आज के दौर में जब हम तरक्की की ओर बढ़ रहे हैं, तभी प्रकृति हमें बार-बार संकेत दे रही है कि हमने उसके साथ कितना खिलवाड़ किया है। चाहे वह प्रदूषित नदियां हों, कटते जंगल हों या लगातार बढ़ता तापमान – हर तरफ संकट की तस्वीर उभरती जा रही है।
हम जिस हवा में सांस लेते हैं, जो पानी पीते हैं और जिस ज़मीन पर खेती करते हैं – सब कुछ धीरे-धीरे विषाक्त होता जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि अगर हमने अब भी ध्यान नहीं दिया, तो आने वाली पीढ़ियों को हम क्या सौंपेंगे?
📅 World Environment Day 2025: कब, क्या और क्यों?
हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किया गया था ताकि वैश्विक स्तर पर लोगों को प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूक किया जा सके।
🔹 इस साल की थीम:
“Our Land. Our Future. We are #GenerationRestoration.”
इसका सीधा मतलब है कि अब वक्त आ गया है कि हम धरती की मरम्मत के लिए ठोस कदम उठाएं।
Plastic pollution permeates every corner of the planet—even in our bodies in the form of microplastics.
This World Environment Day, join the global movement to #BeatPlasticPollution.#WorldEnvironmentDay2025 #WorldEnvironmentDay #AgainstPlasticPollution pic.twitter.com/zJv7M9IOuC
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) May 27, 2025
🔹 मेज़बान देश:
सऊदी अरब को इस वर्ष की मेज़बानी सौंपी गई है। यह देश खुद भी रेगिस्तान और जल संकट जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, इसलिए इसका चुनाव बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
🏜️ भूमि क्षरण: एक अदृश्य खतरा
धरती पर कई समस्याएं ऐसी हैं जो दिखती नहीं लेकिन भीतर से तबाही मचा रही हैं। भूमि क्षरण (Land Degradation) एक ऐसी ही चुनौती है। जब ज़मीन की उर्वरता घटती है, तो धीरे-धीरे वहां जीवन का अस्तित्व ही खत्म हो जाता है।
👉 संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार:
- आज दुनिया की करीब 40% ज़मीन बर्बाद हो चुकी है।
- अगर यही हाल रहा तो 2050 तक आधी आबादी इस समस्या से प्रभावित होगी।
सिर्फ जंगल काटना या कंस्ट्रक्शन करना ही नहीं, रासायनिक खेती, पानी की बर्बादी और बेहिसाब खपत भी इस संकट को और गंभीर बना रही है।
🧾 संयुक्त राष्ट्र महासचिव का संदेश
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस वर्ष के अवसर पर कहा:
“हमारी धरती की मरम्मत का समय अब है। हम सब को मिलकर प्रयास करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी जीवन की सुंदरता देख सकें।”
उनका यह संदेश केवल एक औपचारिक अपील नहीं, बल्कि एक वैश्विक चेतावनी है। हमें अब से ही सोच बदलनी होगी – व्यक्तिगत स्तर से लेकर सरकारी नीतियों तक।
✅ 5 आसान लेकिन असरदार उपाय
पर्यावरण संरक्षण किसी एक संस्था या सरकार की जिम्मेदारी नहीं, यह हम सब की जिम्मेदारी है। नीचे दिए गए 5 सरल उपाय अगर हर कोई अपनाए, तो बड़ा फर्क संभव है:
1. जैविक खेती को बढ़ावा दें
केमिकल युक्त खेती से मिट्टी की उर्वरता घटती है। जैविक खाद, गोबर और कंपोस्ट का उपयोग ज़मीन को फिर से जिंदा कर सकता है।
2. वृक्षारोपण को जीवन का हिस्सा बनाएं
हर महीने एक पौधा लगाना न सिर्फ पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
