न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की हालिया भारत यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत बनाने का एक अहम कदम रही। इस यात्रा के दौरान उन्होंने स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया, जो भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अनूठा प्रतीक है। उनके साथ 110 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी था, जिसमें सरकारी अधिकारी, बिजनेस लीडर्स और समाज के प्रतिष्ठित लोग शामिल थे।
अक्षरधाम मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और आध्यात्मिक शांति के लिए प्रसिद्ध है। प्रधानमंत्री लक्सन ने यहां कुछ समय बिताया और भारतीय संस्कृति की गहराइयों को महसूस किया। यह यात्रा न केवल उनके लिए एक नया अनुभव थी, बल्कि भारत-न्यूज़ीलैंड के रिश्तों में नई ऊंचाई जोड़ने का भी एक बेहतरीन मौका साबित हुई।
प्रधानमंत्री लक्सन का स्वागत और आध्यात्मिक अनुभव
अक्षरधाम मंदिर पहुंचने पर प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन और उनके प्रतिनिधिमंडल का पारंपरिक स्वागत किया गया। इस दौरान मंत्रोच्चार, पुष्प अर्पण और पारंपरिक तरीके से उनका अभिनंदन हुआ। मंदिर के संतों ने उन्हें अभिषेक अनुष्ठान में शामिल होने का अवसर दिया, जहां उन्होंने श्रद्धा भाव से भगवान स्वामीनारायण की मूर्ति पर पवित्र जल चढ़ाया।
मंदिर की भव्यता और यहां की दिव्यता देखकर प्रधानमंत्री लक्सन काफी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि यह शांति और प्रेरणा का केंद्र है और यहां आकर उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव हुआ।
Prime Minister of New Zealand #ChristopherLuxon visited Swaminarayan #Akshardham temple in #Delhi on 18th March pic.twitter.com/QnJA4foICq
— The Times Of India (@timesofindia) March 19, 2025
संस्कृति और कूटनीतिक संदेश
इस यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य भारत और न्यूज़ीलैंड के सांस्कृतिक और राजनयिक संबंधों को गहरा करना था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री लक्सन को ‘सत्संग दीक्षा’ नामक एक पवित्र हिंदू ग्रंथ की माओरी भाषा में अनूदित प्रति भेंट की गई।
प्रधानमंत्री लक्सन ने कहा:
“यह ग्रंथ हमारी संस्कृति और आध्यात्मिकता को जोड़ने का एक सेतु है। न्यूज़ीलैंड में हिंदू समुदाय का योगदान अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है।”
प्रधानमंत्री लक्सन की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया चर्चाएं
अक्षरधाम दौरे के दौरान प्रधानमंत्री लक्सन ने अपनी भावनाओं को अतिथि पुस्तिका में दर्ज किया:
“यह मेरे जीवन का एक अविस्मरणीय अनुभव है। अक्षरधाम मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शांति, प्रेम और एकता का प्रतीक है।”
इसके अलावा, उन्होंने सोशल मीडिया पर इस दौरे की तस्वीरें और विचार साझा किए, जिसे लाखों लोगों ने पसंद किया और सराहा।
भारत-न्यूज़ीलैंड व्यापार और रणनीतिक सहयोग
प्रधानमंत्री लक्सन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रणनीतिक सहयोग, व्यापारिक रिश्तों और सांस्कृतिक साझेदारी पर चर्चा की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने कुछ अहम फैसले लिए:
- व्यापार और निवेश: दोनों देश व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं।
- वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग: विशेष रूप से स्पेस टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सहमति बनी।
- सुरक्षा और रक्षा संबंध: दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
बीएपीएस और न्यूज़ीलैंड में हिंदू समुदाय का योगदान
बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था न्यूज़ीलैंड में हिंदू समुदाय को एकजुट करने और सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड, क्राइस्टचर्च और वेलिंगटन में इसके केंद्र कार्यरत हैं।
इन केंद्रों में न केवल धार्मिक बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामुदायिक सेवा से जुड़े कार्य भी किए जाते हैं। हाल ही में वेलिंगटन में एक नया भव्य मंदिर स्थापित किया गया, जिससे न्यूज़ीलैंड में भारतीय संस्कृति को और मजबूती मिली है।
समापन – यात्रा का व्यापक प्रभाव
प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की इस यात्रा ने यह साफ कर दिया कि भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों में एक नई ऊर्जा आ रही है।
इस दौरे से भारतीय प्रवासी समुदाय को भी एक भावनात्मक जुड़ाव महसूस हुआ। यह यात्रा सिर्फ एक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि और आपसी सम्मान का प्रतीक थी।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की अक्षरधाम यात्रा न केवल आध्यात्मिक थी, बल्कि यह भारत-न्यूज़ीलैंड संबंधों को और गहरा करने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर भी था। यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि आध्यात्मिकता और संस्कृति राजनयिक संबंधों को और मजबूत करने में कितनी प्रभावी हो सकती हैं।