भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का मकसद तो शांति बनाए रखना था,
लेकिन लगता है पाकिस्तान को शांति रास नहीं आती।
चार दिन से लगातार पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जा रहा है।
गोलीबारी, मोर्टार से हमले, और बेगुनाहों को डराने की नाकाम कोशिशें —
सब कुछ देखा गया इन चार दिनों में।
लेकिन भारत ने भी साफ कर दिया है कि अब हर उकसावे का जवाब उसी भाषा में दिया जाएगा।
भारतीय सेना ने जो ‘प्रभावी और त्वरित’ प्रतिक्रिया दी है, उसने पाकिस्तान को करारा संदेश दे दिया है
चार दिनों का घटनाक्रम: कब-कहां क्या हुआ?
पहला दिन:
25 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में पाकिस्तान ने बिना किसी चेतावनी के गोलियां बरसानी शुरू कर दीं।
छोटे हथियारों से लेकर मोर्टार तक — हर हथियार का इस्तेमाल किया गया।
दूसरा दिन:
26 अप्रैल को राजौरी सेक्टर में देर रात तक फायरिंग चली।
लेकिन इस बार भारतीय सेना पूरी तैयारी में थी। जवाब भी वैसा ही दिया गया — तुरंत, सटीक और घातक।
तीसरा दिन:
27 अप्रैल को कुपवाड़ा सेक्टर की बारी थी।
गोलियां चलीं, नागरिक सहमे, लेकिन सेना ने मोर्चा संभाला।
गांव के गांवों को सुरक्षित किया गया और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया गया।
चौथा दिन:
28 अप्रैल को भी पाकिस्तान ने उकसावे जारी रखे।
लेकिन भारतीय सेना ने इस बार ज्यादा देर बर्बादी का इंतज़ार नहीं किया।
चंद मिनटों में ही जवाबी कार्रवाई शुरू हुई और पाकिस्तान की कई अग्रिम चौकियों को भारी नुकसान हुआ।
महत्वपूर्ण है कि जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद बड़ी कार्रवाई ने भी सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा का स्तर और बढ़ा दिया है।
भारतीय सेना की प्रतिक्रिया: अब बर्दाश्त नहीं
इस बार भारतीय सेना ने बिलकुल साफ-साफ संदेश दिया —
“जैसी करनी, वैसी भरनी।”
सेना ने न सिर्फ मोर्चों पर मोर्टार दागे,
बल्कि दुश्मन के हर हमले का तुरंत जवाब दिया।
रॉकेट लॉन्चर, भारी कैलिबर के हथियार, और गाइडेड शेल्स का इस्तेमाल हुआ।
सेना के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान को गंभीर नुकसान उठाना पड़ा है।
भारतीय सेना के एक प्रवक्ता ने कहा:
“हमारा धैर्य हमारी कमजोरी नहीं है। जो उकसाएगा, उसे पछताना पड़ेगा। “सेना की ‘स्विफ्ट एंड एफेक्टिव’ कार्रवाई ने दिखा दिया कि हम शांति चाहते हैं,
लेकिन कायरता नहीं।
BREAKING : Heavy cross border shelling and firing along LoC at least at 3 places. At least 4 Pakistani soldiers killed in Leepa Valley of PoK in retaliatory action of Indian Army as per local sources. (Representative Video) pic.twitter.com/OL6JVU7fXR
— Baba Banaras™ (@RealBababanaras) April 25, 2025
सीमावर्ती नागरिकों की हालत: डर और उम्मीद का संगम
जहाँ बंदूकें गरजती हैं, वहीं आम लोग सहमे हुए अपने घरों में छिपे रहते हैं।
पुंछ और राजौरी के कई गांव खाली कराए गए हैं।
बच्चों के स्कूल बंद कर दिए गए, बाजार वीरान हो गए।
एक स्थानीय बुजुर्ग ने कहा:
“हमने अपनी ज़िन्दगी में बहुत बार गोलियों की आवाज़ सुनी है, लेकिन डर अब भी वही है।”
सरकार और सेना ने राहत शिविर खोले हैं,
जहाँ लोगों को भोजन, दवाइयां और सुरक्षित आसरा दिया जा रहा है।
सेना के जवान सिर्फ लड़ाई नहीं लड़ रहे,
बल्कि अपनों की तरह गांव वालों का सहारा भी बन रहे हैं।
पाकिस्तान का पुराना खेल: कोई नई बात नहीं
अगर इतिहास उठाकर देखें तो पाकिस्तान का यह व्यवहार नया नहीं है।
जब भी भारत कोई बड़ी सफलता पाता है, पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ाता है।
जैसे हाल ही में पहलगाम हमले के पीछे जो साजिश थी, उसके बारे में यह रिपोर्ट पढ़ने पर भी साफ हो जाता है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकियों का हाथ था।
पिछले आँकड़े बताते हैं:
- 2018 में 2900+ बार संघर्ष विराम तोड़ा।
- 2020 में यह आंकड़ा 5000 पार कर गया था।
हर बार भारत ने संयम दिखाया, लेकिन जवाब भी उतना ही मजबूत दिया।
भारत का कड़ा रुख: संयम के साथ सख्ती
भारत की नीति बहुत स्पष्ट है —
“शांति का सम्मान करो, वरना परिणाम भुगतो।”
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है, और सेना भी तैयार है।
भारत सीमावर्ती क्षेत्रों को और मजबूत कर रहा है,
जिस तरह पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों के घरों को विस्फोट से उड़ाया गया,
वैसे ही अब हर उकसावे पर सख्त कार्रवाई होगी।
रक्षा विशेषज्ञों की राय: रणनीति और मजबूती
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की हरकतें उसकी घरेलू विफलताओं का परिणाम हैं।
भारत को संयम और सख्ती का संतुलन बनाए रखना चाहिए।
रक्षा विश्लेषकों का सुझाव:
- सीमा पर ढांचागत मजबूती बढ़ाई जाए।
- पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया जाए।
- हर घुसपैठ कोशिश को विफल किया जाए।
निष्कर्ष
भारतीय सेना सीमाओं की रक्षा कर रही है,
और हर नागरिक को गर्व होना चाहिए हमारे जवानों पर।
जो देश के लिए जान दांव पर लगाते हैं,
उनकी ताकत ही भारत को मजबूती देती है।