संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) 2025 के सत्र में इस बार भारत और पाकिस्तान के बीच तीखी जुबानी जंग देखने को मिली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने भाषण में कई गंभीर आरोप लगाए और कश्मीर मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उनके बयान के तुरंत बाद भारत ने जवाब देते हुए पाकिस्तान की नीयत और इतिहास पर सवाल खड़े किए। भारत ने साफ शब्दों में कहा कि “कोई भी नाटक सच्चाई को छिपा नहीं सकता” और पाकिस्तान ने दुनिया के सबसे बड़े आतंकी ओसामा बिन लादेन को शरण दी थी।
शहबाज शरीफ का भाषण
शहबाज शरीफ ने अपने भाषण में भारत को निशाना बनाते हुए कई पुराने आरोप दोहराए।
- कश्मीर के हालात का जिक्र कर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की।
- भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए।
- पाकिस्तान को खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश बताने की कोशिश की।
हालांकि उनके इस भाषण को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में बहुत गंभीरता से नहीं लिया गया, क्योंकि कई बार पाकिस्तान की इसी तरह की बयानबाजी को प्रचार माना गया है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने कड़े शब्दों में जवाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान का पूरा भाषण झूठ और बेबुनियाद आरोपों पर आधारित था। भारत ने दो बातें विशेष रूप से रेखांकित कीं—
- पाकिस्तान की दोहरे रवैये वाली नीति, जिसमें एक तरफ वह खुद को आतंकवाद का शिकार बताता है और दूसरी तरफ आतंकियों को पनाह देता है।
- पाकिस्तान का इतिहास, जिसमें दुनिया के कुख्यात आतंकी को सुरक्षित ठिकाना दिया गया।
भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की “ड्रामा पॉलिटिक्स” से सच्चाई बदलने वाली नहीं है और विश्व समुदाय इस वास्तविकता से भली-भांति परिचित है।
#BREAKING: Indian Diplomat Petal Gehlot at @UN slams Pakistan Prime Minister Shehbaz Sharif at the #UNGA80 for his absurd theatrics against India. Exposes Pak for sheltering terrorists including Osama Bin Laden. Dares Pak PM to act against terror. And refers to Pahalgam terror… pic.twitter.com/w2s8T1cYT0
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 27, 2025
ओसामा बिन लादेन का संदर्भ
भारत ने अपने जवाब में खासतौर पर पाकिस्तान में मारे गए आतंकवादी ओसामा बिन लादेन का उदाहरण दिया। यह तथ्य पूरी दुनिया जानती है कि अल-कायदा का सरगना पाकिस्तान की जमीन पर सालों तक छिपा रहा।
- भारत ने इस घटना को पाकिस्तान की आतंकवाद-समर्थक नीति का सबसे बड़ा प्रमाण बताया।
- यह भी कहा गया कि पाकिस्तान की सरकारें हमेशा सच्चाई से बचती रही हैं, लेकिन तथ्यों को मिटाया नहीं जा सकता।
आतंकवाद पर भारत का रुख
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में यह स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर कायम है।
- भारत ने दशकों से आतंकवाद का सामना किया है और अब इसे वैश्विक मुद्दा मानने की अपील कर रहा है।
- भारत ने बताया कि आतंकवाद केवल एक देश या क्षेत्र का संकट नहीं है बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा है।
- भारत ने सभी देशों से मिलकर कड़ा कदम उठाने की बात कही।
इस संदर्भ में भारत ने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान जैसे देशों के रवैये पर दुनिया को कठोर रुख अपनाना चाहिए।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और माहौल
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद पाकिस्तान का आधिकारिक पक्ष अपेक्षाकृत नरम दिखा। हालांकि पाकिस्तान अपने पुराने रुख से पीछे नहीं हटा, लेकिन यह साफ है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे समर्थन नहीं मिल पा रहा।
- पाकिस्तान को आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है।
- ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी साख और कमजोर होती जा रही है।
- भारत की तरफ से उठाए गए मुद्दों ने पाकिस्तान के लिए और मुश्किल खड़ी कर दी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और कूटनीतिक असर
संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भारत और पाकिस्तान के बीच यह टकराव नया नहीं है, लेकिन इस बार अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया अधिक संतुलित रही। कई देशों ने सीधे बयान न देकर आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की बात दोहराई। भारत की विश्वसनीयता इस वजह से और बढ़ गई कि उसने तथ्यों पर आधारित तर्क दिए। इसके अलावा, हाल ही में फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता दी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि किस तरह राष्ट्रसंघ के मंच पर देशों की स्टैंडिंग और नीतियाँ बदलती रहती हैं। इस कदम ने मध्य-पूर्व के शांति प्रयासों को भी नया आयाम दिया और यह दिखाया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतियों का महत्व कितना बढ़ गया है।
- कई देशों ने सीधे बयान न देकर आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की बात दोहराई।
- भारत की विश्वसनीयता इस वजह से और बढ़ गई कि उसने तथ्यों पर आधारित तर्क दिए।
- पाकिस्तान की छवि और कमजोर हुई क्योंकि उसने अपने भाषण में समाधान की बजाय केवल आरोप लगाए।
भारत-पाक संबंधों पर संभावित प्रभाव
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि भारत-पाक संबंधों में निकट भविष्य में सुधार की संभावना कम है।
- कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के बीच दूरी बनी रहेगी।
- बातचीत की कोशिश तभी सफल हो सकती है जब पाकिस्तान अपनी नीति में बदलाव करे।
- भारत ने संकेत दिया है कि वह झूठ और प्रचार के बजाय केवल सच्चाई पर आधारित संवाद के लिए तैयार है।
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निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह विवाद फिर साबित करता है कि दोनों देशों के बीच असली मुद्दा केवल कश्मीर नहीं बल्कि आतंकवाद और विश्वास की कमी है। भारत ने अपने जवाब में यह स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान की नीतियाँ दुनिया के सामने उजागर हो चुकी हैं और अब झूठ से सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता।
भारत का यह रुख न केवल पाकिस्तान को संदेश है बल्कि पूरे विश्व समुदाय के लिए एक चेतावनी भी है कि आतंकवाद को लेकर कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आने वाले समय में यह देखना होगा कि क्या पाकिस्तान अपनी पुरानी नीति से बाहर निकलता है या फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर और अलग-थलग पड़ता है।