उत्तर प्रदेश सरकार की नई स्कूल विलय योजना को लेकर अब राजनीतिक गर्मी तेज़ हो गई है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इस योजना को सीधे तौर पर दलितों, पिछड़ों और गरीब वर्ग के बच्चों के खिलाफ बताते हुए इसे शिक्षा के अधिकार कानून (RTE) पर हमला करार दिया है। उनका कहना है कि इस योजना के ज़रिए सरकार हाशिए पर खड़े समुदायों को शिक्षा से दूर कर रही है।
🔹 क्या है स्कूल विलय योजना?
सरकारी प्रस्ताव के मुताबिक, राज्य में कई ऐसे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को एकजुट किया जाएगा, जिनमें छात्र संख्या कम है या जिनका बुनियादी ढांचा कमजोर है। इस योजना के तहत कई छोटे सरकारी स्कूलों को बड़े स्कूलों में मिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
- कम छात्रसंख्या वाले स्कूलों को एकीकृत किया जाएगा।
- प्रशासन का दावा— इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।
- शुरुआत में योजना कुछ ज़िलों में पायलट आधार पर लागू की जाएगी।
हालांकि, योजना का उद्देश्य प्रशासनिक दृष्टि से उचित दिखता है, लेकिन इसके सामाजिक प्रभाव पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
🔹 गांधी का कड़ा विरोध
कांग्रेस नेता ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह योजना सामाजिक रूप से वंचित वर्गों— जैसे दलित, पिछड़े, ग्रामीण और आदिवासी बच्चों— को लक्षित करके बनाई गई है। उन्होंने चेताया कि यह सिर्फ स्कूल बंद करने की कवायद नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी को शिक्षा से वंचित करने का प्रयास है।
उनकी मुख्य टिप्पणियाँ इस प्रकार हैं:
- “यह फैसला संविधान के उस मूल अधिकार पर हमला है जो हर बच्चे को शिक्षा पाने का अधिकार देता है।”
- “गांवों के स्कूलों को बंद करके शहरों में विलय करना, दूर-दराज़ के बच्चों को स्कूल से काट देगा।”
- “इससे पहले भी सरकार ने ऐसी नीतियों के जरिए सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर किया है।”
The decision of the BJP government is against the “Right to Education”. – #PriyankaGandhi pic.twitter.com/RPROSSW8SR
— Mr. R Gandhi 🇮🇳 (@Mr_RGandhi) July 14, 2025
🔹 शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) और उसका महत्व
RTE कानून यानी शिक्षा का अधिकार अधिनियम वर्ष 2009 में लागू हुआ था। इसके अंतर्गत 6 से 14 वर्ष तक के हर बच्चे को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। इसके अनुसार, हर मोहल्ले, गाँव और क्षेत्र में सरकार को बच्चों के लिए स्कूल स्थापित करने की ज़िम्मेदारी दी गई है।
अब सवाल उठता है—
अगर पास के स्कूलों को बंद कर बड़े स्कूलों में मिलाया जाएगा, तो क्या बच्चों की स्कूली पहुंच सीमित नहीं होगी?
🔹 योजना का सामाजिक प्रभाव: किन्हें होगा नुकसान?
इस योजना का सबसे बड़ा प्रभाव ग्रामीण और गरीब बच्चों पर पड़ सकता है, खासकर ऐसे बच्चों पर जो पहले से ही सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं।
- छोटे गांवों और बस्तियों में स्कूल बंद होने से बच्चों को दूर जाना पड़ेगा।
- लड़कियों की शिक्षा विशेष रूप से प्रभावित हो सकती है, क्योंकि परिवार दूर भेजने में संकोच करते हैं।
- आवागमन की सुविधा न होने पर स्कूल ड्रॉपआउट की दर बढ़ सकती है।
यह एक ऐसा मसला है जिसमें योजनात्मक सोच के साथ सामाजिक सच्चाइयों को भी समझना आवश्यक है।
🔹 सरकार का पक्ष: क्या है बचाव?
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि—
- “स्कूल विलय से संसाधनों का बेहतर प्रयोग होगा।”
- “कई स्कूलों में छात्रों की संख्या 10 से भी कम है, ऐसे में उन्हें एकीकृत करना व्यावहारिक है।”
- “शिक्षकों की कमी को दूर करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह ज़रूरी है।”
हालांकि, सरकार की मंशा चाहे जो भी हो, इस योजना को लागू करने का तरीका विवादास्पद होता जा रहा है।
🔹 राजनीतिक विवाद: विपक्ष की एकजुटता?
इस मामले ने राजनीतिक मोड़ भी ले लिया है। प्रियंका गांधी के बयान के बाद अन्य विपक्षी दलों की ओर से भी प्रतिक्रिया आने की संभावना है। खासकर जब हाल ही में पार्टी की छवि को प्रभावित करने वाले मामले सामने आए हैं—जैसे कि “प्रियंका गांधी पर संपत्ति छिपाने के आरोप” के तहत केरल हाईकोर्ट ने जारी किया था नोटिस (जानकारी के लिए यहाँ देखें)—यह मुद्दा और अधिक संवेदनशील हो गया है। शिक्षा जैसे मुद्दे पर घिरकर सरकार को चुनावी मोर्चे पर कड़ी टक्कर मिल सकती है।
और पढ़ें: प्रियंका गांधी पर संपत्ति छिपाने के आरोप—केरल हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
कुछ संभावित पहलू:
- विपक्ष इसे सामाजिक न्याय का मुद्दा बनाएगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में इसका असर राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है।
- यदि विरोध तेज़ हुआ, तो सरकार को पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
🔹क्या शिक्षा पहुंच से दूर हो जाएगी?
सरकारी नीतियां अगर ज़मीनी हकीकत से कट जाएं, तो उनका प्रभाव सबसे पहले आमजन पर पड़ता है। स्कूल विलय योजना भले ही कागज़ पर सही दिखे, लेकिन अगर इससे बच्चों की पहुंच शिक्षा से दूर होती है, तो इसका दीर्घकालिक प्रभाव भयावह हो सकता है।
आपकी राय क्या है?
क्या स्कूल विलय से शिक्षा सुधरेगी या पिछड़े वर्गों को और पीछे धकेलेगी?
👇 नीचे कमेंट करके बताएं और अपने क्षेत्र की स्थिति साझा करें।