जब कोई पूर्व क्रिकेट कप्तान, जो अपनी संयमित भाषा और शांत स्वभाव के लिए जाना जाता है, अचानक कैमरे पर भावुक हो जाए — तो समझ लीजिए बात सिर्फ क्रिकेट की नहीं रही।
सुनील गावस्कर, जिन्हें भारत में लोग ‘सनी’ के नाम से जानते हैं, ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर जो कहा, उसने पूरे देश को झकझोर दिया।
उन्होंने कहा —
“ये जख्म हम 78,000 साल तक नहीं भूलने वाले।”
ये शब्द सिर्फ गुस्से से नहीं निकले थे, ये उस दर्द से आए थे जिसे पूरा देश उस दिन से महसूस कर रहा है।
“I just wanna ask a question to all the perpetrators – What has all this fighting achieved? For the last 78 years, not one millimetre of land has exchanged hands, is it? So for the next 78,000 years, nothing is going change,” Sunil Gavaskar said.https://t.co/zKQ2P7P7ga
— Circle of Cricket (@circleofcricket) April 24, 2025
🟠 गावस्कर का वो पल, जब क्रिकेट पीछे रह गया
आईपीएल 2025 की कमेंट्री के दौरान, सुनील गावस्कर अचानक एकदम गंभीर हो गए। मैच की चर्चा करते-करते उन्होंने रुककर कहा:
“हम खेल की बात करते हैं, लेकिन देश में जो हुआ, उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। जो लोग आतंकियों को पनाह देते हैं, उन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए।”
यह कोई स्क्रिप्टेड बयान नहीं था। कोई लिखी हुई प्रेस रिलीज़ नहीं। यह एक दिल से निकली बात थी — इतनी सच्ची कि कैमरा भी उसकी गहराई नहीं माप सका।
🟠 सोशल मीडिया पर बयानों की बारिश
गावस्कर के इस बयान के तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर जैसे तूफान सा आ गया।
लोगों ने कहा —
“यह आवाज़ क्रिकेट मैदान से नहीं, दिल से निकली थी।”
एक यूज़र ने लिखा:
🗨️ “गावस्कर ने वही कहा जो देश कह रहा था, लेकिन किसी ने खुलकर कहा नहीं।”
दूसरे ने लिखा:
🗨️ “आज पहली बार लगा कि कोई सेलेब्रिटी वाकई हमारे दर्द को समझता है।”
🟠 गावस्कर: सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, अब देश की आवाज़
सनी गावस्कर की पहचान हमेशा एक शांत और सोच-समझकर बोलने वाले खिलाड़ी की रही है। लेकिन इस बार उन्होंने जो कहा, वह एक आम नागरिक की तरह था —
एक ऐसे इंसान की तरह जिसे अपने देश के मासूमों की मौत ने अंदर से तोड़ दिया।
उन्होंने सिर्फ आतंकियों की नहीं, बल्कि उन लोगों की भी आलोचना की जो चुप हैं या जो छुपकर उन्हें समर्थन देते हैं।
“जो लोग उनका समर्थन कर रहे हैं, वो भी इस अपराध में शामिल हैं।”
🟠 पहलगाम हमला – इंसानियत पर हमला
22 अप्रैल की सुबह, जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम में ऐसा कुछ हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
टूरिस्ट्स और लोकल लोगों पर आतंकियों ने गोलियां चला दीं।
26 मासूमों की जान चली गई।
एक नवविवाहित जोड़ा, एक नेवी ऑफिसर और एक पोनीवाला उन मृतकों में शामिल थे।
लश्कर से जुड़े दो पाकिस्तानी और दो कश्मीरी आतंकियों की भूमिका सामने आई।
🟠 सरकार की सख्त कार्रवाई
प्रधानमंत्री मोदी ने सीधे शब्दों में कहा:
“हमारे निर्दोष नागरिकों की हत्या करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।”
इसके बाद:
आतंकियों के घरों को विस्फोट से ध्वस्त किया गया।
सुरक्षाबलों ने कई इलाकों में तलाशी अभियान तेज कर दिए।
पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव भी बनाया गया।
🟠 खेल जगत ने एक सुर में कहा – अब बहुत हो गया
गावस्कर की बात सिर्फ एक शुरुआत थी। उनके बाद कई नामचीन खिलाड़ियों और सेलेब्रिटीज़ ने इस हमले की निंदा की।
हरभजन सिंह: “अब सिर्फ ट्वीट्स से काम नहीं चलेगा।”
वीरेंद्र सहवाग: “जवाब ज़रूरी है, और वो भी ठोस।”
जावेद अख्तर: “ये दरिंदे सज़ा के हकदार हैं।”
🟠 78,000 साल — एक प्रतीक, एक दर्द
गावस्कर ने जब 78,000 साल का जिक्र किया, तो लोग सोच में पड़ गए। लेकिन उन्होंने कोई संख्या नहीं गिनाई — उन्होंने एक जख्म को शब्द दिए।
यह बताने का एक तरीका था कि हम ये नहीं भूलने वाले, न आज, न कल, न आने वाली पीढ़ियों में।
🟠 जब खिलाड़ी बोलते हैं, तो सिर्फ खेल नहीं बदलता — देश बदलता है
भारत में क्रिकेट धर्म की तरह देखा जाता है। और जब इस धर्म के ‘पुरोहित’ जैसे लोग राष्ट्र की पीड़ा पर बोलते हैं, तो वो शब्द नारे बन जाते हैं।
गावस्कर की वो एक लाइन —
“हम ये दर्द 78,000 साल तक नहीं भूलेंगे”
अब सिर्फ एक प्रतिक्रिया नहीं, एक संकल्प बन चुकी है।
🟠 निष्कर्ष
सुनील गावस्कर ने उस दिन जो बोला, वो शायद करोड़ों भारतीयों के दिल की बात थी।
वो कहते हैं ना — कुछ बातें शब्दों से नहीं, दिल से कही जाती हैं।
गावस्कर की ये बात ठीक वैसी ही थी।
अब हम सबको भी तय करना है —
क्या हम सिर्फ चुप रहेंगे, या बोलेंगे?
क्या हम सिर्फ आंसू बहाएंगे, या कुछ कदम भी उठाएंगे?