IPL 2025 के जोश के बीच एक ऐसा मामला सामने आया जिसने मैदान के बाहर भी हलचल मचा दी है। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने Uber India के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है। मामला एक एडवर्टाइजमेंट से जुड़ा है, जिसमें सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) के खिलाड़ी ट्रैविस हेड ने “Royally Challenged Bengaluru” शब्दों का प्रयोग किया है।
RCB का आरोप है कि Uber Moto के इस एड से न केवल उनकी टीम की ब्रांड इमेज को नुकसान हुआ है, बल्कि यह उनके ट्रेडमार्क का जानबूझकर मजाक उड़ाने जैसा है। मामला अब अदालत में पहुंच चुका है, जहां न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
🔷 Uber के एड का विवरण: ‘Hyderabaddie’ और ‘Royally Challenged Bengaluru’
Uber द्वारा 5 अप्रैल को रिलीज किया गया यह एड “Baddies in Bengaluru” नाम से यूट्यूब पर अपलोड किया गया था, जिसे अब तक 1.7 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है। इस ऐड में ट्रैविस हेड एक ‘Hyderabaddie’ के रूप में नजर आते हैं। वे एक स्टेडियम में घुसकर एक बोर्ड पर स्प्रे पेंट से “Royally Challenged Bengaluru” लिखते हैं और फिर Uber Moto से फरार हो जाते हैं।
यह पूरा दृश्य एक तरह से यह दर्शाता है कि SRH, RCB को आगामी मैच में चुनौती देगा, लेकिन RCB इसे एक व्यक्तिगत हमले के तौर पर देख रहा है। टीम का कहना है कि इस प्रकार की मार्केटिंग उनकी प्रतिष्ठा पर चोट है।
RCB takes Uber India to court over ad campaign
RCB sues Uber India in Delhi HC for unauthorised use of franchise name in “Baddies in Bengaluru” ad
Ad shows SRH’s Travis Head spray-painting “Royally Challenged Bengaluru vs Hyderabad” before escaping in an Uber Moto… pic.twitter.com/dvLGQq4SxA
— Nabila Jamal (@nabilajamal_) April 17, 2025
🔷 RCB का पक्ष: ट्रेडमार्क उल्लंघन और ब्रांड डाइल्यूशन
RCB की ओर से पेश वकील श्वेताश्री मजूमदार ने अदालत में जोर देकर कहा कि यह एड उनके ट्रेडमार्क का मजाक उड़ाता है। उनका कहना था, “Uber ने हमारी टैगलाइन ‘Ee Sala Cup Namde’ और टीम के नाम का तोड़-मरोड़ कर मजाक बनाया है। एक पूर्व खिलाड़ी (ट्रैविस हेड) को इस्तेमाल कर हमें हंसी का पात्र बनाया गया है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि IPL टीमें केवल खेल का हिस्सा नहीं होतीं, बल्कि एक बड़ा ब्रांड होती हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ब्रांडिंग से उनके व्यापार और फैनबेस पर असर पड़ता है। उनके अनुसार, इस एड के कारण सोशल मीडिया पर RCB को लेकर काफी ट्रोलिंग भी हुई है।
🔷 Uber का बचाव: फ्री स्पीच, सटायर और कॉमेडी का पक्ष
Uber की ओर से वकील साईकृष्ण राजगोपाल ने बचाव करते हुए तर्क दिया कि यह एक हल्के-फुल्के अंदाज़ में बनाया गया प्रचार अभियान है जिसका मकसद केवल Uber Moto की सुविधा को प्रमोट करना है।
उन्होंने कहा, “यह एड यह दिखाने की कोशिश करता है कि ट्रैफिक से बचने के लिए Uber Moto कितना उपयोगी है। इसमें कहीं भी RCB का नाम सीधा उपयोग नहीं किया गया है। सिर्फ एक सटायर है, जिसे गलत समझा जा रहा है।”
वकील ने यह भी कहा कि आज के दर्शक मजाक को समझने में सक्षम हैं और RCB का यह आरोप बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है। “RCB को जवाब हास्य से देना चाहिए, कोर्ट केस से नहीं,” उन्होंने जोड़ा।
🔷 कोर्ट की सुनवाई और मौखिक टिप्पणियां
न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कुछ अहम मौखिक टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा, “प्रथम दृष्टया कुछ ऐसा प्रतीत होता है जो बदलाव की मांग करता है।”
हालांकि अदालत ने तत्काल कोई आदेश नहीं दिया, लेकिन Uber को सुझाव दिया गया कि वह इस एड के कंटेंट पर पुनर्विचार करे। Uber ने इस सुझाव पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि उन्हें सुना जाए।
लगभग दो घंटे की सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
🔷 सोशल मीडिया और फैंस की प्रतिक्रियाएं
ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर इस मुद्दे को लेकर जमकर बहस हुई। RCB के समर्थक इस एड से खासे नाराज़ दिखे, वहीं कुछ दर्शकों ने इसे ‘क्रिएटिव मार्केटिंग’ करार दिया।
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कुछ RCB फैंस ने लिखा कि टीम का इस तरह मजाक उड़ाना ठीक नहीं है, जबकि कई SRH समर्थकों ने एड को मजेदार बताया और ट्रैविस हेड की एक्टिंग की तारीफ की। यह मामला IPL के प्रति लोगों की भावनात्मक जुड़ाव को भी दर्शाता है।
🔷 कानूनी पहलू: ट्रेडमार्क डिसपैरजमेंट बनाम फ्री स्पीच
इस मामले ने एक महत्वपूर्ण कानूनी बहस को जन्म दिया है: क्या किसी ब्रांड के ट्रेडमार्क पर मजाक उड़ाना फ्री स्पीच में आता है, या यह ट्रेडमार्क उल्लंघन है?
भारत में ट्रेडमार्क कानूनों के अनुसार, अगर किसी ऐड से ब्रांड की छवि को नुकसान होता है या वह भ्रम उत्पन्न करता है, तो उसे डिसपैरजमेंट माना जा सकता है। दूसरी ओर, व्यावसायिक फ्रीडम और सटायर को भी संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस संतुलन को कैसे तय करती है।
🔷 निष्कर्ष
RCB और Uber के बीच यह विवाद केवल एक ऐड को लेकर नहीं है, यह उस बड़े परिदृश्य का हिस्सा है जहां ब्रांड्स IPL जैसे आयोजनों में अपनी पहचान बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।
हालांकि, इस प्रक्रिया में अगर कोई ब्रांड दूसरे की छवि को नुकसान पहुंचाता है, तो उसे कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। यह मामला सोशल मीडिया, मार्केटिंग और कानून के संगम पर खड़ा एक बेहतरीन उदाहरण बन गया है।
अब सबकी नजर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी है, जो भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।