कटरा में हुए एक भव्य रेलवे उद्घाटन समारोह के दौरान उस समय सियासी तापमान बढ़ गया जब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने मंच से सीधे राज्य के दर्जे को लेकर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उन्होंने जिस तरह अपनी बात कही, उसने पूरे कार्यक्रम की दिशा पल भर में बदल दी।
जहां एक ओर मंच पर विकास की चर्चा हो रही थी, वहीं ओमर अब्दुल्ला ने जनता के दिलों में एक अधूरी मांग को फिर से ज़ोरदार ढंग से सामने रखा। इस बयान ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि भले ही केंद्रीय सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज़ोर दे रही हो, पर राज्य की राजनीति अब भी केंद्रबिंदु बनी हुई है।
Highlights from a memorable visit to Jammu and Kashmir. The Chenab Rail Bridge and Anji Bridge are transformative projects! pic.twitter.com/rfTtxYvo98
— Narendra Modi (@narendramodi) June 7, 2025
कटरा रेल लिंक उद्घाटन: विकास की नई शुरुआत
कटरा-रीसी रेलवे लिंक का उद्घाटन जम्मू-कश्मीर के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। यह रेल संपर्क न सिर्फ स्थानीय लोगों की आवाजाही को आसान बनाएगा, बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी नई उड़ान देगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में इसे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की दिशा में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों के बीच सामाजिक और आर्थिक रिश्ते और मजबूत होंगे।
कटरा रेल लिंक का उद्घाटन जम्मू-कश्मीर के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। यह रेल संपर्क न सिर्फ स्थानीय लोगों की आवाजाही को आसान बनाएगा, बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी नई उड़ान देगा। इसी तरह हाल ही में उद्घाटित चिनाब ब्रिज ने भी जम्मू-कश्मीर को दुनिया के नक्शे पर इंजीनियरिंग चमत्कार के रूप में उभारा है, जो केंद्र सरकार के बुनियादी ढांचे पर ज़ोर देने की रणनीति को दर्शाता है।
ओमर अब्दुल्ला का बड़ा बयान: “मुझे डिमोशन, एल-जी को प्रमोशन”
कार्यक्रम में मौजूद ओमर अब्दुल्ला ने अपने संबोधन में कहा कि आज जिस रेल लिंक का उद्घाटन हो रहा है, वह बेशक विकास का प्रतीक है, लेकिन वह उस हक को नहीं भूला सकते जो जम्मू-कश्मीर की जनता से छीन लिया गया।
उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री था, लेकिन अब एक केंद्रशासित प्रदेश का सामान्य नागरिक हूं। दूसरी ओर हमारे एल-जी साहब को प्रमोशन मिला है।”
उनके इस कथन से माहौल में एक गंभीरता आ गई, जिसे वहां मौजूद सभी लोगों ने महसूस किया।
यह बयान न सिर्फ एक व्यक्तिगत अनुभव था, बल्कि एक बड़ी राजनीतिक मांग को सार्वजनिक मंच से दोहराने का प्रयास भी था।
ओमर ने अपनी बात को शालीनता से रखा, लेकिन उसमें राजनीतिक तीखापन भी साफ दिखा। वह यह जताना चाह रहे थे कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाएं आज भी अधूरी हैं।
Anji Khad bridge, another perspective. pic.twitter.com/YYplxFELpC
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) June 6, 2025
जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा: पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 2019 में इसका राज्य का दर्जा खत्म कर इसे केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया। इसके बाद से ही राज्य के राजनीतिक दल और स्थानीय नेता लगातार इसकी बहाली की मांग कर रहे हैं।
अभी तक केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा गया है कि राज्य का दर्जा कब बहाल होगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में कहा कि चुनाव जल्द होने चाहिए और राज्य की बहाली पर गंभीरता से विचार होना चाहिए।
इस बीच ओमर अब्दुल्ला का यह बयान यह दिखाता है कि स्थानीय राजनीतिक नेतृत्व अब मंचों पर इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाने को तैयार है।
यह स्पष्ट है कि जनता के मन में अब भी एक सवाल है – क्या लोकतांत्रिक अधिकार लौटेंगे?
पीएम मोदी की मंच पर प्रतिक्रिया: रणनीति या मौन?
ओमर अब्दुल्ला के इस बयान पर प्रधानमंत्री मोदी ने मंच से कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने अपना भाषण पूरी तरह से रेल परियोजना और विकास की दिशा पर केंद्रित रखा।
क्या यह चुप्पी एक रणनीतिक चुप्पी थी या फिर एक राजनीतिक संतुलन का हिस्सा? कई विश्लेषक मानते हैं कि मंच साझा करने के बावजूद पीएम मोदी ने विवाद से बचने के लिए कोई टिप्पणी नहीं की।
यह भी संभव है कि केंद्र सरकार अभी जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर सोच-समझकर आगे बढ़ रही हो और कोई बड़ा बयान नहीं देना चाहती।
राजनीतिक संकेत और जनता की सोच
ओमर अब्दुल्ला के इस बयान को सिर्फ एक व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं माना जा सकता। यह एक राजनीतिक संदेश था, जिसे न सिर्फ वहां मौजूद लोग, बल्कि पूरे देश ने सुना।
यह भी दिलचस्प है कि उन्होंने प्रधानमंत्री की उपस्थिति में इस तरह की बात कही, जिससे यह साफ हो गया कि यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। जनता की प्रतिक्रिया भी इस पर मिली-जुली रही — कुछ ने इसे साहसिक कदम माना तो कुछ ने इसे मंच की गरिमा के विरुद्ध बताया।
हालांकि, यह तय है कि इस बयान से जम्मू-कश्मीर की राजनीति फिर से चर्चा में आ गई है।
क्या फिर बनेगा राज्य? जनता की उम्मीदें
जम्मू-कश्मीर के लोग अब भी राज्य के दर्जे की बहाली की उम्मीद लगाए बैठे हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें फिर से अपनी सरकार चुनने का अधिकार मिले, और स्थानीय निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिले।
हालांकि सरकार ने प्रशासनिक सुधारों की ओर ज़ोर दिया है, लेकिन राजनीतिक अधिकारों की बहाली पर अब भी स्पष्टता नहीं है।
कई स्थानीय नागरिक मानते हैं कि विकास और लोकतंत्र दोनों साथ-साथ चल सकते हैं, न कि एक की कीमत पर दूसरा।
यह बयान उनके उस दर्द को उजागर करता है जो उन्हें पिछले कुछ वर्षों से झेलना पड़ रहा है – पहचान, प्रतिनिधित्व और अधिकार की कमी।
एक रेल लिंक, दो दृष्टिकोण
कटरा रेल लिंक निश्चित रूप से जम्मू-कश्मीर के विकास में एक मील का पत्थर है। यह राज्य को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ता है और रोज़गार तथा पर्यटन के नए रास्ते खोलता है।
लेकिन ओमर अब्दुल्ला के बयान ने यह दिखा दिया कि बुनियादी ढांचे की तरक्की के साथ-साथ लोकतांत्रिक और राजनीतिक मांगें भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।
विकास का असली मकसद तभी पूरा होगा जब जनता को निर्णय लेने का अधिकार भी वापस मिलेगा। रेल की पटरियों से जुड़ाव तब और मजबूत होगा, जब दिलों का जुड़ाव राजनीतिक रूप से भी सुनिश्चित होगा।
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