भाजपा के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने एक बार फिर राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि “पंजाब सरकार बाहरी नेताओं के इशारों पर चल रही है और राज्य का असली नेतृत्व पर्दे के पीछे से कोई और कर रहा है।”
इस बयान के बाद राज्य की सियासत गरमा गई है और सवाल उठ रहे हैं कि क्या वास्तव में पंजाब का राजनीतिक नियंत्रण कहीं और से हो रहा है।
प्रॉक्सी शासन का मुद्दा
भाजपा का दावा है कि पंजाब सरकार अपने दम पर फैसले लेने में सक्षम नहीं है और असल में ‘प्रॉक्सी शासन’ चल रहा है।
- पार्टी नेताओं का कहना है कि प्रदेश सरकार के कई बड़े फैसले बाहर से निर्देशित होते हैं।
- इससे पंजाब की स्वायत्तता और जनता की उम्मीदों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
भाजपा इस मुद्दे को लगातार जनता के बीच ले जा रही है ताकि आने वाले चुनावों में राजनीतिक बढ़त हासिल की जा सके।
अरविंद केजरीवाल पर सीधा निशाना
सुनील जाखड़ के बयान का सीधा निशाना दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर था।
उन्होंने कहा कि “पंजाब के मुख्यमंत्री सिर्फ नाममात्र के पद पर बैठे हैं, असली कमान बाहर के हाथों में है।”
यह आरोप नया नहीं है। पहले भी विपक्षी दलों ने दावा किया था कि आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार पर दिल्ली का दबदबा है।
भाजपा अब इस बयान को और मजबूत तरीके से जनता तक पहुंचाने की कोशिश में है।
Punjab: BJP leader Sunil Kumar Jakhar says, “The victory of the farmers of Punjab has completely exposed the face of the Aam Aadmi Party. Now, the farmers and the people of Punjab must become aware, because the real battle is being fought in the farmers’ fields” pic.twitter.com/JrzsG975Fk
— IANS (@ians_india) August 17, 2025
भाजपा की पंजाब राजनीति में बढ़ती सक्रियता
भाजपा ने हाल के महीनों में पंजाब में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं।
- रैलियों और सभाओं के जरिए पार्टी लगातार जनता तक पहुँच बना रही है।
- विशेष रूप से किसानों के मुद्दों को उठाकर भाजपा पंजाब में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास कर रही है।
हाल ही में भाजपा ने भूमि पूलिंग नीति पर सरकार को घेरा और दावा किया कि इस नीति की वापसी में भाजपा की भूमिका अहम रही है।
इस दौरान भाजपा ने किसानों से जुड़े मुद्दों को अपनी राजनीतिक रणनीति का केंद्र बनाया।
👉 इसी संदर्भ में पंजाब सरकार की उपलब्धियों का जिक्र भी जरूरी है। हाल ही में यह रिपोर्ट सामने आई थी कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब में सड़क हादसों से होने वाली मौतों में 48% की कमी दर्ज की गई है।
इस उपलब्धि को लेकर भी राजनीतिक बहस तेज है कि राज्य की नीतियां वास्तव में कितनी असरदार साबित हो रही हैं।
पढ़ें पूरी रिपोर्ट: पंजाब CM मान की उपलब्धियाँ – सड़क हादसों में 48% कमी
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
भाजपा के आरोपों के बाद आप (AAP) और कांग्रेस ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया।
- आप नेताओं का कहना है कि यह केवल राजनीतिक बयानबाजी है और इसका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं।
- कांग्रेस ने भी भाजपा पर आरोप लगाया कि वह पंजाब में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है।
इस तरह के बयान आने वाले समय में राजनीतिक टकराव को और गहरा कर सकते हैं।
किसान और ग्रामीण राजनीति का एंगल
पंजाब की राजनीति में किसान हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं।
भाजपा अब किसानों के बीच अपनी छवि सुधारने पर जोर दे रही है।
- भूमि पूलिंग और मंडी सिस्टम पर सरकार के कदमों को लेकर भाजपा खुद को किसानों का हितैषी दिखा रही है।
- भाजपा नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार की नीतियों से किसानों को नुकसान हो रहा है, जबकि पार्टी किसानों के हक में खड़ी है।
किसानों का यह समर्थन 2025 की राजनीति में निर्णायक साबित हो सकता है।
जनता की राय और सोशल मीडिया बहस
पंजाब में जनता का एक बड़ा वर्ग इस बयान को गंभीरता से ले रहा है।
- सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है।
- कुछ लोग मानते हैं कि राज्य की सरकार को पूरी तरह स्वतंत्र होकर काम करना चाहिए।
- वहीं कुछ लोग इसे भाजपा की चुनावी रणनीति मानकर नजरअंदाज कर रहे हैं।
जनता की राय बंटी हुई दिख रही है, लेकिन इतना तय है कि इस बयान ने राजनीतिक चर्चा को नई दिशा दे दी है।
राजनीतिक भविष्य और असर
भाजपा का यह बयान केवल एक राजनीतिक हमला नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों की तैयारी भी है।
- पार्टी को उम्मीद है कि इससे जनता में सरकार की छवि पर सवाल उठेंगे।
- यह भी माना जा रहा है कि भाजपा आने वाले समय में किसानों और युवाओं पर ज्यादा फोकस करेगी।
अगर भाजपा इस मुद्दे को सही तरह से भुना पाई तो पंजाब की राजनीति में उसके लिए नए अवसर बन सकते हैं।
बढ़ता तनाव और नई दिशा
सुनील जाखड़ के आरोप ने पंजाब की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है।
भाजपा जहां इसे चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के बीच ले जाने की तैयारी में है, वहीं आप और कांग्रेस इसे महज राजनीति कहकर खारिज कर रहे हैं।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान का पंजाब की राजनीति पर क्या असर पड़ता है और जनता किसे सही मानती है।