दिल्ली स्कूल में बम धमकी बनी झूठी अफवाह; छात्र ने परीक्षा से बचने के लिए भेजा ईमेल
वेस्ट दिल्ली के विशाल भारती पब्लिक स्कूल में हाल ही में आई बम धमकी ने पूरे स्कूल समुदाय में डर और हड़कंप मचा दिया था। लेकिन पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ कि यह धमकी पूरी तरह से झूठी थी। पुलिस ने पाया कि इस झूठे धमकी भरे ईमेल को एक ही छात्र ने परीक्षा से बचने के लिए भेजा था।
धमकी का ईमेल और स्कूल प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्कूल प्रशासन को सुबह समय पर एक अज्ञात ईमेल मिला जिसमें स्कूल परिसर में बम बम विस्फोट की सूचना दी गई थी। तुरंत प्रशासन ने पुलिस को सूचित किया और सुरक्षा प्रबंधों को सक्रिय कर दिया। बच्चों को तत्काल बाहर निकाला गया और बम निरोधक दस्ते को बुलाया गया। इस दौरान अभिभावकों में चिंता की लहर दौड़ गई और मीडिया द्वारा भी इस घटना को व्यापक कवर किया गया।
पुलिस जांच और छात्र की पहचान
पुलिस की साइबर सेल ने ईमेल की तकनीकी जांच शुरू करते हुए उसकी IP ट्रैकिंग की। कुछ घंटों के भीतर छात्र की पहचान हो गई, जो फिलहाल स्कूल में पढ़ाई कर रहा था। पूछताछ में उसने अपने किए का स्वीकार किया और बताया कि वह परीक्षा में पास होने के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं कर पाया था। उसने इस झूठी धमकी के जरिए परीक्षा रद्द करने की योजना बनाई थी।
A bomb threat e-mail sent to a private school in outer Delhi turned out to be a hoax, with police tracing the sender to a student who wanted to avoid exams, officials said on Fridayhttps://t.co/0JiHtNjGe4
— The Hindu (@the_hindu) October 17, 2025
छात्र की स्वीकारोक्ति: परीक्षा से बचने का डर
छात्र ने पुलिस को बताया कि परीक्षा का तनाव और तैयारी का अभाव उसके लिए असहनीय था, इसी कारण उसने इतना गंभीर कदम उठाया। विशेषज्ञों का मानना है कि आज के दबाव भरे शैक्षिक माहौल में कई बच्चे इसी तरह मानसिक तनाव में आ जाते हैं, जिसकी वजह से वे गलत फैसले ले लेते हैं। इस मुद्दे पर स्कूल और अभिभावकों द्वारा मिलकर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना अति आवश्यक है।
स्कूल में सुरक्षा व बचाव के इंतजाम
धमकी मिलते ही स्कूल में बम स्क्वाड, अग्निशमन विभाग और पुलिस बल की तैनाती की गई। छात्रों को सुरक्षित निकालकर स्कूल परिसर की पूरी तलाशी ली गई, जो किसी भी विस्फोटक सामग्री से मुक्त पाई गई। अभिभावकों ने भी इस घटना पर चिंता जताई और स्कूल प्रशासन से बच्चों की सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त कदम उठाने की मांग की।
परीक्षा तनाव और बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य
आज के प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा प्रणाली में बच्चों पर परीक्षा का विशेष दबाव होता है। तनाव के कारण बच्चे कई बार असामान्य और खतरनाक निर्णय ले लेते हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष प्रोग्राम लागू किए जाएं, ताकि बच्चे आसानी से तनाव से निपट सकें।
बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की बढ़ती चिंताएं
इस घटना के साथ ही देश में हाल ही में खांसी के तीन सिरपों को लेकर भी गंभीर चेतावनी जारी की गई है, जिनमें से कुछ सिरपों के सेवन से बच्चों की मौतें हुई हैं। ऐसे जहरीले पदार्थ डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) से संदूषित ये सिरप बच्चों की सेहत के लिए अत्यंत खतरनाक हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने इन सिरपों के उपयोग पर तत्काल रोक लगाई है और जनता को केवल प्रमाणित दवाइयों के इस्तेमाल की सलाह दी है। इसी संदर्भ में सुरक्षा उपायों और जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास जारी हैं। यह विषय बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की व्यापक दृष्टि देखने के लिए महत्वपूर्ण है। यहां पढ़ें
कानूनी पहल और किशोर न्याय के तहत कार्रवाई
ऐसे मामलों में अपराधी छात्र के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। पुलिस ने छात्र को कानूनी प्रक्रिया के तहत हिरासत में लिया है और उसे सुधारात्मक कदमों के अनुरूप रखा जाएगा। बच्चों के सुधार पर फोकस करते हुए स्कूल और अभिभावकों को भी जिम्मेदारी निभानी होगी।
अभिभावकों और शिक्षकों के लिए सुझाव
अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ नियमित संवाद करना चाहिए और उनकी चिंताओं को समझना चाहिए। स्कूलों को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर छात्रों की देखभाल करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो कि कोई भी बच्चा अकेले तनाव में न रह जाए।
इस घटना से सीख
यह घटना हमें बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की जरूरतों पर नए सिरे से विचार करने की प्रेरणा देती है। साथ ही यह भी दर्शाती है कि अभिभावक, शिक्षक और समाज को मिलकर बच्चों के लिए सुरक्षित और तनावमुक्त वातावरण बनाना चाहिए।