हरियाणा पुलिस में सनसनी
हरियाणा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी की आत्महत्या ने राज्य के प्रशासनिक ढांचे में भूचाल ला दिया है। ADGP रैंक के अधिकारी यशवीर पूरन कुमार की मौत के बाद सुसाइड नोट और वीडियो संदेश में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। अधिकारी ने अपने आखिरी शब्दों में लिखा कि वे “जाति का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का शिकार” बने हैं।
इस बयान ने न केवल पुलिस विभाग, बल्कि जनता और शासन व्यवस्था पर भी गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
अधिकारियों और जनता में चर्चा का माहौल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक वरिष्ठ अधिकारी को खुद की जान लेने का निर्णय लेना पड़ा।
सुसाइड नोट में चौंकाने वाले खुलासे
सुसाइड नोट से पता चला कि अधिकारी लगातार दबाव में थे और उन्होंने कई बार भ्रष्टाचार के मामलों की ओर इशारा किया था।
नोट में एक गैंगस्टर का नाम भी सामने आया है, जिसने इस केस को और जटिल बना दिया है।
यह संकेत मिला है कि अधिकारी ने कुछ ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की थी जिनके तार न केवल अपराध जगत से बल्कि प्रशासनिक तंत्र से भी जुड़े हुए थे।
सुसाइड नोट में जिस प्रकार 50 करोड़ रुपये की भ्रष्टाचार की रकम का उल्लेख किया गया है, उसने पूरे हरियाणा प्रशासन को हिला कर रख दिया है।
लोगों का मानना है कि यह मामला केवल व्यक्तिगत तनाव का नहीं, बल्कि किसी गहरे रैकेट का हिस्सा हो सकता है।
Police Officer probing corruption and extortion allegations against “Dalit” IPS Pooran Kumar also commits suicide. Startling revelations in his suicide note: Pooran Kumar harrassed everyone on basis of caste, extorted money even from Policemen, when challenged he used to say that… pic.twitter.com/ykJMWIddkT
— Divya Kumar Soti (@DivyaSoti) October 14, 2025
50 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप
पूरन कुमार ने अपने नोट में जिन भ्रष्टाचार के मामलों का जिक्र किया, उनमें सरकारी प्रोजेक्ट्स से लेकर पुलिस तैनाती तक कई संदिग्ध गतिविधियों का उल्लेख है।
उन्होंने संकेत दिए कि विभाग के अंदर बड़े पैमाने पर पैसे के लेन-देन और राजनीतिक दबाव चल रहा था।
यह बात भी सामने आई है कि अधिकारी ने कुछ समय पहले ही कुछ प्रभावशाली लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या उन शिकायतों की वजह से उन्हें दबाव झेलना पड़ा।
पूरा मामला सामने आने के बाद जनता में एक ही चर्चा है – अगर एक ADGP स्तर का अधिकारी सुरक्षित नहीं है, तो आम अधिकारी किस हाल में होंगे?
अधिकारी का आखिरी वीडियो और संदेश
मृतक अधिकारी द्वारा छोड़ा गया अंतिम वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
वीडियो में उन्होंने कहा, “मैं जाति का नहीं, भ्रष्टाचार का शिकार हूं। मैं ये कदम इसलिए उठा रहा हूं ताकि लोग जागें और सिस्टम से सवाल करें।”
उनके इन शब्दों ने पूरे समाज को झकझोर दिया।
लोगों का कहना है कि यह एक आत्महत्या नहीं बल्कि सिस्टम के भीतर छिपे भ्रष्टाचार का खुला विरोध था।
राज्य के कई पूर्व अधिकारियों और सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों ने इसे एक “बलिदान” की तरह देखा जो व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहा है।
जांच और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद हरियाणा सरकार ने विशेष जांच टीम (SIT) गठित कर दी है।
पुलिस विभाग ने मामले को अत्यंत संवेदनशील बताया है और सभी स्तरों पर जांच के आदेश दिए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि सुसाइड नोट में आए नामों की जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी।
वहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी रिपोर्ट मांगी है कि अधिकारी के मानसिक तनाव का असली कारण क्या था।
विभाग के भीतर चर्चा है कि कुछ समय से अधिकारी को अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर अलग-थलग किया जा रहा था, जो उनके मानसिक दबाव की वजह बन सकता है।
इस मामले ने न केवल पुलिस प्रशासन बल्कि पूरे राज्य शासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
