भारत में राष्ट्रीय ध्वज का स्थान केवल एक प्रतीक का नहीं, बल्कि करोड़ों देशवासियों की आत्मा और गर्व से जुड़ा है। हर वर्ष 7 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय ध्वज दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जो न केवल हमारे राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान प्रकट करता है, बल्कि हमें हमारे कर्तव्यों और राष्ट्रीय एकता की भी याद दिलाता है। 2025 में इस दिन को लेकर पूरे देश में विशेष तैयारी और आयोजन देखने को मिल रहे हैं।
राष्ट्रीय ध्वज दिवस की शुरुआत और उद्देश्य
‘राष्ट्रीय ध्वज दिवस’ मनाने का मुख्य उद्देश्य आम जनता को भारतीय ध्वज के महत्व और इसके इतिहास से अवगत कराना है। इस दिन विशेष रूप से राष्ट्र के प्रति नागरिकों की जिम्मेदारियों, सम्मान और योगदान की भावना को बढ़ावा दिया जाता है। इसके जरिए नागरिकों में राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति गर्व और समझ दोनों विकसित करने की कोशिश की जाती है।
तिरंगे का गौरवशाली इतिहास
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की उत्पत्ति 1906 में शुरू हुई थी, जब पहली बार कलकत्ता में एक ध्वज फहराया गया था। इसके बाद कई बार बदलाव होते गए और अंततः 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा मौजूदा तिरंगे को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया गया। यह ध्वज केवल स्वतंत्रता का प्रतीक नहीं बल्कि एकता, विविधता और बलिदान का भी प्रतीक है।
तिरंगे के रंगों का प्रतीकात्मक महत्व
तिरंगे में तीन रंग होते हैं – केसरी, सफेद और हरा। केसरी रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग शांति और सच्चाई का, जबकि हरा रंग समृद्धि और विकास का प्रतीक है। बीच में नीले रंग का अशोक चक्र 24 तीलियों वाला होता है, जो धर्म, गति और न्याय का संदेश देता है।
राष्ट्रीय ध्वज संहिता : झंडे के सम्मान के नियम
भारत सरकार ने 2002 में ‘Flag Code of India’ लागू किया, जो आम नागरिकों को भी झंडा फहराने की अनुमति देता है लेकिन मर्यादाओं के भीतर। इसमें यह बताया गया है कि झंडे को कैसे फहराया जाए, किस समय और किन स्थानों पर इसका उपयोग किया जा सकता है। 2022 में हुए संशोधन के बाद अब नागरिक तिरंगे को पूरे दिन और रातभर भी फहरा सकते हैं, बशर्ते झंडा सम्मानपूर्वक लगाया गया हो।
2025 में ध्वज दिवस पर खास आयोजन
इस वर्ष राष्ट्रीय ध्वज दिवस को लेकर पूरे भारत में अलग-अलग स्तरों पर आयोजन किए जा रहे हैं। स्कूलों और कॉलेजों में ध्वज वंदन, भाषण, चित्रकला प्रतियोगिता जैसी गतिविधियों का आयोजन किया गया। सरकारी संस्थानों में ध्वज फहराया गया और राष्ट्रगान गूंजा।
डिजिटल इंडिया के इस दौर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी “#FlagDayIndia” और “#TirangaPride” जैसे ट्रेंड्स देखे जा रहे हैं। कई राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा झंडे की महत्ता पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इसके साथ-साथ कॉर्पोरेट सेक्टर और NGOs भी ध्वज के प्रति सम्मान को लेकर कई CSR एक्टिविटी कर रहे हैं।
सशस्त्र बलों के लिए सम्मान : धन संग्रह अभियान
7 दिसंबर को ‘Armed Forces Flag Day’ भी कहा जाता है। इस दिन देशभर में रक्षा बलों के लिए आर्थिक सहयोग जुटाने का अभियान चलाया जाता है। आम नागरिकों को प्रेरित किया जाता है कि वे देश के जवानों के कल्याण के लिए योगदान दें। यह अभियान भारत सरकार द्वारा चलाया जाता है और इसके जरिए शहीदों के परिवारों, विकलांग सैनिकों और सेवानिवृत्त जवानों की मदद की जाती है।
ध्वज से जुड़े रोचक तथ्य
- भारतीय तिरंगे को केवल खादी या हैंडस्पन कपड़े से ही बनाया जा सकता है।
- भारत का सबसे ऊँचा झंडा जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में स्थित है।
- झंडे को उल्टा, फटा या ज़मीन पर गिराना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
- तिरंगे को जलाना या अपमान करना भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध है।
कैसे करें तिरंगे का सम्मान?
हर नागरिक की यह जिम्मेदारी है कि वह राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करे। इसे कभी जमीन पर न रखें, फटे हुए झंडे का प्रयोग न करें और सही तरीके से फहराएं। बच्चों और युवाओं को ध्वज के प्रति सम्मान की शिक्षा देना आवश्यक है ताकि वह राष्ट्रप्रेम को जीवन का हिस्सा बना सकें।
फोटो या वीडियो बनाते समय तिरंगे का सही स्थान और फ्रेमिंग रखना भी आवश्यक है। सोशल मीडिया पर तिरंगे को अपमानजनक तरीके से इस्तेमाल करना अपराध की श्रेणी में आ सकता है।
डिजिटल इंडिया और तिरंगे की नई पहचान
आज तिरंगे का सम्मान केवल मंचों या परेड तक सीमित नहीं है, बल्कि ऑनलाइन माध्यमों से भी यह भावना और अधिक गहराई से देशवासियों तक पहुँच रही है। युवाओं द्वारा बनाए गए डिजिटल आर्टवर्क, सोशल मीडिया पोस्ट, रील्स और कहानियों ने तिरंगे को नई पीढ़ी के साथ भी जोड़ दिया है।
हाल ही में जैसे प्रग्गनानंद ने विश्व चैम्पियन मैग्नस कार्लसन को हराकर भारत का नाम रोशन किया, ऐसे ही युवा खिलाड़ी तिरंगे को विश्व पटल पर गर्व से फहरा रहे हैं।
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तिरंगा सिर्फ एक ध्वज नहीं, हमारी आत्मा है
राष्ट्रीय ध्वज दिवस हमें यह याद दिलाता है कि भारत का तिरंगा केवल एक कपड़े का टुकड़ा नहीं बल्कि हमारे बलिदानों, उम्मीदों और उपलब्धियों की जीवंत पहचान है। हर भारतीय को अपने ध्वज के प्रति गर्व, जिम्मेदारी और सम्मान की भावना रखनी चाहिए।
तो इस 7 दिसंबर को आइए, हम सब तिरंगे को फहराएं, उसका सम्मान करें और अगली पीढ़ी को भी इसकी गरिमा से अवगत कराएं।
आप अपने स्कूल या ऑफिस में राष्ट्रीय ध्वज दिवस कैसे मनाते हैं? कमेंट करके जरूर बताएं!