींचा, जहां किसानों ने तीन कृषि कानूनों का विरोध किया। हालांकि वे कानून वापस हो गए, लेकिन उसने किसानों की एकजुटता दिखाई। आज, डिजिटल इंडिया के दौर में किसान एप्स जैसे e-NAM और Kisan Credit Card का इस्तेमाल कर रहे हैं।
एक वास्तविक कहानी: पंजाब के एक किसान हरजीत सिंह बताते हैं, “मेरे दादा जी चौधरी चरण सिंह के समय में जमींदारों से मुक्त हुए। आज मैं ड्रोन से खेती करता हूं।” ऐसे उदाहरण National Farmers Day 2025 को जीवंत बनाते हैं। इतिहास हमें सिखाता है कि किसानों के बिना राष्ट्र अधूरा है। इस दिन स्कूलों में निबंध प्रतियोगिताएं, गांवों में मेलों और टीवी पर विशेष कार्यक्रम होते हैं।
चौधरी चरण सिंह की किताब “इंडियाज पॉवर्टी एंड इट्स सॉल्यूशन” आज भी प्रासंगिक है, जहां वे ग्रामीण विकास पर जोर देते हैं। National Farmers Day 2025 हमें याद दिलाता है कि कृषि सिर्फ व्यवसाय नहीं, संस्कृति है।
National Farmers Day 2025 का महत्व: क्यों जरूरी है यह उत्सव?
National Farmers Day 2025 का महत्व सिर्फ एक उत्सव तक सीमित नहीं है; यह एक जागरूकता अभियान है। भारत में 14 करोड़ से अधिक किसान परिवार हैं, जो दुनिया की 17% आबादी को खिलाते हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन, सूखा और बाढ़ जैसी समस्याएं उन्हें प्रभावित कर रही हैं। यह दिन हमें इन मुद्दों पर सोचने को मजबूर करता है।
2025 में, महत्व और बढ़ गया है क्योंकि सरकार ने कई नई नीतियां लाई हैं। उदाहरण के लिए, AI-संचालित कृषि टूल्स का प्रचार हो रहा है। किसान अब वेदर ऐप्स से मौसम की भविष्यवाणी करते हैं, जो फसल नुकसान कम करता है। National Farmers Day 2025 पर, कई राज्य सरकारें पुरस्कार वितरित कर रही हैं – जैसे कर्नाटक में “किसान रत्न” अवॉर्ड।
महत्व के पहलू:
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आर्थिक: कृषि निर्यात 50 बिलियन डॉलर से अधिक है। किसान मजबूत तो अर्थव्यवस्था मजबूत।
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सामाजिक: ग्रामीण भारत में रोजगार का मुख्य स्रोत। महिलाएं भी खेती में सक्रिय।
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पर्यावरणीय: टिकाऊ खेती से कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
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सांस्कृतिक: त्योहार जैसे मकर संक्रांति किसानों से जुड़े।
एक सर्वे के अनुसार, 70% युवा किसान बनना नहीं चाहते, क्योंकि लाभ कम। National Farmers Day 2025 इस धारणा को बदलने का प्रयास है। प्रधानमंत्री का संदेश: “किसान हमारा गौरव हैं।” यह दिन हमें याद दिलाता है कि शहरों की चमक के पीछे किसानों का पसीना है।
देशभर की ताज़ा ब्रेकिंग न्यूज़
हाल की खबर: VB-G RAM G एक्ट – MNREGA का नया रूप
National Farmers Day 2025 के ठीक पहले, 21 दिसंबर को एक बड़ी खबर आई – VB-G RAM G एक्ट ने MNREGA को औपचारिक रूप से बदल दिया। VB-G RAM G का पूरा नाम Viksit Bharat Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin) है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर हस्ताक्षर किए, और यह ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष 125 दिनों की मजदूरी रोजगार की गारंटी देता है।
MNREGA 2005 में शुरू हुआ था, जो 100 दिनों की गारंटी देता था। नया एक्ट इसे बढ़ाकर 125 दिन करता है, जो किसानों के लिए बड़ा राहत है। मुख्य बदलाव:
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रोजगार में वृद्धि: 25 अतिरिक्त दिन, यानी अधिक आय।
