पंजाब में फूडग्रेन ट्रांसपोर्टेशन नीति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। आरोप है कि इस नीति के जरिए कुछ ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया और ठेकों के आवंटन में गंभीर अनियमितताएं हुईं। इस मामले में पूर्व मंत्री भारत भूषण आश्यु का नाम प्रमुखता से सामने आया था, जिन पर भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के आरोप लगाए गए। मामला दर्ज होने के बाद जांच शुरू हुई और कई दस्तावेज सामने आए जिनसे कथित वित्तीय गड़बड़ियों का संकेत मिला।
हाईकोर्ट का फैसला
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दिसंबर 2024 में इस मामले की FIR को रद्द कर दिया। अदालत का मानना था कि नीति में किए गए संशोधनों को कैबिनेट और वित्त विभाग की स्वीकृति प्राप्त थी, इसलिए इसे आपराधिक कदाचार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। अदालत ने यह भी कहा कि यह विवाद मूल रूप से संविदात्मक था, न कि आपराधिक, इसलिए FIR दर्ज करने का कोई ठोस आधार नहीं है। इस फैसले ने पंजाब सरकार की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया।
सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल
हाईकोर्ट के फैसले से असहमत पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। सरकार का कहना है कि FIR रद्द किए जाने से भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामलों की जांच पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। सरकार का तर्क है कि जांच एजेंसी के पास पर्याप्त सबूत मौजूद हैं जिन्हें अदालत ने नजरअंदाज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया और अब मामले की अगली सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
#ExpressChandigarh | Foodgrain transportation ‘scam’: #Punjab files SLP in SC, challenges HC’s quashing of FIR against Ashu@kanchan99 reports:https://t.co/MGvoQIEQcb
— The Indian Express (@IndianExpress) August 26, 2025
आश्यु का पक्ष और राजनीतिक असर
पूर्व मंत्री भारत भूषण आश्यु और उनके समर्थकों का कहना है कि उन पर लगाए गए आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। उनका मानना है कि यह केस राजनीतिक प्रतिशोध के तहत बनाया गया था और अदालत का फैसला उनके पक्ष में न्यायसंगत है। वहीं दूसरी ओर, विपक्ष और अन्य दल इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। पंजाब की राजनीति में यह मामला एक बड़ी बहस का कारण बन गया है।
राजनीतिक परिदृश्य से जुड़ी कड़ी
यह विवाद पंजाब के मौजूदा राजनीतिक माहौल पर भी असर डाल रहा है। हाल ही में विपक्ष द्वारा चुनाव आयोग प्रमुख के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव जैसी घटनाएं भी राजनीतिक तनाव को और बढ़ा रही हैं। इसी संदर्भ में आपकी वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट यहाँ क्लिक करें को भी पढ़ा जा सकता है, जिसमें चुनावी प्रक्रिया से जुड़े विवादों पर विस्तार से जानकारी दी गई है।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का रुख इस मामले में बेहद महत्वपूर्ण होगा। यदि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले को पलट देता है तो FIR बहाल हो सकती है और जांच आगे बढ़ेगी। वहीं अगर हाईकोर्ट का निर्णय बरकरार रहता है तो भविष्य में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में इस फैसले का हवाला दिया जा सकता है। इससे न केवल राज्य की राजनीति बल्कि पूरे देश में न्यायिक दृष्टिकोण पर असर पड़ेगा।
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
जनता के बीच इस मामले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे न्याय की जीत बता रहे हैं तो कुछ इसे भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का प्रयास मानते हैं। सोशल मीडिया पर #FoodgrainScam और #PunjabPolitics जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या न्याय व्यवस्था में राजनीतिक दबाव का असर हो रहा है या नहीं।
निष्कर्ष
फूडग्रेन ट्रांसपोर्टेशन घोटाले से जुड़ा यह मामला अब पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के हाथों में है। यह केस न केवल एक पूर्व मंत्री के भविष्य को तय करेगा बल्कि पंजाब की राजनीति और भ्रष्टाचार से निपटने के तरीकों की दिशा भी तय करेगा। जनता की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले पर टिकी हैं, जिससे यह स्पष्ट होगा कि न्यायपालिका भ्रष्टाचार मामलों में कितनी सख्ती से काम कर रही है।




