स्वास्थ्य और पारदर्शिता से जुड़ा एक व्यापक सवाल
भ्रष्टाचार और जिम्मेदारी का मुद्दा केवल पुलिस विभाग तक सीमित नहीं है।
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी भारत में दवाओं की गुणवत्ता पर चिंता जताई थी।
इसी संदर्भ में WHO ने भारत में तीन खांसी की सिरप्स को लेकर चेतावनी जारी की थी।
यह घटना दिखाती है कि निगरानी और पारदर्शिता की कमी केवल कानून व्यवस्था में ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भी गंभीर रूप से महसूस की जा रही है।
दोनों ही मामलों में जनता की सुरक्षा और विश्वास दांव पर है।
परिवार की प्रतिक्रिया और पोस्टमार्टम अपडेट
अधिकारी के परिवार ने सरकार से पारदर्शी जांच की मांग की है।
उनका कहना है कि पूरन कुमार मानसिक रूप से मजबूत व्यक्ति थे और न्याय में गहरा विश्वास रखते थे।
पोस्टमार्टम की प्रक्रिया परिवार की सहमति से की गई और मेडिकल रिपोर्ट ने मौत को “सुसाइड” करार दिया है, हालांकि कुछ तथ्यों की दोबारा जांच की जा रही है।
परिवार का यह भी कहना है कि अधिकारी ने अपने करियर में कभी भी गलत रास्ता नहीं अपनाया, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बार आवाज उठाई थी।
गैंगस्टर कनेक्शन पर उठे सवाल
सुसाइड नोट में एक गैंगस्टर का नाम आने के बाद जांच एजेंसियों की नजरें अब अंडरवर्ल्ड कनेक्शन पर भी हैं।
बताया जा रहा है कि आरोपी गैंगस्टर का नेटवर्क हरियाणा के कई जिलों तक फैला हुआ है और उसका राजनीतिक संरक्षण मिलने के भी संकेत हैं।
यह पहलू पूरे मामले को एक अलग दिशा दे सकता है।
अब सवाल उठ रहा है कि क्या अधिकारी ने उसी नेटवर्क के खिलाफ कदम उठाया था जिसकी वजह से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं।
अधिकारियों के अनुसार, यह पहलू जांच का मुख्य बिंदु रहेगा।
🚨 Big twist in Haryana IPS Y. Puran Kumar suicide case —
Cop Sandeep Lather, who was probing Puran Kumar’s alleged corruption, has shot himself dead with his service pistol.He left a 3-page note calling Puran corrupt and claiming Puran used the “caste discrimination” angle to… pic.twitter.com/w4lwAayJAd
— The News Drill (@thenewsdrill) October 14, 2025
जन प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया में चर्चा
सोशल मीडिया पर #JusticeForIPS ट्रेंड कर रहा है।
लोगों का कहना है कि अगर इतने ऊँचे पद पर बैठा अधिकारी भी न्याय की उम्मीद खो देता है, तो आम नागरिक कैसे उम्मीद रखेगा।
कई यूजर्स ने इसे “सिस्टम के खिलाफ आवाज” बताया और मांग की कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए।
कई पूर्व पुलिस अधिकारियों ने भी कहा कि यह केस सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि प्रशासनिक सच्चाई की पोल खोलने वाला संकेत है।
हरियाणा प्रशासन पर बढ़ता दबाव
विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार पर हमला बोला है और इसे “भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा” बताया है।
सरकार पर दबाव बढ़ गया है कि वह जल्द से जल्द इस मामले में पारदर्शिता दिखाए और आरोपी व्यक्तियों पर कार्रवाई करे।
मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि “कानून से ऊपर कोई नहीं है” और जांच पूरी ईमानदारी से होगी।
वहीं, जनता का कहना है कि केवल जांच का वादा नहीं, बल्कि परिणाम सामने आने चाहिए ताकि भविष्य में कोई अधिकारी ऐसी परिस्थिति में न पहुंचे।
व्यापक असर
पूरन कुमार की मौत ने पूरे सिस्टम को झकझोर दिया है।
यह केवल एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं, बल्कि व्यवस्था की उस गहराई को उजागर करती है जिसमें ईमानदार अधिकारी अक्सर अकेले पड़ जाते हैं।
इस केस ने साबित किया है कि सिस्टम के भीतर सुधार की आवश्यकता पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गई है।
लोगों का मानना है कि अगर इस केस की जांच निष्पक्षता से होती है, तो यह आने वाले समय में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा उदाहरण बन सकता है।
जनता उम्मीद कर रही है कि सरकार इस घटना को केवल एक आंकड़ा न समझे, बल्कि इसे चेतावनी के रूप में ले।