दीवाली का महत्व और तिथियाँ
दीपावली, जिसे दीपोत्सव भी कहा जाता है, भारत की सबसे प्रमुख और पावन त्योहारों में से एक है। यह अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। 2025 में दीपावली का मुख्य दिन 20 अक्टूबर सोमवार को मनाया जाएगा, जो कार्तिक अमावस्या तिथि के अनुकूल है। यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें सबसे विशेष दिन लक्ष्मी पूजा और दीप जलाने का होता है। इस दिन लोग अपने घरों को साफ-सुथरा कर सजाते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, ताकि समृद्धि और खुशहाली आए।
2025 में दीवाली के नवीनतम अपडेट
इस साल दीवाली की तिथि और शुभ मुहूर्त में कुछ परिवर्तन हैं। अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर से शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम तक रहेगी, इसलिए कुछ जगहों पर तिथि के आधार पर त्योहार का दिन अलग हो सकता है। अधिकांश भाग में इसका मुख्य मुहूर्त शाम 7:08 बजे से 8:18 बजे तक रहेगा, जो लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे शुभ माना गया है। इस समय मां लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी पूजा के साथ घरों को दीपों से सजाने का क्रम होता है, जिससे सभी को धन-वैभव और सुख-शांति प्राप्त होती है।
क्षेत्रीय विविधताएँ और त्योहार के अलग रंग
दीपावली पूरे भारत में अलग-अलग रीति-रिवाजों से मनाई जाती है। उत्तर भारत में यह मुख्य रूप से राम के वनवास से लौटने और लक्ष्मी पूजा के साथ जुड़ा होता है। दक्षिण भारत में इसे दीपावली की शुरुआत नारक चतुर्दशी से करते हैं, जो दैत्य नरकासुर के वध की याद दिलाती है। पश्चिम एवं पूर्व भारत में भी दीपावली अपने-अपने खास तरीकों से मनाई जाती है, जिसमें स्थानीय सांस्कृतिक रंग समाहित होते हैं।
शहरी क्षेत्र में आधुनिक सजावट, रंग-बिरंगे लाइट्स और आतिशबाजी की रौनक अधिक देखने को मिलती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक लोक गीत, नाच-गान और हाथ की बनी मिठाईयाँ उत्सव को विशेष बनाए रखती हैं।
सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल दीवाली मनाने के सुझाव
पटकाओं से होने वाले प्रदूषण और दुर्घटनाओं की चिंता में 2025 में अधिक लोग सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल दीवाली मनाने की ओर बढ़ रहे हैं। LED लाइट्स का उपयोग बढ़ा है, जो ऊर्जा की बचत करते हैं। दीयों के लिए कागज और मिट्टी के विकल्प अपनाए जा रहे हैं ताकि वायु प्रदूषण कम हो।
इसके अलावा, पटाखों के उपयोग में सावधानी, बच्चों की सुरक्षा, और परिष्कृत आतिशबाजी के नियमों का पालन प्रमुख है। कोविड-19 के बाद स्वच्छता, मास्क पहनना और सामाजिक दूरी को भी त्यौहार के दौरान ध्यान रखे जाने की सलाह दी गई है।
दीवाली का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
दीपावली के दौरान बाजारों में खरीदारी का उत्साह चरम पर होता है। नए कपड़े, गहने, इलेक्ट्रॉनिक्स, और घरेलू उपकरणों की बिक्री में भारी वृद्धि होती है। डिजिटल भुगतान का बढ़ता चलन ट्रांजेक्शन को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाता है।
स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यवसायों को भी दीवाली की वजह से रोजगार के नए अवसर मिलते हैं। त्योहार सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है, परिवार और मित्र मिलते हैं। उपहार और मिठाइयां बांटने की परंपरा इस पर्व को और भी मधुर बनाती है।
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This festive season, it’s about lighting the way forward. ‘Light a light, plant a plant.’ #OnePlus #Diwali pic.twitter.com/F055Xnqx6Q
— OnePlus India (@OnePlus_IN) October 3, 2025
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आधुनिक धडकन और डिजिटल युग में दीवाली
आज के समय में, दीवाली मनाने के तरीके भी बदल गए हैं। ऑनलाइन शॉपिंग, वर्चुअल ग्रीटिंग्स, सोशल मीडिया पर उत्सव की झलकियां, और डिजिटल गिफ्टिंग नए चलन हैं। युवा पीढ़ी सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी दीवाली की खुशियाँ साझा करते हैं।
साथ ही, स्वस्थ और नवीन व्यंजनों, फैशन ट्रेंड्स, और पर्यावरण-हितैषी सजावट भी लोगों में लोकप्रिय हो रही है। यह त्योहार परंपरा और आधुनिकता का सुंदर मिश्रण बन गया है।
निष्कर्ष
दीपावली केवल प्रकाश का त्योहार नहीं, बल्कि यह परिवार, प्रेम, और सांस्कृतिक विरासत का पर्व है। नया साल और नयी उम्मीदों का संदेश देता है। इस पर्व पर सभी से अनुरोध है कि वे अपने अनुभव, खुशियों और त्योहार की यादगार तस्वीरें कमेंट में साझा करें ताकि हमारी वेबसाइट पर एक सौहार्दपूर्ण समुदाय बन सके।
यदि आप त्योहारों के बारे में और जानना चाहते हैं तो हमारे आलेख “अहोई माता पूजा: पवित्र त्योहार के रहस्य” को अवश्य पढ़ें, जो आपको भारतीय त्योहारों की गहरी समझ देगा। इसे आप इस लिंक पर देख सकते हैं: अहोई माता पूजा