जब Diljit dosanjh ने मेट गाला 2025 की रेड कारपेट पर कदम रखा, तो सिर्फ कैमरे नहीं चमके — पूरी दुनिया ठहर गई। सफेद शेरवानी, क्रीम टर्बन, और एक अनोखा केप, जिस पर पंजाबी संस्कृति उकेरी हुई थी — यह सिर्फ एक फैशन स्टेटमेंट नहीं था, बल्कि एक संस्कृति का प्रदर्शन था।
दिलजीत ने सिर उठाकर कहा,
“मैं अपनी पग, अपनी संस्कृति और अपनी मातृभाषा लेकर आया हूँ।”
इन शब्दों में गर्व, जड़ें और भारतीयता की खुशबू थी। इस एक लाइन ने न सिर्फ भारतीयों का सीना चौड़ा कर दिया, बल्कि मेट गाला जैसे ग्लोबल प्लेटफॉर्म को एक नया रंग दे दिया — पंजाबी रंग।
Diljit Dosanjh made history at the Met Gala, blending Punjabi roots with global fashion. Calm, confident, unapologetically desi this wasn’t just style; it was a cultural statement, heritage in motion. @diljitdosanjh pic.twitter.com/aveObhgp5w
— Amarjit Singh (@JRAmarjit) May 6, 2025
Met gala क्या है? और क्यों दुनिया करती है इसका इंतज़ार?
मेट गाला, जिसे फैशन की दुनिया का ‘ऑस्कर’ कहा जाता है, हर साल न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम में होता है। ये सिर्फ कपड़ों की प्रदर्शनी नहीं, बल्कि कल्चर, स्टेटमेंट और एक्सप्रेशन का संगम होता है।
इस साल की थीम थी — “Sleeping Beauties: Reawakening Fashion”। लेकिन जब दिलजीत आए, तो ऐसा लगा जैसे उन्होंने सोई हुई संस्कृति को जगा दिया हो।
न टक्सीडो, न सूट — इस बार आया था एक राजा!
Diljit के पहनावे में ना कोई दिखावा था, ना कोई बनावट — बस था तो सच्चा पंजाबी स्वैग।
- सफेद शेरवानी, जिसमें भारत की पारंपरिक कढ़ाई थी
- उनके कंधों पर पड़ा था एक लंबा केप, जिसमें गुरमुखी लिपि में पंजाबी अक्षर लिखे थे
- और उस पर उकेरा गया पंजाब का नक्शा, जैसे उन्होंने पूरे राज्य को अपनी पीठ पर उठा रखा हो
लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे कहा:
“वो सिर्फ चल नहीं रहे थे, वो पंजाब को लेकर रेड कारपेट पर चल रहे थे।”
ये लुक बस एक फैशन चॉइस नहीं था, ये था एक संदेश —
“कल्चर कभी आउट ऑफ ट्रेंड नहीं होता।”
यह वही आत्मविश्वास है जो हमने हाल ही में केसरी चैप्टर 2 पर बॉलीवुड सितारों की प्रतिक्रियाओं में भी देखा — जब कल्चर और कंटेंट दोनों जुड़ते हैं, तब असली कनेक्शन बनता है।
टर्बन बना ताज — जब फैशन ने पहनी पहचान की शान
पगड़ी, जिसे भारत में कभी-कभी आउटडेटेड माना जाता है, दिलजीत ने उसी को अपना ताज बना लिया।
उनकी क्रीम रंग की टर्बन न सिर्फ उनके पहनावे का हिस्सा थी, बल्कि पूरे लुक का फोकल पॉइंट थी।
ये पगड़ी कोई आम फैशन एक्सेसरी नहीं थी — ये थी पहचान, गर्व और विरासत का प्रतीक।
उन्हें देखकर ऐसा लगा जैसे वो कह रहे हों:
“हमारी जड़ें ही हमारी उड़ान का आधार हैं।”
History created! 🇮🇳👑
Diljit Dosanjh didn’t just walk the #MetGala2025 carpet — he carried the spirit of Punjab and the pride of India on his shoulders. A proud day for every Indian.✨#DiljitDosanjh #PrideOfPunjab #MetGala pic.twitter.com/TEhLWLqteG
— Dapinder Singh Virk (@Dapindr) May 6, 2025
जब Diljit बोले, तब सिर्फ लिरिक्स नहीं, संस्कृति गूंजती है
दिलजीत सिर्फ एक सिंगर नहीं हैं।
- वो “Do You Know” गाते हैं तो मोहब्बत महकती है
- जब “Lover” गाते हैं तो रूह तक छू जाती है
- और अब मेट गाला में उनका अंदाज़ बता रहा था कि वो फैशन से परे एक विचारधारा हैं
उनकी सबसे खास बात है — real रहना।
वो अपने म्यूज़िक में देसी बीट्स लाते हैं
फिल्मों में भी अपनी असल छवि से समझौता नहीं करते
और अब मेट गाला में उन्होंने ग्लोबल स्टेज पर देसी आत्मा पेश कर दी
बिलकुल उसी तरह जैसे हॉलीवुड की सिंगर और एक्ट्रेस हैली बेली ने अपने पहले गाने ‘एंजल’ के ज़रिए अपनी असल पहचान और आवाज़ को मनवाया।
देसी स्टार का इंटरनेशनल स्वैग — अब दुनिया सीखेगी पंजाबीपन
पहले बॉलीवुड सितारे टक्सीडो और गाउन में दिखते थे। लेकिन दिलजीत ने रास्ता बदला — अपने अंदाज़ में, अपनी भाषा में, अपनी पहचान में।
इससे पहले प्रियंका चोपड़ा, आलिया भट्ट भी मेट गाला में नज़र आ चुकी हैं, लेकिन दिलजीत ने वो किया जो अब तक किसी ने नहीं किया —
अपने देसीपन को बिना बदले, ग्लोबल फैशन की दुनिया को झुका दिया।
अब वो सिर्फ पंजाबी नहीं, इंटरनेशनल कल्चर आइकन बन चुके हैं।
रेड कारपेट पर चलने वाला हर क़दम बना इतिहास
मेट गाला में जब दिलजीत कदम दर कदम चल रहे थे, तो उनके पीछे सिर्फ कपड़ों की लहर नहीं थी — उनके पीछे एक पूरा इतिहास, एक विरासत और एक पीढ़ी चल रही थी।
उनके पहनावे, चाल और आत्मविश्वास ने यह साफ किया कि हम भारतीय, हमारी परंपराएं और हमारी जड़ें — किसी भी ग्लोबल मंच पर कम नहीं हैं।
उनका हर क़दम एक संदेश बन गया:
- “कल्चर को छिपाओ मत, पहन कर चलो।”
- “गर्व से कहो, हाँ मैं भारत से हूँ।”
और अब सवाल आपसे — क्या आप भी मानते हैं कि संस्कृति ही असली स्टाइल है?
दिलजीत दोसांझ का मेट गाला में ये सफर सिर्फ एक शाम का किस्सा नहीं है — ये एक सोच की शुरुआत है।
अब जब आप ये पढ़ चुके हैं, तो सोचिए:
- क्या हम अपनी संस्कृति को ग्लोबल ले जाने से कतराते हैं?
- क्या फैशन में भारतीयता को दिखाना अब शर्म नहीं, शान होना चाहिए?
- क्या आज के युवाओं को भी दिलजीत की तरह देसी होने पर गर्व करना चाहिए?
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