जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को संकट में डाल दिया है। बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने कई जिलों में तबाही मचाई है। ताज़ा घटनाओं में रियासी जिले में एक ही परिवार के सात सदस्यों की मौत हो गई, वहीं रामबन में चार लोगों की जान चली गई। इस बीच वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर भी गंभीर हालात बने, जहाँ भारी बारिश ने जनहानि और अव्यवस्था को और बढ़ा दिया। हाल ही में जम्मू में हुई भारी बारिश और 41 मौतों की रिपोर्ट ने भी इस त्रासदी की गम्भीरता को उजागर किया था।
रियासी त्रासदी: एक ही परिवार की मौत
रियासी जिले में बारिश और मलबे के तेज़ बहाव ने एक पूरे परिवार को अपनी चपेट में ले लिया। घटना इतनी भयावह थी कि सातों लोगों की मौके पर ही जान चली गई। राहत दल तुरंत पहुँचे, लेकिन लगातार बारिश और बंद रास्तों ने ऑपरेशन में रुकावट डाली।
यह हादसा बताता है कि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले परिवार प्राकृतिक आपदाओं के प्रति कितने असुरक्षित हैं। सुरक्षा ढाँचे की कमी और चेतावनी तंत्र की कमजोरी ऐसे हादसों को और घातक बना देती है।
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— Ashish Kohli ॐ🇮🇳 (@dograjournalist) August 30, 2025
रामबन का हादसा: बादल फटने से 4 की मौत
रामबन जिले में बादल फटने की घटना से चार लोगों की मौत हो गई। तेज़ बहाव से कई घर क्षतिग्रस्त हो गए और सड़कों पर मलबा भर गया। प्रशासन ने राहत कार्यों के लिए SDRF और स्थानीय टीमें तैनात कीं और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।
राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर भी मलबा आने से यातायात कई घंटों तक प्रभावित रहा। यात्रियों और स्थानीय लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी।
भारी बारिश का राज्यभर में असर
लगातार बारिश ने पूरे जम्मू-कश्मीर में हालात बिगाड़ दिए हैं। नदी-नाले उफान पर हैं, खेत जलमग्न हो गए हैं और कई गाँव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
ग्रामीण इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है। कई जगहों पर सड़कें टूटने और पुल बह जाने से राहत दलों को पहुँचने में कठिनाई हो रही है।
UPDATE
A residential house was buried under a landslide in Mahore area of Reasi district, J&K, leaving seven people feared dead. Officials said rescue teams are on the job to recover those trapped.#cloudburst #mahore #reasi pic.twitter.com/r2d9OGp9oo
— CNS Kashmir (@cnskashmir) August 30, 2025
सरकारी और प्रशासनिक कदम
सरकार ने तुरंत मुआवज़े और राहत पैकेज की घोषणा की है। प्रभावित परिवारों को मदद पहुँचाने के लिए प्रशासन ने टीमों को सक्रिय कर दिया है। सेना और पुलिस के साथ-साथ आपदा प्रबंधन दल भी राहत और बचाव कार्यों में लगे हैं।
लोगों से अपील की गई है कि वे नदियों और नालों के पास न जाएँ और सुरक्षित स्थानों पर शरण लें। कई स्कूल और दफ्तरों को बंद रखा गया है ताकि अनावश्यक जोखिम से बचा जा सके।
स्थानीय लोगों और राहत दल की चुनौतियाँ
राहत दलों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कटे हुए रास्ते, लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने ऑपरेशन को मुश्किल बना दिया है।
इसके बावजूद स्थानीय लोग प्रशासन के साथ मिलकर मदद कर रहे हैं। कई गाँवों में ग्रामीणों ने स्वयंसेवकों के साथ मिलकर फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी भारी बारिश की संभावना जताई है। कई जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण कार्य इन पहाड़ी इलाकों में तबाही को और बढ़ा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएँ
देशभर से पीड़ित परिवारों के लिए संवेदनाएँ व्यक्त की जा रही हैं। सोशल मीडिया पर लोग शोक व्यक्त कर रहे हैं और प्रशासन से दीर्घकालिक रणनीति की माँग कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में हुई इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हम प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हैं?
रियासी में एक ही परिवार के सात लोगों की मौत और रामबन में चार लोगों की जान जाना राज्य के लिए बड़ी त्रासदी है। सरकार, प्रशासन और समाज – सभी को मिलकर समाधान की दिशा में काम करना होगा।
👉 आपकी क्या राय है? क्या आप मानते हैं कि प्रशासन को आपदा प्रबंधन और सुरक्षा उपायों पर और ध्यान देना चाहिए? कृपया नीचे कमेंट में अपनी राय बताइए।




















