पंजाब में हाल ही में एक पत्रकार पर दो पुलिस अधिकारियों द्वारा हमला किए जाने का मामला सामने आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना तब घटी जब पत्रकार अपने रिपोर्टिंग कार्य के लिए मौके पर मौजूद था। उसी दौरान पुलिसकर्मियों ने उसके साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार और शारीरिक हमला किया।
इस घटना के तुरंत बाद वहाँ मौजूद अन्य पत्रकारों और स्थानीय लोगों ने इस कृत्य की निंदा की और इसे लोकतंत्र व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया। चश्मदीद गवाहों का कहना है कि पुलिस की यह कार्रवाई पूरी तरह से अनुचित थी और इससे राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता उत्पन्न हो गई है।
NHRC की हस्तक्षेप प्रक्रिया
इस घटना की जानकारी मिलते ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। आयोग ने राज्य सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है कि आखिर पत्रकार पर हमला क्यों हुआ और इसमें शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
आयोग ने इस मामले में चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। NHRC का मानना है कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई ज़रूरी है क्योंकि पत्रकार लोकतंत्र की नींव माने जाते हैं और उनकी सुरक्षा पर समझौता लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा है।
पंजाब सरकार की जिम्मेदारी और शुरुआती प्रतिक्रिया
पंजाब सरकार के लिए यह घटना बेहद गंभीर मानी जा रही है। सरकार पर पहले से ही कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर सवाल उठते रहे हैं। इस घटना ने उसकी जवाबदेही को और बढ़ा दिया है।
अब तक राज्य सरकार की ओर से आधिकारिक बयान सामने आया है जिसमें कहा गया है कि मामले की जाँच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि, अभी तक FIR दर्ज करने या पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने जैसी कोई ठोस कार्रवाई सार्वजनिक रूप से नज़र नहीं आई है।
NHRC, India takes suo motu cognizance of the reported assault of a journalist by two police officers in Batala area of Gurdaspur district, Punjab. May like to refer to the press release at: https://t.co/wFHoTO8WbF@PIBHomeAffairs @ANI @PTI_News @airnewsalerts @DDNewslive pic.twitter.com/IUdLKRWqcE
— NHRC India (@India_NHRC) August 18, 2025
पत्रकार संगठनों और नागरिक समाज की प्रतिक्रिया
घटना के बाद प्रेस क्लब, पत्रकार संघ और कई मानवाधिकार संगठन सामने आए हैं। इन संगठनों का कहना है कि पंजाब जैसे प्रगतिशील राज्य में अगर पत्रकार ही सुरक्षित नहीं हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए चिंताजनक स्थिति है।
पत्रकार संगठनों ने यह भी आरोप लगाया है कि पंजाब पुलिस पर पहले से ही राजनीतिक दबाव में काम करने के आरोप लगते रहे हैं। इसी संदर्भ में हाल ही में बीजेपी नेता सुनील जाखड़ ने भी कहा था कि “बाहरी लोग पंजाब सरकार चला रहे हैं”। इस मुद्दे पर हमारी विस्तृत रिपोर्ट यहाँ पढ़ें पंजाब सरकार को बाहरियों द्वारा चलाने का आरोप – बीजेपी नेता सुनील जाखड़।
नागरिक समाज और आम जनता का भी यही मानना है कि जब पत्रकार असुरक्षित होंगे तो सच्चाई सामने आने में बाधा पैदा होगी।
भारत में पत्रकारों की सुरक्षा – एक बड़ा सवाल
यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी पत्रकार को अपनी जिम्मेदारी निभाने पर हमला झेलना पड़ा हो। पिछले कुछ वर्षों में भारत में पत्रकारों पर हमलों की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं।
कई स्वतंत्र संगठनों की रिपोर्ट के अनुसार, भारत प्रेस स्वतंत्रता के मामले में पिछले कुछ वर्षों में पीछे गया है। विभिन्न राज्यों से पत्रकारों के खिलाफ धमकी, हमला और मुकदमे दर्ज होने के मामले सामने आते रहे हैं।
ऐसे में पंजाब की यह घटना केवल राज्य की नहीं बल्कि पूरे देश की पत्रकारिता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़ा करती है।
NHRC और मीडिया की आज़ादी पर कानूनी प्रावधान
NHRC को संविधान और मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत व्यापक शक्तियाँ दी गई हैं। आयोग नागरिकों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी घटना पर स्वतः संज्ञान ले सकता है।
साथ ही, भारत का संविधान भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई मामलों में कहा है कि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है और इसे किसी भी प्रकार से बाधित करना संविधान के खिलाफ है।
पंजाब पुलिस पर बढ़ते सवाल
यह घटना पंजाब पुलिस की छवि पर एक और धब्बा है। राज्य की पुलिस पर पहले से ही राजनीतिक दबाव और पारदर्शिता की कमी जैसे आरोप लगते रहे हैं।
जनता अब यह सवाल कर रही है कि क्या पुलिस स्वतंत्र रूप से कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सक्षम है, या वह केवल सत्ता के इशारे पर काम कर रही है।
आगे की संभावित कार्रवाई और परिणाम
NHRC के नोटिस के बाद अब पंजाब सरकार पर दबाव है कि वह इस मामले में त्वरित और ठोस कदम उठाए। इसमें शामिल पुलिस अधिकारियों को निलंबित करना, पीड़ित पत्रकार को सुरक्षा और मुआवज़ा देना, और भविष्य के लिए स्पष्ट सुरक्षा दिशा-निर्देश बनाना शामिल हो सकता है।
यदि सरकार और पुलिस इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो इसका असर न केवल राज्य की छवि पर पड़ेगा बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पंजाब सरकार की आलोचना होगी।
पत्रकार सुरक्षा की अहमियत
पत्रकार लोकतंत्र की आँख और कान होते हैं। अगर वही सुरक्षित नहीं रहेंगे तो समाज तक सही सूचना पहुँचने का रास्ता अवरुद्ध हो जाएगा।
NHRC का यह कदम स्वागत योग्य है क्योंकि इससे एक स्पष्ट संदेश जाता है कि पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा करना राज्य और पुलिस की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए जरूरी है कि सरकार और प्रशासन पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सख्त नीतियाँ बनाएं और उनका ईमानदारी से पालन करें।