26/11 मुंबई आतंकी हमले को 16 साल बीत चुके हैं, लेकिन देश की रगों में वो ज़ख्म आज भी ताज़ा हैं। इस भीषण हमले में 166 से ज़्यादा लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। अब इतने सालों बाद भारत को एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत मिली है – ताहव्वुर हुसैन राणा, इस हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक, को अमेरिका से भारत लाया गया है।
ताहव्वुर राणा की वापसी ने पूरे देश में फिर से 26/11 की यादें जगा दी हैं। लेकिन इस बार माहौल और तेवर दोनों बदले हुए हैं। जनता अब सिर्फ़ जवाब नहीं, न्याय चाहती है। और VIP ट्रीटमेंट का विरोध कर रही है।
🔶 ताहव्वुर राणा कौन है? उसकी भूमिका और अपराध
ताहव्वुर हुसैन राणा, पाकिस्तान में जन्मा कनाडाई नागरिक है, जो 2008 के मुंबई हमलों का एक अहम साज़िशकर्ता माना जाता है। उसकी नज़दीकी डेविड कोलमैन हेडली (Daood Gilani) से थी – वही हेडली जिसने मुंबई में लक्ष्यों की रेकी की और हमले की योजना बनाई।
भारतीय इंटेलिजेंस के अनुसार, राणा और हेडली के बीच 231 बार संपर्क हुआ, और राणा ने 8 बार भारत आकर संभावित टारगेट्स की रेकी की। वह हमलों की प्लानिंग, फंडिंग और लॉजिस्टिक्स में शामिल था। अमेरिका में उसे पहले डेनमार्क में एक पत्रिका पर हमले की साजिश के लिए 14 साल की सजा हुई थी, और अब भारत में मुकदमे का सामना करेगा।
राणा का संबंध आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से भी बताया गया है।
#WATCH | Mumbai: On 26/11 Mumbai attacks accused Tahawwur Rana’s extradition to India, Mohammed Taufiq, a tea seller known as ‘Chhotu Chai Wala’ whose alertness helped a large number of people escape the attack, says, “…For India, there is no need to provide him with a cell.… pic.twitter.com/zLqHEt7sHs
— ANI (@ANI) April 9, 2025
🔶 अमेरिका से भारत: एक कानूनी जंग का अंत
ताहव्वुर राणा की भारत वापसी आसान नहीं थी। उसने अमेरिका की अदालत में extradition को चुनौती दी। मार्च 2025 में उसने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में इमरजेंसी एप्लिकेशन दाखिल की थी, जिसे 7 अप्रैल को खारिज कर दिया गया।
इसके बाद 8 अप्रैल को लॉस एंजेलिस में भारतीय अधिकारियों को उसकी कस्टडी मिली। एक खास टीम जिसमें NIA, RAW और गृह मंत्रालय के अफसर शामिल थे, उसे लेकर भारत रवाना हुई। उसका नाम अब अमेरिकी जेल रिकॉर्ड से हटा दिया गया है।
भारत में उसे पहले तिहाड़ जेल में रखा जाएगा, जहां हाई-सिक्योरिटी इंतेज़ाम किए गए हैं। अगर बाद में मुंबई लाया जाता है, तो उसे वही बैरक नंबर 12 में रखा जा सकता है जहां अजमल कसाब को बंद किया गया था।
🔶 छोटू चाय वाला की हुंकार: ‘ना बिरयानी, ना सेल’
मुंबई के चायवाले मोहम्मद तौफीक, जिन्हें ‘छोटू चाय वाला’ के नाम से जाना जाता है, 26/11 हमले के दौरान अपनी सतर्कता से दर्जनों लोगों की जान बचाने वाले नायक हैं। राणा की वापसी पर उन्होंने ANI से कहा:
“कसाब जैसी सुविधा मत दो। ना बिरयानी, ना VIP सेल। ऐसे लोगों को 2-3 महीने में फांसी की सज़ा होनी चाहिए।”
तौफीक की बातों ने सोशल मीडिया पर लहर पैदा कर दी है। लोग पूछ रहे हैं – क्या राणा को भी वही ट्रीटमेंट मिलेगा जो कसाब को मिला था? जनता का गुस्सा सोशल मीडिया पोस्ट्स, मीम्स और ट्वीट्स में साफ झलक रहा है।
26/11 Mumbai Terror Attack Conspiracy case | The Central Government appoints Narender Mann, Advocate, as Special Public Prosecutor for conducting trials and other matters related to NIA case RC-04/2009/NIA/DLI (against Tahawwur Hussain Rana and David Coleman Headley) on behalf of… pic.twitter.com/MOPNTIPrRj
— ANI (@ANI) April 10, 2025
🔶 राजनीतिक बयानबाज़ी: सत्ता और विपक्ष आमने-सामने
राणा की वापसी ने राजनीति को भी गर्मा दिया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा:
“कांग्रेस सरकार ने हमले के बाद कुछ नहीं किया, उल्टा कसाब को बिरयानी खिलाई। मोदी सरकार का संकल्प है कि ऐसे गुनहगारों को सज़ा मिलेगी।”
शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने और भी तीखा बयान दिया:
“उसे मुंबई के किसी चौराहे पर फांसी दी जानी चाहिए, ताकि पूरी दुनिया को संदेश जाए।”
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदे ने कहा – “ये अच्छा कदम है।”
🔶 एजेंसियों की तैयारी: राणा से क्या जानना है?
भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियाँ अब राणा से पूछताछ के लिए तैयार हैं। पूछताछ में ये मुख्य बिंदु होंगे:
- पाकिस्तान की ISI की भूमिका
- लश्कर-ए-तैयबा की फंडिंग और नेटवर्क
- भारत में सहयोगी – कौन थे अंदर के लोग?
- हेडली और राणा की साजिश की पूरी तस्वीर
एक मल्टी-एजेंसी टीम जिसमें NIA, IB, R&AW और क्रिमिनोलॉजी साइकोलॉजिस्ट शामिल होंगे, राणा से गहन पूछताछ करेगी। अधिकारियों के अनुसार, राणा “हाइली ट्रेनड” और “मानसिक रूप से पक्का” ऑपरेटिव है, इसलिए उससे सच्चाई उगलवाना आसान नहीं होगा।
🔶 क्या अब आतंकियों के लिए नई नीति बनेगी?
छोटू चाय वाले तौफीक जैसे लोग अब चाहते हैं कि आतंकवादियों पर तेज़ और सख्त कार्रवाई हो। देश की जनता भी यही चाहती है:
- क्या हमें फास्ट-ट्रैक टेरर कोर्ट्स चाहिए?
- क्या ऐसे मामलों में फांसी 2-3 महीने में हो सकती है?
- क्या VIP ट्रीटमेंट एक खतरा बन सकता है?
ये सवाल न सिर्फ़ जनता के हैं, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा नीति को दोबारा सोचने का समय भी है।
🔶 निष्कर्ष:
राणा की वापसी एक बड़ा कदम है, लेकिन न्याय की मंज़िल अभी दूर है। यह केस भारत के लिए सिर्फ़ एक मुकदमा नहीं, बल्कि एक संदेश है – कि कोई भी अपराधी कितना भी दूर क्यों न हो, भारत उसे न्याय के कटघरे में खड़ा करेगा।