अमेरिका के कोलोराडो राज्य के बोल्डर शहर में बीते हफ्ते एक चौंकाने वाली घटना घटी, जिसमें मोहम्मद सुलेमान नाम के युवक ने एक घर के बाहर खुद को माली बताकर हमला कर दिया। 20 वर्षीय यह संदिग्ध वहां के स्थानीय नहीं बल्कि टेक्सास के ऑस्टिन शहर का रहने वाला है। वह एक शांत इलाका माने जाने वाले पड़ोस में एक अजनबी के घर पर हमला करने के इरादे से पहुंचा था।
पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुलेमान खुद को माली बताकर घटनास्थल पर पहुंचा और एक व्यक्ति को निशाना बनाकर गोली चलाई। इस हमले ने पूरे अमेरिका को हिला कर रख दिया है।
हमला कैसे हुआ – पूरा घटनाक्रम
यह घटना शुक्रवार की दोपहर की है और इसने न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींचा है।
CCTV फुटेज के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति किसी तरह जान बचाकर अंदर भागा और दरवाजा बंद किया। लेकिन संदिग्ध ने दरवाजे पर भी गोली चलाई। यह सब कुछ कुछ ही मिनटों में हुआ। पड़ोसियों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।
माली बनकर आया, जानलेवा हमला कर गया।
BREAKING: SUSPECT IDENTIFIED as Mohamad Soliman in the Boulder terror attack shows
He was shouting pro-Palestine propaganda with a thick accent.
THIS IS WHY WE NEED MASS DEPORTATIONS. These people SHOULD NOT BE HERE.
Multiple victims have been life-flighted from the area, and… pic.twitter.com/XaxiAGH2XI
— Alma Gentil (@Chinoy200096633) June 1, 2025
हमलावर की मानसिक स्थिति और उसकी सोच
पुलिस जांच के अनुसार, सुलेमान की मानसिक स्थिति सामान्य नहीं मानी जा रही है। जांच के दौरान पता चला कि वह खुद को ईश्वर का ‘भेजा हुआ’ मानता था और उसका मानना था कि उसे एक मिशन पर भेजा गया है।
उसने कहा कि वह ‘सभी ज़ायोनिस्ट्स को खत्म करना‘ चाहता था क्योंकि वे उसके विचारों के विरुद्ध थे।
सोशल मीडिया पर नफरत भरे विचार साझा करता था।
पुलिस की रिपोर्ट में क्या चौंकाने वाला खुलासा हुआ
बोल्डर पुलिस और एफबीआई की संयुक्त जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच में पता चला कि सुलेमान के पास दो हथियार थे – एक गन और एक चाकू। उसके बैग में धार्मिक प्रतीकों की भी कुछ चीजें मिलीं जिनका वह गलत मतलब निकाल रहा था।
पुलिस ने बताया कि सुलेमान का मकसद सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक पूरी विचारधारा को निशाना बनाना था। उसने अपने बयान में कहा कि वह एक ‘आत्मिक मिशन‘ पर आया था।
यह सिर्फ़ एक अकेला हमला नहीं, एक व्यापक योजना का हिस्सा हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ – ज़ायोनिस्ट शब्द का मतलब क्या है?
ज़ायोनिस्ट शब्द का उपयोग यहूदी राष्ट्रवाद के लिए किया जाता है, खासकर इज़राइल के समर्थन में। लेकिन कई बार इस शब्द का इस्तेमाल गलत नफरत फैलाने के लिए भी होता है।
सुलेमान ने इस शब्द को लेकर अपनी सोच में कट्टरपंथी विचार अपना लिए थे और उसके अनुसार वह इन लोगों को ‘दुनिया से मिटाना‘ चाहता था। यह सोच न केवल गलत है बल्कि खतरनाक भी।
ज़ायोनिस्ट शब्द को कई बार गलत तरीके से प्रचारित किया जाता है।
समाज पर असर और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
इस हमले के बाद बोल्डर में खौफ का माहौल है। स्थानीय निवासियों ने इसे एक नफरत भरा हमला बताया है। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई।
कई यूजर्स ने सवाल उठाए कि कैसे कोई माली बनकर इस तरह खुलेआम हमला कर सकता है और सुरक्षा व्यवस्था क्या कर रही थी?
यह हमला किसी एक व्यक्ति पर नहीं, एक समुदाय पर हमला था।
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कानूनी कार्रवाई और अगला कदम
पुलिस ने मोहम्मद सुलेमान को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया था। कोर्ट में उसकी पेशी हो चुकी है और फिलहाल उसे मानसिक जांच के लिए हिरासत में रखा गया है।
अधिकारियों का कहना है कि इस मामले की गहन जांच की जा रही है और जरूरत पड़ी तो आतंकवादी हमले के तहत भी मुकदमा चलाया जा सकता है।
फिलहाल आरोपी की जमानत नामंज़ूर, जांच जारी।
सवाल जो रह गए – क्या हम सुरक्षित हैं?
यह घटना कई सवाल छोड़ जाती है:
- क्या मानसिक बीमारियों की समय पर पहचान नहीं हो पा रही?
- सोशल मीडिया पर फैले नफरत भरे विचारों को कैसे रोका जाए?
- और सबसे अहम – क्या सुरक्षा एजेंसियां ऐसे संभावित खतरों के लिए तैयार हैं?
क्या इस घटना से हमें सुरक्षा तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य पर फिर से सोचने की ज़रूरत है?
निष्कर्ष
बोल्डर में हुआ यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति की मानसिक अस्थिरता का मामला नहीं बल्कि एक बड़ी चेतावनी है – कि समाज में पनप रही नफरत किस हद तक खतरनाक हो सकती है।
इस लेख को पढ़ने के बाद आप क्या सोचते हैं? क्या ऐसा हमला रोका जा सकता था?
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