पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन ने जबरदस्त हिंसक रूप ले लिया है। यह घटना 11 और 12 अप्रैल को घटी, जब हजारों लोग सड़कों पर उतरे और पुलिस से झड़प हो गई। इस हिंसा में अब तक 274 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, 60 एफआईआर दर्ज की गई हैं, और 3 लोगों की मौत हो चुकी है। सरकारी संपत्तियों को जलाया गया, हथियार छीने गए और सैकड़ों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े। यह घटना राज्य की कानून व्यवस्था और राजनीतिक नेतृत्व पर कई सवाल खड़े करती है।
🔷 हिंसा की शुरुआत और घटनाक्रम
मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए। 11 अप्रैल को PWD ग्राउंड में करीब 10,000 प्रदर्शनकारी जमा हुए, जिनमें से 4,000-5,000 लोग उमरपुर की ओर बढ़े और दोपहर 3 बजे नेशनल हाईवे-12 को अवरुद्ध कर दिया।
शुरुआत में शांत दिख रहा यह प्रदर्शन अचानक उग्र हो गया। शाम 4:25 बजे भीड़ बेकाबू हो गई और पुलिस पर गालियों के साथ पत्थरबाज़ी, लाठी, हसुआ, लोहे की रॉड, और घातक हथियारों से हमला शुरू कर दिया। इस हिंसा का उद्देश्य सिर्फ विरोध नहीं बल्कि पुलिसकर्मियों की हत्या जैसा प्रतीत हुआ। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भीड़ ने SDPO जंगीपुर की सरकारी गाड़ी में आग लगा दी, साथ ही उनकी Glock पिस्टल (10 गोलियों के साथ) भी छीन ली।
🔷 प्रमुख घटनाएं और नुकसान
इस हिंसा में सरकारी संपत्तियों के साथ-साथ आम नागरिकों की निजी संपत्तियों को भी भारी नुकसान हुआ। रिपोर्ट के अनुसार:
- दर्जनों दुकानों और घरों को आग के हवाले कर दिया गया।
- धूलियान टाउन के कई इलाकों में मंदिरों और निजी प्रतिष्ठानों को तोड़ा और लूटा गया।
- हाइवे पेट्रोलिंग वाहन, सरकारी दफ्तर, और पुलिस कैंप पर भी हमला हुआ।
- कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे तोड़े गए ताकि हिंसा के सबूत न मिल सकें।
इन हमलों के बाद स्थिति इतनी खराब हो गई कि कई लोग अपने घर छोड़ मालदा जिले में शरण लेने को मजबूर हुए। इससे सामाजिक और मानवीय संकट की स्थिति पैदा हो गई।
#WestBengal
Due to persecution, Hindus are leaving #Murshidabad district….Listen to what they are saying.#MurshidabadViolence pic.twitter.com/it07UUUWyA
— Hindu Voice (@HinduVoice_in) April 13, 2025
🔷 मौतें और पीड़ितों की स्थिति
इस हिंसा में अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे दिल दहलाने वाली घटना 12 अप्रैल को सामने आई, जब हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास की निर्ममता से हत्या कर दी गई। आरोपियों ने सीसीटीवी केबल काटकर सबूत मिटाने की कोशिश की।
पुलिस ने इस हत्या के मुख्य आरोपी इंजामुल हक को गिरफ्तार कर लिया है। वह पहले से फरार था और अब कोर्ट में पेश किया जाएगा।
सैकड़ों परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ा था, जिनमें से 85 लोग अब तक अपने घरों को लौट चुके हैं। प्रशासन ने उनके पुनर्वास के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
#WestBengal
Many Hindu families have become Refugees.. in India.They left Murshidabad to save their lives and have taken shelter in #Maldah district. @narendramodi are you watching? #MurshidabadViolence pic.twitter.com/YCEZXVxllT
— Hindu Voice (@HinduVoice_in) April 13, 2025
🔷 प्रशासन की कार्रवाई
स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए प्रशासन ने तीव्र कदम उठाए। पुलिस ने:
- 60 एफआईआर दर्ज कीं।
- 274 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें कई प्रमुख आरोपी शामिल हैं।
- एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया है जिसकी कमान DIG सैयद वक़ार रज़ा के हाथ में है।
ADG साउथ बंगाल सप्रतीम सरकार ने प्रेस को बताया कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या कहीं इंटेलिजेंस फेलियर हुआ था, क्योंकि 8 अप्रैल को तनाव कम हुआ था, लेकिन 11 अप्रैल को अचानक हिंसा भड़क उठी।
राज्य सरकार ने BSF और CRPF की कुल 17 कंपनियाँ तैनात कीं, जिससे हालात धीरे-धीरे काबू में आए।
🔷 राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस हिंसा ने बंगाल की राजनीति को भी गरमा दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सार्वजनिक रूप से राज्यपाल C.V. आनंद बोस से आग्रह किया कि वे मुर्शिदाबाद की यात्रा कुछ दिनों के लिए टाल दें, ताकि हालात सामान्य हो सकें।
लेकिन राज्यपाल ने इस अनुरोध को ठुकराते हुए कहा कि वह खुद स्थिति का जायजा लेने मुर्शिदाबाद जाएंगे। उन्होंने वहां पहुंचकर रात जिला सर्किट हाउस में गुजारी और अगले दिन संवेदनशील इलाकों का दौरा किया।
वहीं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है और मुस्लिम बहुल इलाकों में हो रही प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
साथ ही, VHP और कुछ अन्य संगठनों ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग भी उठाई है।
🔷 अदालत में सरकार की रिपोर्ट
राज्य सरकार ने 17 अप्रैल को कलकत्ता हाई कोर्ट में एक रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें पूरे घटनाक्रम का विवरण दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक:
- 4 से 5 अप्रैल तक प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन 8 अप्रैल को NH-12 पर ब्लॉकेज के दौरान हिंसा शुरू हुई।
- 11 और 12 अप्रैल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, जिसमें सरकार ने कहा कि स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि पुलिस ने सेल्फ डिफेंस में फायरिंग की, जिसमें 2 लोग घायल हुए।
- BSF और CRPF की 17 कंपनियाँ तैनात कर स्थिति को काबू में लाया गया।
- धूलियान, सुत्ती और समशेरगंज जैसे इलाकों में भारी हिंसा हुई।
- स्थानीय धार्मिक संगठनों, राजनैतिक नेताओं और प्रशासन के साथ बैठकें की गईं ताकि अफवाहों को फैलने से रोका जा सके।
हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट माँगी है।
🔷 वर्तमान स्थिति और शांति बहाली
अब प्रशासन के अनुसार:
- 70% दुकानें दोबारा खुल चुकी हैं।
- 85 लोग अपने घर लौट चुके हैं।
- CAPF और पुलिस कैंप लगातार इलाके में गश्त कर रहे हैं।
- अब तक कोई नई बड़ी हिंसक घटना सामने नहीं आई है।
हालांकि इलाके में अभी भी तनाव बना हुआ है, लेकिन प्रशासन स्थायित्व बहाली के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।
🔷 निष्कर्ष
मुर्शिदाबाद हिंसा न केवल एक कानून व्यवस्था की चुनौती रही, बल्कि इसने प्रशासनिक सतर्कता, राजनीतिक समझदारी और जनसंवाद की कमी को उजागर कर दिया। जहां पुलिस की कार्रवाई सराहनीय रही, वहीं कई सवाल अब भी बाकी हैं।
क्या इस हिंसा को टाला जा सकता था? क्या राजनेताओं की भूमिका इसमें निष्पक्ष रही?