3. जल का विवेकपूर्ण उपयोग करें
बिना वजह नल बहता छोड़ देना, कार धोते समय पाइप का इस्तेमाल – ये छोटी लापरवाहियां बड़ी समस्या बन जाती हैं।
4. प्लास्टिक का त्याग करें
आज भी दुकानों पर पॉलीथिन का इस्तेमाल जारी है। खुद से शुरुआत करें – जूट या कपड़े का थैला लेकर जाएं।
5. स्थानीय संसाधनों का प्रयोग करें
लंबी दूरी से आयातित वस्तुओं के मुकाबले स्थानीय उत्पाद पर्यावरण पर कम असर डालते हैं।
🛒 सस्टेनेबल ब्रांड्स: जब व्यापार बना पर्यावरण का मित्र
अब कई ऐसे ब्रांड्स सामने आ रहे हैं जो अपने उत्पादों में पर्यावरण के अनुकूल तकनीक और बायोडिग्रेडेबल सामग्री का प्रयोग कर रहे हैं।
- पेपरलेस सैनिटरी प्रोडक्ट्स
- रीयूज़ेबल किचन आइटम्स
- बायो टूथब्रश, सोलर पावर्ड उपकरण
इन विकल्पों को अपनाकर हम न सिर्फ पर्यावरण को लाभ पहुंचाते हैं, बल्कि अपनी दिनचर्या में एक हरी सोच भी जोड़ते हैं।
🇮🇳 भारत में बदलाव की बयार
भारत में भी पिछले कुछ वर्षों में कई सकारात्मक पहल हुई हैं:
- स्कूलों में ग्रीन क्लब्स बनाए जा रहे हैं।
- कई NGOs वृक्षारोपण, स्वच्छता और जल संरक्षण जैसे अभियानों में सक्रिय हैं।
- युवा पीढ़ी भी अब सोशल मीडिया के जरिए जागरूकता फैला रही है।
Pledge taking with GMS students,Phesama village as a run up to the #WorldEnvironmentDay2025 .Students,teachers & PHED Kohima Urban.A brief note on plastic waste management was shared by IEC Consultant,Vibou Seyie.#ChooseLiFE #SwachhJalSwasthVataran pic.twitter.com/WIYF3xOsj8
— SbmgNagalandPhed (@NagalandSbmg) June 3, 2025
आपका एक छोटा-सा प्रयास – जैसे अपने मोहल्ले में पौधे लगाना या बच्चों को पर्यावरण की शिक्षा देना – बड़ा बदलाव ला सकता है। भारत में पर्यावरण को लेकर बढ़ती जागरूकता के साथ-साथ स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर भी लोग अब अधिक संवेदनशील हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, हाल ही में विश्व नो टोबैको डे 2025 के अवसर पर भी लोगों को यह संदेश दिया गया कि स्वास्थ्य और प्रकृति, दोनों की रक्षा आज के समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है। पर्यावरण और स्वास्थ्य जब साथ मिलकर सुधरते हैं, तभी एक स्थायी और संतुलित जीवनशैली संभव होती है।
💬 जनता क्या सोचती है?
हमने कुछ लोगों से पूछा कि उनके लिए पर्यावरण दिवस का क्या महत्व है?
🗣️ रीना (दिल्ली): “हम हर साल ये दिन मनाते हैं, लेकिन असली फर्क तभी पड़ेगा जब हम रोज़ इसके बारे में सोचें।”
🗣️ अनिल (भोपाल): “मैंने अपने घर की छत पर किचन गार्डन शुरू किया है। अब घर का कुछ हिस्सा वहीं से आता है।”
आप भी नीचे कमेंट में लिख सकते हैं –
आपने पर्यावरण बचाने के लिए अब तक क्या किया है? या क्या करने का विचार है?
👇 हम आपके अनुभव को दूसरों तक पहुंचाएंगे।
🧭आज नहीं तो कभी नहीं
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 सिर्फ एक तारीख नहीं है – यह हमें याद दिलाता है कि अगर हमने अभी से सुधार की पहल नहीं की, तो भविष्य में हमारे पास पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा।
🔹 यह धरती हमारी है – इसकी जिम्मेदारी भी हमारी है
🔹 हर छोटा कदम एक बड़ी शुरुआत हो सकता है
🔹 आइए, आज से खुद से शुरू करें
क्योंकि हम ही हैं – #GenerationRestoration