हर साल की तरह इस बार भी जून की 21 तारीख़ आएगी। लेकिन ये तारीख़ सिर्फ कैलेंडर पर एक दिन नहीं होती — ये वो दिन होता है जब दुनिया “योग” की बात करती है।
और इस साल, यानी 2025 में, ये दिन कुछ ज़्यादा ही खास है।
आप सोचेंगे — “हर साल तो मनाते हैं, फिर इस बार क्या अलग है?”
तो चलिए आपको बताते हैं।
🌍 2025 की थीम: एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य
इस बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की जो थीम रखी गई है, वो है –
“Yoga for One Earth, One Health”,
यानि “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य”।
मतलब साफ है — बात सिर्फ इंसान की फिटनेस की नहीं हो रही, बात उस धरती की भी हो रही है जिस पर हम सब रहते हैं।
आज जब प्रदूषण, तनाव, बीमारी और भागदौड़ ने ज़िंदगी को थका दिया है, ऐसे में योग न सिर्फ शरीर को, बल्कि सोच को भी संतुलित करने की दिशा दिखा रहा है।
और यह बात बिलकुल उसी सोच से मिलती है जैसी हमने विश्व पर्यावरण दिवस 2025 में देखी — जहाँ फोकस था हमारे ग्रह और भविष्य की रक्षा पर।
‘Yoga for One Earth, One Health’: PM @narendramodi announces 2025 yoga day theme #MannKiBaathttps://t.co/b0oUIQDFzh
via NaMo App pic.twitter.com/z8wFnUL9fE
— PMO India (@PMOIndia) March 31, 2025
📜 इतिहास जो आज भी ज़िंदा है
योग कोई नया ट्रेंड नहीं है। ये उस भारत की देन है, जो खुद हजारों साल पुराना है।
महर्षि पतंजलि से लेकर आज के योग गुरुओं तक, यह एक परंपरा रही है जो शरीर को साधने से ज़्यादा मन को थामने की विद्या रही है।
2014 में भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने इसे “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” का दर्जा दिया। तब से लेकर अब तक दुनिया के कोने-कोने में लोग 21 जून को योग करते हुए दिखाई देते हैं।
#अंतर्राष्ट्रीययोगदिवस
Strengthening body, mind & bonds at high altitude!As International Day of Yoga 2025 #IDY2025 draws near, the #IndianArmy held a special Yoga session in the icy heights of Ladakh for the local populace.
The session witnessed enthusiastic participation… pic.twitter.com/tQPzGE2epi
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) June 16, 2025
🗣️ प्रधानमंत्री का संदेश: “योग सिर्फ एक्सरसाइज नहीं है”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार कहा —
“योग केवल व्यायाम नहीं, यह हमारे भीतर की चेतना से जुड़ने का माध्यम है।”
उनकी बातों में सच्चाई है। आज जब तनाव, चिंता, अकेलापन और थकावट आम हो गई है, तब योग हमें हमारी जड़ों से जोड़ने का मौका देता है।
💪 योग के कुछ सीधे-सादे फायदे
अब अगर कोई कहे कि “मुझे योग से क्या मिलेगा?”, तो जवाब लंबा नहीं है — लेकिन असरदार है।
- पेट ठीक रहता है
- नींद बेहतर आती है
- दिमाग़ शांत रहता है
- काम में फोकस बढ़ता है
- इम्यूनिटी भी धीरे-धीरे सुधरती है
यह कोई दवा नहीं, लेकिन असर वैसा ही करता है — बस बिना साइड इफेक्ट के।
⏱️ जब वक्त कम हो, तब क्या करें? 10 मिनट की दिनचर्या
सच कहें तो आजकल किसी के पास वक्त नहीं है। तो क्या योग छोड़ दें? बिल्कुल नहीं।
आप चाहें तो सिर्फ 10 मिनट में भी एक असरदार योग रूटीन बना सकते हैं।
- ताड़ासन और वृक्षासन – खड़े होकर शरीर को संतुलित करना
- भुजंगासन – रीढ़ की हड्डी के लिए बेहतरीन
- अनुलोम-विलोम और कपालभाति – सांसों से तनाव कम करें
- शवासन – दिन की दौड़ से ब्रेक लेने का तरीका
इतना भी करेंगे, तो फर्क दिखेगा। बात है बस रोज़ करने की।
🏡 कैसे मनाएं योग दिवस?
किसी बड़ी तैयारियों की ज़रूरत नहीं है। आप चाहें तो घर पर अकेले या परिवार के साथ भी यह दिन खास बना सकते हैं।
- सुबह 6 बजे उठकर खुली हवा में योग करें
- बच्चों के साथ छोटे-छोटे आसन सीखें
- दोस्तों को फोन करें, साथ में वर्चुअल योग करें
- सोशल मीडिया पर #YogaDay2025 के साथ अपनी तस्वीर डालें
बस मन में सच्ची भावना होनी चाहिए — आयोजन तो खुद हो जाता है।
#IDY2025 | 2 Days to Go!
A powerful reminder from PM Shri Narendra Modi on the true essence of Yoga — not just fitness, but an assurance to inner peace and holistic wellness.#YogaForOneEarthOneHealth #InternationalDayofYoga2025 #InternationalDayofYoga pic.twitter.com/G03U95xAa8
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) June 19, 2025
🎯 नतीजा: योग है जीने का तरीका
अक्सर हम सेहत को तब याद करते हैं जब वो बिगड़ती है। लेकिन योग हमें सिखाता है कि रोज़ थोड़ा-थोड़ा ध्यान रखना ही बड़ी बीमारियों को दूर कर सकता है।
और ये सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक और भावनात्मक सेहत की बात भी करता है।
तो इस 21 जून को सिर्फ एक दिन के लिए मत सोचिए, इसे आदत बनाइए।
🙏 आपका क्या अनुभव है?
क्या आपने कभी योग किया है? आपको क्या बदलाव महसूस हुआ?
क्या आप इस योग दिवस से कोई नया संकल्प लेना चाहते हैं?
कमेंट में बताइए, शायद आपकी बात किसी और को प्रेरणा दे जाए।
✅ अंत में…
लेख खत्म नहीं हुआ है — शुरुआत आपके साथ होनी है।
योग दिवस सिर्फ एक तारीख़ नहीं, एक सोच है। और जब सोच बदलती है, तो बहुत कुछ बदल जाता है।