केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में एक बयान देते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पंजाब की सरकार ने जानबूझकर राज्य को राष्ट्रीय विकास की योजनाओं से अलग रखा, जिससे राज्य को आर्थिक और सामाजिक तौर पर नुकसान हुआ है।
इस बयान को उन्होंने पटियाला उपचुनाव की पृष्ठभूमि में दिया, जिससे इसे राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वास्तव में केंद्र की योजनाएं पंजाब तक नहीं पहुंच पाईं, या यह एक चुनावी रणनीति है?
🟫 मुख्य आरोप: ‘AAP सरकार ने रोका विकास’
पुरी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कई ऐसी योजनाएं शुरू की थीं, जो सीधे तौर पर आम जनता के जीवनस्तर को सुधारने के लिए थीं। लेकिन AAP सरकार ने उन्हें राज्य में लागू करने में रुचि नहीं दिखाई।
👉 मुख्य योजनाएं जो लागू नहीं हुईं:
- अमृत भारत स्टेशन योजना
- PM स्वनिधि योजना
- PM आवास योजना (शहरी)
- स्वच्छ भारत मिशन – शहरी 2.0
- स्मार्ट सिटी मिशन
हरदीप पुरी ने आरोप लगाया कि केंद्र की योजनाओं को ठुकराना, पंजाब की जनता के साथ अन्याय है।
🟫 कौन सी योजनाएं और क्या हो सकता था फायदा?
हरदीप पुरी ने साफ कहा कि यदि ये योजनाएं लागू होतीं, तो पंजाब को न केवल आर्थिक सहायता मिलती बल्कि बुनियादी ढांचे में भी सुधार होता।
✳️ योजनाओं के संभावित लाभ:
- PM स्वनिधि योजना से स्ट्रीट वेंडर्स को आसान ऋण मिलता
- अमृत भारत स्टेशन योजना से रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण होता
- स्वच्छ भारत मिशन से शहरी इलाकों में सफाई व्यवस्था में सुधार आता
- स्मार्ट सिटी मिशन के तहत डिजिटल और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास होता
लेकिन AAP सरकार ने इन प्रस्तावों पर हामी नहीं भरी, जिससे पंजाब इन विकास योजनाओं से वंचित रह गया।
🟫 बयानों की टाइमिंग: राजनीति या चिंता?
यह बयान ऐसे समय आया है जब पटियाला लोकसभा उपचुनाव नजदीक हैं। ऐसे में इसे केवल एक विकास से जुड़ा मुद्दा मानना मुश्किल है।
पुरी ने पंजाब की सरकार पर न केवल योजनाओं की अनदेखी का आरोप लगाया, बल्कि यह भी कहा कि राज्य सरकार “राजनीतिक स्वार्थ के चलते विकास विरोधी” बन चुकी है।
🟫 दूसरे राज्यों की तुलना में पंजाब क्यों पिछड़ रहा?
पुरी ने अन्य राज्यों की मिसाल देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में केंद्र की योजनाओं को पूरी तरह लागू किया गया है और वहां जनता को इसका प्रत्यक्ष लाभ भी मिला है।
लेकिन पंजाब में राज्य-केंद्र समन्वय की कमी की वजह से यह फायदा नहीं मिल पाया।
🟫 जनता और व्यापारियों पर प्रभाव
पुरी का कहना है कि केंद्र की योजनाओं के न लागू होने से छोटे व्यापारी, रेहड़ी-पटरी वाले और बेरोजगार युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
PM स्वनिधि योजना जैसे प्रोग्राम खासतौर से गली-मोहल्लों में रोज़ी-रोटी चलाने वालों के लिए बनाए गए थे। लेकिन उनका लाभ पंजाब के नागरिकों तक नहीं पहुंच पाया।
पंजाब में हाल के समय में विकास से जुड़ी कई योजनाओं और मामलों पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। 2400 करोड़ रुपये के स्कूल लैंड घोटाले में कांग्रेस नेता को विजिलेंस का समन मिलना इस बात का संकेत है कि पारदर्शिता और जवाबदेही की कितनी सख्त ज़रूरत है। ऐसे में अगर केंद्र की योजनाएं भी लागू नहीं होतीं, तो आम जनता की तकलीफें और बढ़ जाती हैं।
हरदीप सिंह पुरी का AAP पर बड़ा आरोप – पंजाब को राष्ट्रीय विकास से अलग कर रही केजरीवाल सरकार!
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— Zee Hulchul (@zeehulchul) June 13, 2025
🟫 क्या कहती है AAP सरकार?
हालांकि हरदीप पुरी के आरोपों पर AAP की ओर से कोई आधिकारिक बयान अभी तक नहीं आया है, लेकिन पिछली बार ऐसे आरोपों के जवाब में AAP नेताओं ने कहा था कि केंद्र सरकार पंजाब के साथ भेदभाव करती है।
AAP का यह भी मानना रहा है कि केंद्र योजनाओं में राजनीतिक हस्तक्षेप करती है और राज्य की स्वायत्तता में बाधा डालती है।
AAP ki sarkar aap ki firoti.
People of #Punjab must thank AAP government for Punjabi industrialist shifting to Haryana and Himachal.
Many shifted due to law and order breakdown, getting ransom calls and absolutely paralysed and absent state machinery. https://t.co/MFXK9IxylL
— Arshdeep Singh (@the_lama_singh) June 11, 2025
🟫 विकास बनाम राजनीति: कौन जिम्मेदार?
इस पूरी बहस में सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या राजनीति की वजह से जनता का नुकसान हो रहा है?
अगर केंद्र योजनाएं देता है और राज्य उन्हें अपनाता नहीं, तो हानि सीधे जनता को होती है। इसका असर न केवल आर्थिक है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गिरावट आती है।
🟫आगे का रास्ता क्या होना चाहिए?
हरदीप सिंह पुरी के बयान ने एक बड़ा मुद्दा फिर से चर्चा में ला दिया है—राज्य और केंद्र सरकारों के बीच समन्वय की कमी।
अगर वास्तव में पंजाब की जनता को फायदा पहुंचाना है तो दोनों सरकारों को साथ मिलकर काम करना होगा। राजनीति से ऊपर उठकर विकास को प्राथमिकता देनी होगी।
🟫 आपकी राय?
क्या आपको लगता है कि राज्य सरकार को केंद्र की योजनाएं अपनानी चाहिए? क्या इससे आम जनता को ज्यादा लाभ मिल सकता है?
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