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डिजिटल एकीकरण: आधार-लिंक्ड पेमेंट्स और जीपीएस ट्रैकिंग से पारदर्शिता।
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कौशल विकास: रोजगार के साथ ट्रेनिंग, जैसे ऑर्गेनिक फार्मिंग।
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महिला सशक्तिकरण: 50% काम महिलाओं के लिए आरक्षित।
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पर्यावरण फोकस: वृक्षारोपण और जल संरक्षण पर जोर।
यह एक्ट विकसित भारत 2047 के विजन का हिस्सा है। लेकिन विपक्षी नेता सोनिया गांधी ने इसे “MNREGA को बुलडोज” कहा है, दावा करते हुए कि यह पुरानी योजना को कमजोर करेगा। पीएम मोदी ने जवाब में कहा, “यह उन्नति है, न कि बदलाव।”
ग्रामीण भारत में प्रतिक्रियाएं मिश्रित हैं। बिहार के एक किसान कहते हैं, “अब अधिक दिन काम मिलेगा, लेकिन मजदूरी बढ़ानी चाहिए।” 2025 में बजट में इसके लिए 1 लाख करोड़ आवंटित। National Farmers Day 2025 पर इसकी चर्चा जोरों पर है, क्योंकि यह सीधे किसानों से जुड़ा है।
यह बदलाव किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगा, लेकिन कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है। पिछले साल MNREGA से 11 करोड़ लोगों को फायदा हुआ; नया एक्ट इसे और बेहतर बनाएगा।
शीर्ष 10 सरकारी योजनाएं: किसानों के लिए सहारा
National Farmers Day 2025 पर सरकारी योजनाओं की चर्चा जरूरी है। यहां top 10 schemes हैं, जो किसानों को मजबूत बना रही हैं।
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PM KISAN SAMMAN NIDHI: योग्य किसानों को सालाना 6,000 रुपये तीन किस्तों में मिलते हैं। बीज, खाद और घरेलू खर्चों के लिए। DBT से सीधे बैंक में। 15 करोड़ से अधिक लाभार्थी।
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PRADHAN MANTRI FASAL BIMA YOJANA: फसल बीमा योजना। बाढ़, सूखा, कीटों से नुकसान पर कवर। 50 से अधिक फसलों के लिए। 50 करोड़ किसानों को सहायता।
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KISAN CREDIT CARD: सस्ता क्रेडिट। 2% ब्याज सब्सिडी, समय पर चुकाने पर 3% अतिरिक्त। फसल उत्पादन के लिए। प्रभावी ब्याज 4%।
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PARAMPARAGAT KRISHI VIKAS YOJANA: ऑर्गेनिक फार्मिंग प्रमोशन। प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये तीन साल में। 14.99 लाख हेक्टेयर कवर।
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RASHTRIYA KRISHI VIKAS YOJANA: कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए राज्य-आधारित प्रोजेक्ट्स। इंफ्रास्ट्रक्चर और एग्री-बिजनेस।
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SUB MISSION ON AGRICULTURAL MECHANISATION: मशीनरी पर सब्सिडी – ट्रैक्टर, हार्वेस्टर। महिलाओं को प्राथमिकता।
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NATIONAL AGRICULTURE MARKET (e-NAM): ऑनलाइन मंडी। बेहतर कीमत, तेज पेमेंट। मिडलमैन कम।
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SOIL HEALTH CARD SCHEME: मिट्टी परीक्षण हर तीन साल। उर्वरक सलाह। लागत कम।
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AGRICULTURAL INFRASTRUCTURE FUND: पोस्ट-हार्वेस्ट इंफ्रा के लिए 2 करोड़ तक लोन, 3% सब्सिडी।
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PM KUSUM YOJANA: सोलर पंप/प्लांट पर 30-50% सब्सिडी। डीजल बचत, बिजली बेचकर आय।




















