कोलकाता के सुरेन्द्रनाथ लॉ कॉलेज में हुई एक छात्रा के साथ गैंगरेप की दिल दहला देने वाली घटना ने न केवल पूरे राज्य को झकझोर दिया है, बल्कि कॉलेज परिसरों में मौजूद सुरक्षा व्यवस्था और छात्र राजनीति पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी बने हैं — मनोजित मिश्रा, जिन पर पहले भी कई बार यौन उत्पीड़न, धमकी और हिंसा जैसे आरोप लग चुके हैं।
घटना का पूरा विवरण और मुख्य आरोपी कौन है?
यह घटना पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के सुरेन्द्रनाथ लॉ कॉलेज की है, जहां एक महिला छात्रा ने अपने साथ गैंगरेप का आरोप लगाया। घटना कॉलेज के छात्रावास से जुड़ी हुई बताई जा रही है, जहां पीड़िता के अनुसार, उसे जबरन कमरे में बंद करके चार युवकों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा नाम उभरा — मनोजित मिश्रा का।
मनोजित एक वरिष्ठ छात्र है और TMCP (Trinamool Chhatra Parishad) से जुड़ा हुआ रहा है। पीड़िता का आरोप है कि उसने कॉलेज प्रशासन और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन उस पर चुप रहने का दबाव बनाया गया।
हाल ही में हिमाचल प्रदेश में भी एक सरकारी स्कूल शिक्षक द्वारा 24 छात्राओं के यौन शोषण का मामला सामने आया था, जिससे यह साबित होता है कि हमारी शैक्षणिक संस्थाएं अब सुरक्षित नहीं रहीं।
कौन है मनोजित मिश्रा? पहले भी लग चुके हैं गंभीर आरोप
मनोजित मिश्रा, कॉलेज में छात्र राजनीति से जुड़ा नाम है और TMCP का सक्रिय कार्यकर्ता भी माना जाता रहा है। यह वही संगठन है जिसे राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का छात्र विंग कहा जाता है।
कॉलेज की कई छात्राओं का कहना है कि मनोजित पिछले तीन सालों से महिला छात्रों को परेशान कर रहा था। वो नए छात्रों को धमकाता था, उनकी निजी जानकारियों को लेकर अफवाहें फैलाता और शिकायत करने वालों को सार्वजनिक रूप से बदनाम करने की धमकी देता था।
मनोजित मिश्रा पर पहले से ही यौन उत्पीड़न और मारपीट के कई मामले दर्ज हैं। इसके बावजूद उस पर कभी ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
कॉलेज प्रशासन और छात्र राजनीति का दोहरा चेहरा
छात्राओं के अनुसार, कॉलेज प्रशासन को मनोजित मिश्रा की हरकतों के बारे में बार-बार बताया गया, लेकिन हमेशा मामलों को “आपसी विवाद” कहकर टाल दिया गया। TMCP के कुछ नेताओं पर भी आरोप हैं कि वे मनोजित को संरक्षण देते थे।
कॉलेज के एक पूर्व छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,
“शिकायत दर्ज कराने पर हमें ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया जाता था।”
छात्रों का कहना है कि महिला सुरक्षा के नाम पर जो सेल कॉलेज में बनी थी, वह पूरी तरह निष्क्रिय थी और उसमें आरोपी के करीबियों की मौजूदगी भी थी।
पीड़िता के लिए इंसाफ की लड़ाई और छात्र संगठनों का विरोध
इस घटना के सामने आने के बाद कॉलेज के अंदर और बाहर कई छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किए। छात्राओं ने नारेबाज़ी करते हुए कॉलेज गेट के सामने बैठकर मांग की कि मनोजित मिश्रा और अन्य आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और कॉलेज प्रशासन को भी जिम्मेदार ठहराया जाए।
सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा फूटा और #JusticeForLawStudent ट्रेंड करने लगा। छात्र संगठनों ने मांग की कि कॉलेज प्रशासन और TMCP दोनों को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
“किसी लड़की को चुप कराने से दोष नहीं छुपते” — एक छात्रा की आवाज।
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक असर: संस्थान क्यों बनते हैं खामोश दर्शक?
इस तरह की घटनाएं केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक रूप से भी गहरी चोट पहुंचाती हैं।
- छात्राएं अपने ही कॉलेज में असुरक्षित महसूस करने लगी हैं।
- माता-पिता की चिंता यह है कि उनके बच्चे पढ़ाई के नाम पर कहां भेजे जा रहे हैं।
- समाज में डर और अविश्वास की भावना गहराती जा रही है।
लड़कियों की पढ़ाई, आत्मविश्वास और करियर इन घटनाओं की वजह से प्रभावित हो रहा है।
क्या अब बदलेगा सिस्टम? पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
पुलिस ने अब तक सभी आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है।
- सीसीटीवी फुटेज और मेडिकल रिपोर्ट को जांच में शामिल किया गया है।
- पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा को लेकर भी निगरानी की जा रही है।
- कॉलेज प्रशासन से भी जवाब मांगा गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है।
हालांकि जनता का बड़ा वर्ग अब भी इस बात को लेकर आशंकित है कि कहीं यह मामला भी दबा न दिया जाए।
पीड़िताओं की सुरक्षा और भावी सुधार: अब क्या ज़रूरी है?
- हर कॉलेज में एक स्वतंत्र और प्रभावी शिकायत तंत्र होना चाहिए।
- महिला सेल को केवल औपचारिकता न मानकर, उसे सशक्त और जिम्मेदार बनाना होगा।
- राज्य सरकार को ऐसे संस्थानों की सख्त निगरानी करनी चाहिए।
- TMCP जैसे छात्र संगठनों को अपने कार्यकर्ताओं की जवाबदेही तय करनी होगी।
प्रत्येक कॉलेज में शिकायत की स्वतंत्र और सुरक्षित व्यवस्था होनी चाहिए।
बदलाव की शुरुआत शिक्षा से ही होती है
जब शैक्षणिक संस्थान ही सुरक्षित न हों, तो समाज का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा?
अब वक्त है कि केवल नारों से नहीं, बल्कि व्यवस्था में वास्तविक बदलाव से बात बने।
हर छात्र, हर छात्रा को सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल मिलना चाहिए — यही शिक्षा का असली उद्देश्य है।