FIDE Women’s World Cup 2025 के सेमीफाइनल में भारतीय ग्रैंडमास्टर दिव्या देशमुख ने चीन की दिग्गज खिलाड़ी टैन झोंगयी को हराकर इतिहास रच दिया। यह मुकाबला जितना तकनीकी था, उतना ही भावनात्मक भी। आखिरी चाल तक सांसें थमी रहीं और फिर जब दिव्या ने बाज़ी अपने नाम की, तो सिर्फ़ एक शब्द निकला — “I’m sorry for all the heart attacks today!”
उनकी यह टिप्पणी जितनी मज़ाकिया लगी, उतनी ही दर्शकों की भावनाओं को छू गई। पूरे मैच के दौरान गेम की टेंशन दर्शकों के चेहरे पर झलकती रही, और जब अंत में भारत की जीत हुई तो वह केवल एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि पूरे देश की जीत थी।
खेल की बारीकियां और पल-पल बदलता समीकरण
यह मुकाबला किसी साधारण खेल की तरह नहीं था। दोनों खिलाड़ी दुनिया की शीर्ष रैंकिंग वाली थीं। टैन झोंगयी की ओपनिंग से लेकर मिड-गेम तक स्थिति उनके पक्ष में दिख रही थी, लेकिन फिर दिव्या ने अपने शांत और ठोस मूव्स से पूरा गेम पलट दिया।
एक समय ऐसा लगा कि गेम टाई हो सकता है, लेकिन दिव्या की किंग साइड पर की गई आक्रामक रणनीति ने निर्णायक बढ़त दिला दी। उनकी चालों में संयम और आत्मविश्वास स्पष्ट दिखा।
दर्शकों की धड़कनों से जुड़ा हर मूव
पूरे भारत में चेस प्रेमी इस मुकाबले पर नजरें गड़ाए बैठे थे। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर लाइव कमेंट्री चल रही थी, ट्विटर पर ट्रेंड बन गया था – #GoDivya।
जैसे-जैसे मैच बढ़ता गया, वैसी ही लोगों की बेचैनी भी। दिव्या की अंतिम चाल के बाद लोगों ने राहत की सांस ली। उनकी उस लाइन – “I’m sorry for all the heart attacks today” – को सैकड़ों बार री-ट्वीट किया गया।
फाइनल से पहले का आत्मविश्वास भरा संदेश
दिव्या देशमुख ने जीत के बाद कहा कि यह केवल एक पड़ाव है, असली मंज़िल तो अभी बाकी है। वह अब FIDE Women’s World Cup 2025 के फाइनल में प्रवेश कर चुकी हैं, जहां उनका मुकाबला शीर्ष खिलाड़ी से होगा।
उनका कहना था कि “यह जीत मेरे कोच, मेरे माता-पिता और सभी भारतीय फैंस की मेहनत और दुआओं का नतीजा है। लेकिन अब मेरा फोकस पूरी तरह से फाइनल पर है।”
🇮🇳 19-year-old Divya Deshmukh (2476.2, Junior Girl #1) has defeated her third GM in a row, this time overcoming the strong 🇨🇳 Tan Zhongyi 1.5:0.5 in a rollercoaster battle: https://t.co/jcXe4xbw00
Thanks to this victory, she advances to the finals of the FIDE Women’s World Cup… pic.twitter.com/RT1HD2HrgE
— 2700chess (@2700chess) July 23, 2025
दिव्या देशमुख: मेहनत, धैर्य और रणनीति की मिसाल
नागपुर की रहने वाली दिव्या देशमुख को बचपन से ही चेस का जुनून रहा है। उन्होंने बहुत कम उम्र में इंटरनेशनल मास्टर और फिर ग्रैंडमास्टर टाइटल हासिल किया। उनकी खेल शैली में स्थिरता, विश्लेषण क्षमता और मूव्स में विविधता है।
उनका करियर हाल के वर्षों में तेजी से उभरा है, और अब इस जीत ने उन्हें भारत के टॉप चेस खिलाड़ियों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया है।
सेमीफाइनल में पहुंचने तक का शानदार सफर
FIDE वर्ल्ड कप में दिव्या ने हर राउंड में जबरदस्त प्रदर्शन किया। क्वार्टरफाइनल में उन्होंने अनुभवी खिलाड़ी हरिका द्रोणावल्ली को मात दी थी। उस जीत के बाद यह रिपोर्ट में उनके आत्मविश्वास की झलक पहले ही मिल गई थी।
उनका यह लगातार बढ़ता हुआ आत्मबल ही उन्हें फाइनल तक लेकर आया है।
फाइनल में संभावनाएं और चुनौतियां
अब दिव्या देशमुख का सामना वर्ल्ड की नंबर 1 या नंबर 2 खिलाड़ी से हो सकता है। यह मैच न केवल उनके करियर के लिए अहम है, बल्कि भारतीय महिला चेस के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण।
भारत में चेस को अब क्रिकेट की तरह लोकप्रियता मिलने लगी है, और दिव्या जैसे युवा खिलाड़ियों की वजह से यह खेल नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है।
महिला चेस में भारत का बढ़ता दबदबा
पिछले कुछ वर्षों में भारत से कई बेहतरीन महिला चेस खिलाड़ी उभर कर आई हैं – जैसे हरिका, हम्पी, वैशाली इत्यादि। दिव्या अब उस कड़ी में सबसे नई और तेज़ उभरती प्रतिभा हैं। उनकी जीत इस बात का संकेत है कि भारत अब केवल प्रतिभा का भंडार नहीं, बल्कि विश्व विजेता पैदा करने की जमीन बन चुका है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर दिव्या की जीत के बाद बधाइयों की बाढ़ आ गई। खिलाड़ियों से लेकर सामान्य दर्शकों तक, हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है।
एक यूज़र ने लिखा – “दिव्या की चालें देखकर आनंद आ गया। शांति के साथ जो तूफान लाती है, वही असली ग्रैंडमास्टर होती है।”
यह सिर्फ शुरुआत है
दिव्या देशमुख की यह जीत महिला खिलाड़ियों को प्रेरणा देगी। उन्होंने अपने प्रदर्शन से यह साबित कर दिया है कि आत्मविश्वास, तैयारी और रणनीति से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
अब सभी की निगाहें फाइनल पर हैं, जहां भारत को फिर से गर्व करने का मौका मिल सकता है। और जैसा कि दिव्या ने कहा — “Heart attacks toh aur bhi ho सकते hain, ready रहिए!”